राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के महासचिव ने कहा-सहारा पीड़ितों की लड़ाई लड़ रहा है संगठन
द न्यूज 15
लखनऊ। राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव राधेश्याम सोनी ने कहा है कि सहारा इंडिया से 80% लोग परेशान हैं। पूरे देश में कंपनी के अधिकारियों और सहारा इंडिया प्रबंधन के विरुद्ध सैकड़ों मुकदमे दर्ज हैं। किंतु सहारा इंडिया के कार्यालय बस पेपर पलटने के लिए और पैसा जमा करने के लिए आज भी खुले हुए हैं। ये लोग भुगतान करने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि जनपद सिद्धार्थनगर के तमाम शाखाओं बांसी,बेलौहा, पथरा बाजार, उसका बाजार, नौगढ़ सिद्धार्थनगर, बर्डपुर, में कोई भी मैनेजर कई महीनों से नहीं है। जनता को गुमराह करने के लिए चपरासी और बाबू के भरोसे ब्रांच खुली दिखाई जा रही है। कार्यालय खुला दिखा कर जनता को गुमराह कर रहे हैं। सहारा इंडिया में जमा अपनी गाढ़ी कमाई को मांगते-मांगते तमाम लोग परलोक सिधार जा रहे हैं। किंतु भुगतान नहीं पा रहे हैं। और मुख्यमंत्री कार्यालय- लखनऊ शिकायत करने पर शिकायत यह लिख कर के निस्तारित कर दिया जा रहा है। कि यह प्रकरण दिल्ली सरकार से संबंधित है।और सहारा इंडिया कंपनी के लाइसेंस दाता केंद्रीय कृषि मंत्रालय भारत सरकार नई-दिल्ली को शिकायत करने पर शिकायत महीनों बाद यह लिखकर के निस्तारित कर दिया जाता है।कि सेक्शन 49 & 52 मल्टी स्टेट को ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट 2002 के तहत भुगतान की गारंटी भारत सरकार की नहीं है। देश में जगह-जगह धरना प्रदर्शन तालाबंदी हो रहा है।केंद्र सरकारें मौन क्यों है? देश के बड़े टीवी चैनल,बड़े अखबार इन चीजों को उजागर क्यों नहीं कर रहे हैं? ऐसे में जब सहारा इंडिया कंपनी को सरकार ने लाइसेंस दे रखा है। तो लाइसेंस देने वाले केंद्रीय रजिस्ट्रार कृषि मंत्रालय भारत सरकार ऐसा क्यों कह रहे हैं? कि भुगतान दिलाने की गारंटी भारत सरकार की नहीं है। जब सरकार सहारा इंडिया कंपनी पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। तो ऐसी ठग कंपनी को सरकार चलने क्यों दे रही है? क्या भारत सरकार की नजरों में देश की जनता से अधिक अहमियत सहारा इंडिया कंपनी के अधिकारियों और सहारा इंडिया कंपनी के चेयरमैन सुब्रत राय का है?? अपने जीवन की गाढ़ी कमाई सरकार के लाइसेंस को देख कर जमा करने के बाद आज देश की जनता असहाय है। उन्होंने सहारा निवेशकों और जमाकर्ताओं से अपील की है कि वे लोग अपने हक़ के लिए सड़क अपर उतरें।