
20 अप्रैल रविवार को मनाई जाएगी संत शिरोमणि धन्ना भगत जी की जयंती : प्रवीण लाठर
इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी मुख्य अतिथि होंगे
करनाल, (विसु)। आगामी 20 अप्रैल रविवार 2025 को जींद जिले के ऊंचाना में संत शिरोमणि धन्ना भगत की जयंती मनाई जाएगी। इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी मुख्य अतिथि होंगे।
इस कार्यक्रम को भव्य रूप प्रदान करने एवं इसकी तैयारियों को लेकर भाजपा जिला कार्यालय कर्ण कमल में भाजपा जिलाध्यक्ष प्रवीण लाठर की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष प्रवीण लाठर ने बताया कि यह आयोजन संत महापुरुष सम्मान एवं विचार-प्रसार योजना के तहत किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में जब से भाजपा की सरकार बनी थी, तभी से हरियाणा सरकार ने यह एक बड़ा ऐतिहासिक निर्णय लिया था कि समाज को एक अच्छी दिशा देने वाले सभी महापुरुषों, गुरुओं, संतों की जयंती हर वर्ष हरियाणा सरकार की ओर से राज्य स्तर पर मनाई जाएंगी।
इसी कड़ी में भगत शिरोमणि धन्ना जी की जयंती आगामी 20 अप्रैल को श्रद्धा, उत्साह के साथ धूमधाम से मनाई जाएगी। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पिछली बार कैथल जिले में भगत शिरोमणि धन्ना की जयंती समारोह में देश के उप राष्ट्रपति और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भगत शिरोमणि धन्ना को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और इस बार के समारोह में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे।
उन्होंने इस बैठक में आमजन से भगत शिरोमणि धन्ना जी की जयंती में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की अपील की।
इस अवसर पर धन्ना भगत जी के बारे जानकारी देते हुए बताया कि धन्ना भगत (जन्म 1415 ई.) एक रहस्यवादी कवि और एक वैष्णव भक्त थे,जिनके तीन भजन आदि ग्रंथ में मौजूद हैं। वह एक कृष्ण भक्त थे। उनका जन्म राजस्थान के टोंक जिले में तहसील दूनी के पास धुवा गाँव में हिन्दू धालीवाल जाट परिवार में हुआ था। और आज इनके स्थान पर इनका मंदिर और गुरूद्वारा बना हुुुआ है। हिन्दु व सिख धर्म के लोगों मे इनकी गहरी आस्था है।इनके मंदिर से कुुछ ही दूरी पर अरावली की पहाड़िया है जहां धन्ना भगत जी जिस गुफा में तपस्या करते थे वहां भगवान शिव का प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे धुंधलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने बताया कि सिख धर्म के ग्रंथों मे भी धन्ना भगत का उल्लेख है।भक्त धन्ना ने कोई पंथ तो नही चलाया लेकिन उनकी जाति से ही काफी लोग उनके अनुयायी बने जो आगे चलकर धनावंशी स्वामी कहलाये। धनावंशी स्वामी राजस्थान के नागौर, जोधपुर, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, गंगानगर, झुंझुनूं, सीकर जयपुर व पंजाब हरियाणा के कुछ जिलों में फैले हुए हैं।
इस बैठक में रणबीर गोयत, जगदेव पाढा, राजेश आर्य पाढा, सुमित नरवाल, विनय संधू गगसीना, राजेंद्र संधू , नरेंद्र नरवाल, रामप्रसाद ढांडा, पुष्पेंद्र मालिक, भूपिंदर नौतना, राजसिंह गोदारा, कर्मबीर बिहौली, कृष्ण जागलान, कर्ण सिंह संधू गगसीना मुख्य तौर पर मौजूद रहे।