सहारा आंदोलनकारियों ने लगाया ‘भुगतान नहीं तो मतदान नहीं’ का नारा
31 जनवरी से दिल्ली में सहारा के खिलाफ खोला जा रहा बड़ा मोर्चा
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से की गई है सहयोग की अपील
नई दिल्ली। सहारा ग्रुप के खिलाफ हर स्तर पर मोर्चा खुल चुका है। सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत राय के अलावा दूसरे निदेशकों पर ठगी का आरोप लगाते हुए जहां निवेशक और एजेंट सहारा के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। देशभर में सहारा के कार्यालयों का घेराव कर रहे हैं। वहीं अब सरकारों पर दवाब बनाने के लिए आंदोलनकारियों ने मतदान के बहिष्कार की नीति अपनाई है। आंदोलनकारियों ने पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में नोटा पर बटन दबाने के लिए एक अभियान छेड़ दिया है। आंदोलित निवेशकों और एजेंटों ने ऐलान किया है कि जब तक उनका भुगतान नहीं होगा तब तक वे चुनाव का बहिष्कार करते रहेंगे। नोटों का बटन दबाएंगे।
इन आंदोलनकारियों ने नारा दिया कि जब तक भुगतान नहीं तब तक मतदान नहीं। मतदान का विरोध करते हुए जहां बाइक बोट ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष मदन लाल के की अगुआई में ३१ जनवरी से दिल्ली में मोर्चा खोला जा रहा है वहीं ऑल इंडिया ज
नांदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के अध्यक्ष अभय देव शुक्ला के नेतृत्व में बिहार और यूपी में लड़ाई लड़ी जा रही है। राष्ट्रीय उपकार संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश कुमार दिवाकर की अगुआई में ७ फरवरी से दिल्ली के जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन होने जा रहा है। उनके इस आंदोलन में राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मनोज शर्मा उनका साथ राष्ट्रीय महासचिव राधेश्याम सोनी आज़ाद, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष आरिफ खान प्रदेश दे रहे हैं।
इस आंदोलन के बारे में मदनलाल आजाद का कहना है कि देश में हर चौथा आदमी सहारा जैसी फ्राड कंपनियों की ठगी का शिकार है। जब देश में करोड़ों लोग मतदान का बहिष्कार करेंगे तो मोदी सरकार की छवि विदेश में भी खराब होगी। दिनेश दिवाकर का कहना है कि सहारा से भुगतान के लिए देशभर के ठगी के शिकार लोग फरवरी माह के शुरुआत में ही देश की राजधानी दिल्ली में आकर मोर्चा संभालने वाले हैं। उनका कहना है कि जब तक उनका भुगतान नहीं होगा तब तक वे वहां से वापस नहीं जाने वाले हैं। उनका कहना है कि सहारा के खिलाफ चल रहे आंदोलन को जनांदोलन का रूप दिया जा रहा है। दिल्ली में इस आंदोलन को किसान आंदोलन जैसा स्वरूप दिया जाएगा। दिल्ली में ही भंडारा खोल दिया जाएगा। उनका कहना है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश समेत देशभर के लोग इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने अपील की है कि देशभर के राजनीतिक और संगठन भी इस आंदोलन में शामिल होकर सहारा पीड़ितों की मदद करें।
उधर सहारा ने बाजार नियामक सेबी पर उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये रखने का आरोप लगाया है। पिछले साल अगस्त में अपनी सालाना रिपोर्ट जारी करते हुए सहारा के निवेशकों को सिर्फ 129 करोड़ रुपये लौटाने की बात मानी है। सहारा ने कहा कि सेबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके (सहारा) द्वारा सेबी में जमा कराई गई रकम 31 मार्च, 2021 को ब्याज सहित 23,191 करोड़ रुपये थी। सहारा ने यह भी कहा कि उसके आकलन के अनुसार सहारा-सेबी खाते में जमा कराई गई रकम ब्याज समेत 25,000 करोड़ रुपये है। उसने कहा है कि सेबी ने अनुचित रूप से सहारा और उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये अपने पास रखे हैं। सहारा ने कहा, “पिछले 9 साल में 154 अखबारों में 4 बार विज्ञापन देने के बाद सिर्फ 129 करोड़ रुपये का भुगतान ही सहारा के निवेशकों को किया गया है।” उसने कहा है कि अप्रैल, 2018 में सेबी ने यह स्पष्ट किया था कि वह जुलाई, 2018 के बाद किसी दावे पर विचार नहीं करेगा। इसका मतलब है कि सेबी के पास कोई दावेदार नहीं बचा है और सहारा की तरफ से जमा कराई गई 25,000 करोड़ की रकम सेबी ने अपने पास अनुचित रूप से रखा है। सहारा का कहना है कि इससे पहले गुरुवार को एक खबर आई थी कि बाजार नियामक सेबी ने सहारा के निवशकों को 129 करोड़ रुपये लौटाए हैं। उसने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सहारा की दो कंपनियों के निवेशकों को नौ वर्षों में निवेशकों को यह राशि लौटाई है। सेबी ने बताया था कि निवेशकों का पैसा लौटान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 23,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
सहारा का कहना है कि सेबी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि उसे 31 मार्च 2021 तक 19,616 आवेदन मिले, जिसमें लगभग 81.6 करोड़ रुपये के धन वापसी के दावे थे। सेबी ने बताया था कि उसने 16,909 मामलों में (129 करोड़ रुपये, जिसमें 66.35 करोड़ रुपये मूलधन और 62.34 करोड़ रुपये ब्याज शामिल है) रिफंड जारी किए हैं, जबकि 483 आवेदनों में कमियों को दूर करने के लिए निवेशकों को वापस भेज दिया गया है।
सहारा का कहना है कि सेबी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि उसे 31 मार्च 2021 तक 19,616 आवेदन मिले, जिसमें लगभग 81.6 करोड़ रुपये के धन वापसी के दावे थे। सेबी ने बताया था कि उसने 16,909 मामलों में (129 करोड़ रुपये, जिसमें 66.35 करोड़ रुपये मूलधन और 62.34 करोड़ रुपये ब्याज शामिल है) रिफंड जारी किए हैं, जबकि 483 आवेदनों में कमियों को दूर करने के लिए निवेशकों को वापस भेज दिया गया है।