सहारा इंडिया के भुगतान न करने और निवेशकों के तगादे के चलते आत्महत्या कर रहे एजेंट, 1350 एजेंटों के आत्महत्या करने की बात आ रही है सामने
भले ही सत्ता में बैठे लोग सहारा इंडिया में निवेशकों के भुगतान को गंभीरता से न ले रहे हों, भले ही सुब्रत राय की राजनीतिक पैठ के चलते के चलते उनका कुछ बिगड़ न पा रहा हो पर जमीनी हकीकत यह है कि सहारा इंडिया में जिन निवेशकों और एजेंटों ने पैसा जमा करवाया है, उनकी हालत बहुत खराब है। ये लोग तरह-तरह की परेशानी से तो जूझ ही रहे हैं साथ ही आये दिन सहारा एजेंटों के आत्महत्या करने की बात भी सुनने को मिल रही है। झारखंड जमशेदपुर प्रमंडल के घाटशिला राजस्टेट मुख्य सड़क स्थित काली मंदिर के समीप गुरुवार की शाम कृष्णा दास नाम की एक सहारा एजेंट ने आत्महत्या कर ली। इस महिला ने आत्महत्या दुपट्टे के सहारे फांसी लगाकर की है।
बताया जा रहा है कि जिस समय इस महिला ने आत्महत्या की है, उस समय उसका पति अमित दास पड़ोसी के अंतिम संस्कार में गया था। इस सहारा की महिला एजेंट के आत्महत्या के बारे में यह बात निकलकर सामने आई है कि इस महिला एजेंट ने सहारा इंडिया में बड़े स्तर पर लोगों का पैसा जमा करवा दिया था। ये लोग पैसा का तकादा डाल रहे थे और सहारा इंडिया पैसा नहीं दे रहा है। सहारा इंडिया के पैसे न देने और निवेशकों के तगादे के चलते कृष्णा दास मानसिक रूप से बहुत परेशान थी और जब उसका पति पड़ोसी के अंतिम संस्कार में गया तो उसने अपने कमरे में जाकर अपने दुपट्टे से लटककर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि कृष्णा दास का एक 12 वर्षीय पुत्र भी है। इस महिला ने परिवार की परवरिश और निवेशकों का पैसा उतारने के लिए हाल ही में अपने घर के नीचे ही एक ब्यूटी पार्लर खोला था। घटना के बाद परिवार के लोगों को रो-रो कर बुरा हाल है। जानकारी के अनुसार इस महिला का पति बिजली विभाग में काम करता है।
दरअसल सहारा इंडिया में पैसा करने वाले लोगों का तो बुरा हाल ही में पर जिन एजेंटों ने सहारा में पैसा जमा करवाया है उनका तो अपने घर जाना ही मुश्किल हो गया है। दरअसल अब सहारा इंडिया का निवेशकों को पैसा न देने और कर्मचारियों को वेतन न मिलने की बात जगजाहिर हो चुकी है। ऐसे में जो निवेशक हैं, उन्होंने सहारा एजेंटों पर पैसों के लिए तकादा कर रखा है और सहारा इंडिया पैसा दे नहीं रहा है। ऐसे में इन एजेंटों को लगातार जलील होना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि देशभर में लगभग 1350 सहारा एजेंट आत्महत्या कर चुके हैं। गत दिनों वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी सहारा एजेंटों के आत्महत्या करने की बात कही थी। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिन सरकारों ने सहारा को कलेक्शन का लाइसेंस दिया था वे क्या कर रही है ? क्या निवेशकों पैसा दिलवाने की जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की नहीं है ?