गेट पर मीडिया हेड सुमित राय और सहारा ग्रुप के खिलाफ की जमकर नारेबाजी
नोएडा। नोएडा के सेक्टर 11 स्थित सहारा मीडिया कार्यालय आजकल धरना-प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है। भुगतान को लेकर कभी गेट पर निवेशक आ धमकते हैं तो कभी सहारा मीडिया के कर्मचारी। वैसे तो सहारा के हर ऑफिस में कर्मचारियों में आक्रोश है पर सहारा मीडिया कार्यालय पर तो आये दिन बवाल होता रहता है।
मंगलवार को बड़ी संख्या में सहारा मीडियाकर्मी मीडिया कार्यालय पहुंचे। आंदोलनकारियों ने मीडिया हेड सुमित राय और सहारा ग्रुप के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आंदोलन में मुख्यतः स्वप्न कुमार दास, सचिन स्वर्णकार, प्रीति पांडे, कविता राज पाठक, देवेंद्र कुमार, अबू दानिश, रोहित पोखरियाल, रोहित कुमार, ललित भट्ट, नईम खान आदि ने सहारा के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपने भुगतान के लिए आवाज बुलंद की।
जानकारी मिल रही रही कि आंदोलन कर रहे प्रत्येक कर्मचारी का सहारा पर 8-10 लाख रुपए पर है। कुल पैसा दस करोड़ के आसपास बताया जा रहा है। जानकारी मिल रही है कि नोएडा के मीडिया कार्यालय पर बड़ा आंदोलन हो सकता है। सहारा मीडिया कर्मियों के साथ ही सहारा निवेशक भी अपने भुगतान के लिए बड़े आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं।
दरअसल सहारा मीडिया में भुगतान के लिए आये दिन धरना-प्रदर्शन होता रहता है। यह आंदोलन सहारा मीडिया परिसर में और गेट के बाहर भी देखने को मिलता रहता है। पिछले साल नवम्बर में ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के बैनर तले भुगतान के लिए गेट पर धरना-प्रदर्शन किया गया था । उससे पहले उपेंद्र राय के मीडिया हेड रहते हुए चंद्र किशोर यादव नाम का लोकल निवेशक अपने तीन करोड़ रुपये की मांग करते हुए गेट पर धरना देकर बैठ गया था। आज की तारीख में सहारा मीडिया के कर्मचारी अपने भुगतान को लेकर आंदोलनरत हैं। कुछ ही दिन के अंतराल में ये कर्मचारी कई बार गेट पर आकर अपना आक्रोश व्यक्त कर चुके हैं।
दरअसल सहारा मीडिया में आंदोलन की शुरुआत तब हुई थी जब सहारा सेबी विवाद में सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय तिहाड़ जेल में बंद थे। उस समय सहारा मीडिया में बकाया वेतन के लिए तीन बार आंदोलन हुआ था। आंदोलनकारियों ने सहारा परिसर में टेंट गाड़ दिया था। सहारा मीडिया के सबसे पहले आंदोलन में न केवल नोएडा बल्कि लखनऊ, पटना, गोरखपुर, देहरादून, कानपुर समेत लगभग सभी मीडिया की यूनिटें ठप्प कर दी गई थीं। आंदोलनकारी तिहाड़ जेल में जाकर सुब्रत राय को खरी-खोटी सुनाकर आये थे। उसके बाद सहारा मीडिया परिसर में आंदोलन होता ही रहता है। स्थिति यह है कि अधिकतर पुराने कर्मचारी या तो संस्था छोड़कर चले गये हैं या फिर उन्हें निकाल दिया गया है। सहारा पैसा किसी का देने को तैयार नहीं।
दरअसल सहारा मीडिया में भुगतान के लिए आये दिन धरना-प्रदर्शन होता रहता है। यह आंदोलन सहारा मीडिया परिसर में और गेट के बाहर भी देखने को मिलता रहता है। पिछले साल नवम्बर में ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के बैनर तले भुगतान के लिए गेट पर धरना-प्रदर्शन किया गया था । उससे पहले उपेंद्र राय के मीडिया हेड रहते हुए चंद्र किशोर यादव नाम का लोकल निवेशक अपने तीन करोड़ रुपये की मांग करते हुए गेट पर धरना देकर बैठ गया था। आज की तारीख में सहारा मीडिया के कर्मचारी अपने भुगतान को लेकर आंदोलनरत हैं। कुछ ही दिन के अंतराल में ये कर्मचारी कई बार गेट पर आकर अपना आक्रोश व्यक्त कर चुके हैं।
दरअसल सहारा मीडिया में आंदोलन की शुरुआत तब हुई थी जब सहारा सेबी विवाद में सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय तिहाड़ जेल में बंद थे। उस समय सहारा मीडिया में बकाया वेतन के लिए तीन बार आंदोलन हुआ था। आंदोलनकारियों ने सहारा परिसर में टेंट गाड़ दिया था। सहारा मीडिया के सबसे पहले आंदोलन में न केवल नोएडा बल्कि लखनऊ, पटना, गोरखपुर, देहरादून, कानपुर समेत लगभग सभी मीडिया की यूनिटें ठप्प कर दी गई थीं। आंदोलनकारी तिहाड़ जेल में जाकर सुब्रत राय को खरी-खोटी सुनाकर आये थे। उसके बाद सहारा मीडिया परिसर में आंदोलन होता ही रहता है। स्थिति यह है कि अधिकतर पुराने कर्मचारी या तो संस्था छोड़कर चले गये हैं या फिर उन्हें निकाल दिया गया है। सहारा पैसा किसी का देने को तैयार नहीं।