सहारा इंडिया के दूसरे नंबर के निदेशक ओपी श्रीवास्तव ने जमानत को 17 जनवरी तक रोक दिया है। दरअसल ओपी श्रीवास्तव ने तीस हजारी कोर्ट में एक आवेदन दिया था। इस आवेदन में उन्होंने जमानत की मांग की थी। दरअसल गीतांजलि नामक एक निवेशक ने सहारा क्यू शॉप के खाते से पैसे को फर्जी साइन कर निकाल लेने का आरोप लगाया था। इस मामले में गीतांजलि ने ओपी श्रीवास्तव को भी अभियुक्त बनाया था। इस मामले में ओपी श्रीवास्तव पर भी सीधा आरोप लगाया गया था। पता चला है कि इस मामले में कोर्ट में पेश न होने पर ओश्रीवास्तव के घर की कुर्की की तैयारी चल रही ती। ताकि मामले मे शामिल लोगों की संपत्ति को कुर्क कर गीतांजलि के पैसे वापस किये जाएं। अब ओपी श्रीवास्तव की जमानत 17 तक रोक दी गई है।
दरअसल मामले में अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए न्यायालय की न्यायिक प्रक्रिया अपने खिलाफ नहीं होने के लिए ओपीश्रीवास्तव ने जिला न्यालय तीस हजारी कोर्ट में याचिका लगाई ती, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया था और जांच में सहयोग करने की सलाह दी थी। इस मामले में गीतांजलि ने 30000 रुपये जमा किये थे जिसको सहारा इंडिया के मैनेजर और एजेंट ने मिलकर फर्जी साइन कर निकाल लिया था। यह जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त हुई है।
गीतांजलि का कहना है कि उसको छह साल में ढाई गुना करने का झांसा दिया गया था। पहले तो उसने सहारा कार्यालय के कई चक्कर लगाए जब उनको उनका पैसा नहीं मिला तो तब जाकर उन्होंने मामला दर्ज कराया। दरअसल सहारा के निदेशक सुब्रत राय, ओपी श्रीवास्तव और स्वप्ना राय अब हलफ नामा देकर अपने को सहारा से अलग करने का प्रयास कर रहे हैं।