संगठन के नेतृत्व ने संभाला मोर्चा
निवेशकों के भुगतान को लेकर देशभर में सहारा इंडिया के खिलाफ आंदोलन कर रहे ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा ने इस बार रणनीति बदली है। 6 फरवरी को यह संगठन देशभर के सभी प्रदेशों के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करने जा रहा है। इस आंदोलन के तहत उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजन सिंह सूर्यवंशी, प्रदेश अध्यक्ष संसार सिंह और महासचिव नौशाद अली, बिहार में राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल सिंह एडवोकेट और प्रदेश मोहित कुमार, झारखंड में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नागेंद्र कुशवाहा और प्रदेश अध्यक्ष प्रभात कुमार, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय महासचिव नीरज शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सोलंकी के मुख्य रूप से आंदोलन की अगुआई करने की बात सामने आ रही है।
दरअसल गत 17-18 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा की राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में सहारा इंडिया के साथ ही सरकारों को भी घेरने की रणनीति बनाई गई थी। इस बैठक के बाद माना जा रहा था कि संगठन राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा आंदोलन करने वाला है। उसी रणनीति के तहत ही 6 फरवरी को ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने जा रहा है।
छह फरवरी को होने वाले आंदोलन के बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला ने कहा है कि अब यह बात सच लगने लगी है कि सुब्रत राय को केंद्र सरकार के साथ ही विभिन्न राज्य सरकारों का भी संरक्षण प्राप्त है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि इन सरकारों के खिलाफ मोर्चा खोला जाए। उन्होंने बताया कि ६ फरवरी को देशभर के सभी मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इस धरना-प्रदर्शन के माध्यम से सभी सरकारों को चेताया जाएगा कि यदि जल्द से जल्द सहारा निवेशकों का भुगतान न किया गया तो न केवल आने वाले विधानसभा चुनाव बल्कि लोकसभा चुनाव में भी सभी दलों को उनकी औकात बता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि तो क्या सुब्रत राय ने सभी राजनीतिक दलों को खरीद लिया है ? उन्होंने बताया कि अब उनके संगठन ने रणनीति बदली है। अब वे लोग सहारा इंडिया के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को घरेंगे। सभी जनप्रतिनिधियों का घेराव किया जाएगा।
दरअसल ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा इससे पहले सहारा इंडिया ऑफिस के सामने प्रोटेस्ट कर रहा था। गत 9 नवम्बर को सहारा इंडिया के एरिया ऑफिस और 15 नवम्बर को जोनल ऑफिस का घेराव किया गया था। 15 नवम्बर को होने वाले प्रोटेस्ट में जहां पटना और नोएडा में बड़ा बवाल हुआ था वहीं झारखंड में कई दिनों तक धरना चला था। पटना में तो तत्कालीन एडीएम ने खेल कर आंदोलनकारियों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करा दी थी। एडीएम पर आरोप लगा था कि उसने सहारा प्रबंधन से पैसा खाकर ऐसा किया था। इस मामले को लेकर भी पटना में आंदोलन हुआ है। ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा 5 से लेकर 8 अगस्त तक दिल्ली जंतर मंतर पर भी बड़ा प्रोटेस्ट कर चुका है। जंतर-मंतर वाले प्रोटेस्ट पर अभय देव शुक्ला की अगुआई में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भुगतान से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया था।देखने की बात यह भी है कि वैसे तो देशभर में भुगतान को लेकर निवेशकों और जमाकर्ताओं ने सहारा इंडिया के खिलाफ भी मोर्चा खोल रखा है पर बिहार में यह आंदोलन जनांदोलन का रूप ले रहा है। जिस तरह से भुगतान को लेकर सहारा इंडिया के ऑफिसों के साथ ही जनप्रतिनिधियों को घेरा जा रहा है। जगह-जगह सड़कों पर सहारा के साथ ही शासन और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी हो रही है।
