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पलटी मारकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास को कलंकित कर रहे हैं सत्यपाल मलिक! 

सत्यपाल मलिक
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चरण सिंह राजपूत 
त्यपाल मलिक ने जिस तरह से जम्मू कश्मीर और प्रधानमंत्री पर बयान दिया था, इससे उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागी छवि दिखाई देती प्रतीत हुई थी। सत्यपाल मलिक के स्टैंड ने चौधरी चरण सिंह और महेंद्र टिकैत के बागी तेवरों की याद ताजा कर दी थी। यदि किसानों के लिए सत्यपाल मलिक ने बड़ा मोर्चा खोल दिया था तो  उन्हें स्टैंड लेना चाहिए था। कम से क़म इस उम्र में अब उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उनका यह स्टैंड उन्हें लोहिया, जेपी, आचार्य नरेंद्र देव, चरण सिंह जैसे समाजवादियों के आदर्शों और संघर्षों से जोड़ रहा था।
सत्यपाल मलिक इस तरह से पलटी मारकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास को अपमानित करते प्रतीत हो रहे हैं। जिस क्षेत्र के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम की पहली आवाज बुलंद की, उसी क्षेत्र के ही सत्यपाल मलिक अचानक अपने स्टैंड से पलटी मारकर अपने ही वजूद से गिरते हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव को देखते हुए मलिक से पलटी मरवाई गई है। वह निजी स्वार्थों के चलते पलटी मार गए हैं। क्या मलिक को अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नहीं दिखाई दे रहे हैं ? कहां हैं उनके उसूल और उनका संघर्ष ? इसी क्षेत्र के धन सिंह कोतवाल थे, जिन्होंने 1857 मंगल पांडेय को फांसी देने के विरोध में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उसकी कीमत धन सिंह कोतवाल के पुरे गांव को चुकानी पड़ी थी। अगले ही दिन धन सिंह कोतवाल के गांव पर अंग्रेजी हुकूमत ने तोप लगा दी और सुबह भोर में सौच को जाते हुए गांव के 300 से ऊपर लोगों को तोपों से भून डाला गया। इसी क्षेत्र दादरी की रियासत के राव उमराव सिंह थे, जिन्होंने अंग्रेजों से हल तक जुतवा दिया था।  यह वही क्षेत्र है, जिसमें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में कितनों लोगों को पेड़ों पर ही फांसी दे दी गई थी। फिर सत्यपाल मलिक किस क्षेत्र का हवाला देकर शेखी बघारते हैं।
ऐसा क्या हो गया कि प्रधानमंत्री को घमंडी बताने वाले सत्यपाल मलिक अब पीएम मोदी की सराहना करते हुए कह रहे हैं कि वो सही रास्ते पर हैं। मतलब सत्यपाल मलिक अब खुद को गलत रास्ते पर बताने लगे हैं। जो सत्यपाल मलिक नए कृषि कानूनों को लेकर हुए आंदोलन में दम तोड़ने वाले किसानों के प्रति प्रधानमंत्री को संवेदनहीन बता रहे थे, वे अब कृषि कानून वापस लेने फैसले पर प्रधानमंत्री की तारीफ करने लगे हैं। वाह मान गए सत्यपाल मलिक को सत्ता और पद का मोह उन्हें भी हो गया। तो यह माना जाये कि मलिक के कान ऐंठ दिए गए हैं और वह मयान में आ गए हैं।
दरअसल हरियाणा के चरखी दादरी में आयोजित एक सामाजिक समारोह को सत्यपाल मलिक ने कहा था, ‘मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मिलने गया, तो उनसे मेरी पांच मिनट में ही लड़ाई हो गई, वो बहुत घमंड में थे। अब मलिक कह रहे हैं कि ‘अमित शाह ने पीएम पर कोई टिप्पणी नहीं की’: एक अखबार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हवाले से उनकी टिप्पणी का “गलत मतलब निकाला गया।” उन्होंने यह भी कहा कि “अमित शाह और प्रधानमंत्री के रिश्ते बहुत अच्छे हैं, शाह ने पीएम पर कोई टिप्पणी नहीं की।” सत्यपाल मलिक ने कहा कि “मुझे लोगों से मिलते रहने और उन्हें सरकार के प्रयासों को समझाने की कोशिश करने में दिलचस्पी है। मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कहा “दरअसल, अमित शाह ने मुझसे पूछा था कि मैं बयान क्यों देता रहता हूं? लेकिन जब मैंने उनसे कहा कि सरकार को किसानों के लिए बीच का रास्ता खोजना होगा और उन्हें मरने नहीं देना चाहिए। तो उन्होंने इस मुद्दे पर मुझको समझा दिया।