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रोम-रोम में है बसे, सौरभ मेरे राम

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राम नाम है हर जगह, राम जाप चहुंओर।
चाहे जाकर देख लो, नभ तल के हर छोर।।
*1
नगर अयोध्या, हर जगह, त्रेता की झंकार।
राम राज्य का ख्वाब जो, आज हुआ साकार।।
*2
रखो लाज संसार की, आओ मेरे राम।
मिटे शोक मद मोह सब, जगत बने सुखधाम।।
*3
मानव के अधिकार सब, होने लगे बहाल।
राम राज्य के दौर में, रहते सभी निहाल।।
*4
रामराज्य की कल्पना, होगी तब साकार।
धर्म, कर्म, सच, श्रम बने, उन्नति के आधार।।
*5
राम नाम के जाप से, मिटते सारे पाप।
राम नाम ही सत्य है, सौरभ समझो आप।।
*6
मद में डूबे जो कभी, भूले अपने राम।
रावण-सा होता सदा, उनका है अंजाम।।
*7
राम भक्त की धार हैं, राम जगत आधार।
राम नाम से ही सदा, होती जय जयकार।।
*8
जगह-जगह पर इस धरा, है दर्शनीय धाम।
बसे सभी में एक से, है अपने श्री राम।।
*9
राम सदा से सत्व है, राम समय का तत्व।
राम आदि है अन्त हैं, राम सकल समत्व।।
*10
राम-राम सबसे रखो, यदि चाहो आराम
पड़ जायेगा कब पता, सौरभ किससे काम।।
*11
राम नाम से मैं करूँ, मित्रों तुम्हे प्रणाम।
जीवन खुशमय आपका, सदा करे श्रीराम।।
*12
राम-राम मुख बोल है, संकटमोचन नाम।
ध्यान धरे जो राम का, बनते बिगड़े काम।।
*13
रोम-रोम में है बसे, सौरभ मेरे राम।
भजती रहती है सदा,जिह्वा आठों याम।।
*14
उसका ये संसार है, और यहाँ है कौन।
राम करे सो ठीक है, सौरभ साधे मौन।।
*15
हर क्षण सुमिरे राम को, हों दर्शन अविराम।
राम नाम सुखमूल है, सकल लोक अभिराम।।
*16
जात-पात मन की कलह, सच्चा है विश्वास।
राम नाम सौरभ भजें, पंडित और’ रैदास।।
*17
सहकर पीड़ा आदमी, हो जाता है धाम ।
राम गए वनवास को, लौटे तो श्रीराम ।।
*18
बन जाते हैं शाह वो, जिनको चाहे राम ।
बैठ तमाशा देखते, बड़े-बड़े जो नाम ।।
*19
जपते ऐसे मंत्र वो, रोज सुबह औ’ शाम ।
कीच-गंद मन में भरी, और जुबाँ पे राम ।।
*20
राम राज के नाम पर, कैसे हुए सुधार ।
घर-घर दुःशासन खड़े, रावण है हर द्वार ।।
*21
हारे रावण अहम तब, मन हो जय श्री राम।
धीर-वीर गम्भीर को, करे दुनिया प्रणाम।।
*22

-डॉ. सत्यवान सौरभ
{ प्रभु श्रीराम की स्तुति में बाईस दोहे }