बिहार की राजधानी पटना से लेकर विभिन्न जिलों में युद्ध स्तर पर निवेशकों की लड़ाई लड़ी जा रही है, जिस तरह से ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के पदाधिकारी आग उगल रहे हैं, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि बिहार में निवेशकों और जमाकर्ताओं का यह आंदोलन बड़ी क्रांति करने की ओर है।उधर दिल्ली जोन के नोएडा ऑफिस पर बड़े आंदोलन की रूपरेखा बन रही है। संगठन से जुड़े उत्तर प्रदेश के नेताओं ने बाकायदा नोएडा पुलिस प्रशासन के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नोएडा ऑफिस पर होने वाले बड़े आंदोलन के लिए चेता दिया है।
प्रदेश अध्यक्ष संसार सिंह की अगुआई में होने वाले इस आंदोलन के प्रति नोएडा पुलिस प्रशासन को चेताते हुए लिखा गया है कि 15 नवम्बर को दिये गये उनके अल्टीमेटम का समय पूरा हो चुका है पर सहारा प्रबंधन ने भुगतान के मामले में कोई जवाब नहीं दिया। नोएडा ऑफिस पर होने वाले इस आंदोलन के बारे में उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष संसार सिंह ने बताया कि उन लोगों ने आंदोलन की पूरी तैयारी कर ली है। 6 फरवरी के प्रोटेस्ट के बाद नोएडा ऑफिस पर बड़ा प्रोटेस्ट किया जाएगा। इस प्रोटेस्ट में देशभर के निवेशक आएंगे।
उन्होंने बताया कि उन्होंने नोएडा पुलिस प्रशासन के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चेता दिया है कि यह आंदोलन उग्र भी हो सकता है, क्योंकि ये लोग इस बार ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ आएंगे और नोएडा ऑफिस के गेट पर डेरा डाल देंगे। जब तक उन्हें उनका भुगतान नहीं हो जाएगा तब तक वह नोएडा के गेट पर ही डेरा डाले रहेंगे। संसार सिंह का कहना था आंदोलन पूरी तरह से अहिंसात्मक रहेगा पर सहारा प्रबंधन ने आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया तो वे लोग ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ सहारा ऑफिस के परिसर में घुसने से भी परहेज नहीं करेंगे और ऑफिस के अंदर ही धरना देंगे। उनका कहना था कि यह धरना अनिश्चितकालीन रहेगा। जब तक उनका भुगतान नहीं होगा तब वे वहां से नहीं हिलेंगे।
दरअसल 15 नवम्बर को नोएडा के सेक्टर 11 स्थित सहारा ऑफिस पर जब ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के कार्यकर्ता जुटे थे तो सहारा प्रबंधन में हड़कंप मच गया था। दिनभर चले प्रदर्शन के बाद सहारा पैरा बैंकिंग के उच्च प्रबंधन और आंदोलनकारियों की वार्ता पुलिस प्रशासन की उपस्थिति में हुई थी। सहारा प्रबंधन की ओर से कोई जवाब न देने पर आंदोलनकारियों ने सहारा प्रबंधन को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था।
आंदोलनकारियों का कहना था कि यदि 15 दिन के अंदर उनका भुगतान नहीं हुआ तो वे लोग ट्रैक्टर ट्रालियों लेकर नोएडा ऑफिस को घरेंगे। दरअसल 30 दिसंबर को आंदोलनकारियों का अल्टीमेटम का समय पूरा हो चुका है। नोएडा आंदोलन के साथ ही और दूसरे मुद्दों को लेकर 17-18 दिसंबर को उत्तर प्रदेश अयोध्या में ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय नेतृत्व की बैठक हुई और इस बैठक में सहारा इंडिया के साथ ही केंद्र सरकार और प्रदेशों की सरकारों के खिलाफ भी सड़कों पर उतरने का निर्णय तो लिया ही गया पर इस बैठक में सबसे बड़ा निर्णय नोएडा ऑफिस पर बड़ा आंदोलन करने का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
दरअसल नोएडा ऑफिस पर होने वाले आंदोलन को इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यहां पर ही मीडिया का ऑफिस है। सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत राय इसी मीडिया के बलबूते राजनीतिक नेताओं से अपने काम कराते हैं। इसी मीडिया की वजह से वह विभिन्न प्रदेशों की सरकारों और पुलिस प्रशासन को मैनेज करते हैं। देशभर के विभिन्न राज्यों के विभिन्न जिलों में डीएम और एसएसपी को मैनेज कर आंदोलन को दबाने का का प्रयास भी वह इस मीडिया के माध्यम से करते हंै। दरअसल सहारा मीडिया में पुराने पत्रकार हैं, उनके संबंध राजनेताओं के साथ ही ब्यूरोक्रेट्स से भी अच्छे हैं। यही वजह है कि सुब्रत राय सहारा मीडिया में बीच-बीच में वेतन दिलवाकर माहौल बनाये हुए है। आजकल नोएडा ऑफिस में मीडिया हेड सुमित राय की चल रही है। उन्होंने परिसर के दोनों गेट पूरी तरह से बंद करवा रखे हैं। पता तो यह भी चला है कि नोएडा परिसर में काम करने वाले कर्मचारी आठ घंटे की ड्यूटी पूरी करने के बाद ही ऑफिस से निकलते हैं। अब देखना यह होगा कि जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा का आंदोलन क्या स्वरूप अख़्तियार करता है।
भले ही कई संगठन अपने-अपने हिसाब से सहारा इंडिया के खिलाफ आंदोलन कर रहे हों पर गत 15 नवम्बर को जोनल ऑफिस पटना पर जो प्रोटेस्ट हुआ था, उसमें ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा और अखिल भारतीय जन कल्याण मंच के साथ ही दूसरे संगठनों ने जिस तरह से मिलकर एकजुटता का परिचय दिया था उससे सहारा प्रबंधन में हड़कंप है। यही वजह रही कि सहारा प्रबंधन ने एडीएम शशिभूषण कुमार को सेट कर उल्टे आंदोलनकारियों पर ही मामला दर्ज करवा दिया। हालांकि देखावे के रूप में सहारा प्रबंधन के लोगों को भी इस मामले में घसीटा गया। बिहार की स्थिति यह है कि भले ही सहारा इंडिया के दबाव में पुलिस प्रशासन आ जा रहा हो पर आंदोलनकारियों के तेवर लगातार कड़े ही हो रहे हैं। जहां जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के बिहार अध्यक्ष मोहित कुमार पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली करने का दम भर रहे हैं वहीं राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल सिंह भगत सिंह ने सहारा इंडिया साथ ही राज्य और केंद्र सरकार को भी ललकार दिया है। यह आंदोलन का आत्मविश्वास ही है कि सहारा निवेशक इस आंदोलन को जेपी आंदोलन का रूप देने की बात करने लगे हैं।
दरअसल देश में जितने बड़े आंदोलन हुए हैं उनमें से अधिकतर बिहार में ही हुए हैं। चाहे महात्मा गांधी का सत्याग्रह आंदोलन हो या जेपी आंदोलन या फिर देश की कोई भी बड़ी रैली सभी बिहार से ही हुए हैं। बिहार में पटना के गांधी मैदान का आंदोलनों के मामलों में अपना एक इतिहास है। दरअसल बिहार की धरती आंदोलन के लिए बड़ी उपजाऊ मानी जाती है। यह माना जाता है कि राजनीति और पत्रकारिता दोनों के लिए बिहार का अनुभव अपने आप में बड़ा मायने रखता है। ऐसे ही आंदोलनकारियों के लिए भी यह धरती बड़ी उपजाऊ है। यही वह धरती है जिस पर एक गरीब ब्राह्मण चाणक्य ने नंद वंश को समाप्त करने का संकल्प लिया और उसे समाप्त करके ही दम लिया। सम्राट अशोक भी बिहार की धरती पर ही जन्मे। महात्मा बुद्ध ने भी बिहार की धरती पर ही ज्ञान प्राप्त किया। यह बिहार की ही धरती रही है जिसने एक से बढ़कर एक क्रांतिकारी और नेता देश को दिये।