Sahara India Protest : स्वतंत्रता दिवस पर देश में नफरत का माहौल और हालात ठीक न होने को लेकर जारी किया सहारा इंडिया के चेयरमैन का बयान हो रहा वायरल, मध्य प्रदेश के बीजेपी प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया व्यक्त कर पार्टी नेतृत्व से की है कार्रवाई की मांग
चरण सिंह राजपूत
कांग्रेस की राजनीति की चपेट में आकर दुर्दशा का सामने कर रहे सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय ने अब केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी से पंगा ले लिया है। वह ऐसे समय में जब निवेशकों के भुगतान को लेकर जहां सेबी और सुप्रीम कोर्ट उन पर सख्त हैं वहीं देशभर में उनके खिलाफ निवेशक और एजेंट सड़कों पर हैं। सहारा ग्रुप में कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है। दरअसल राष्ट्रीय पर्वांे को भारत पर्व के रूप में मनाने वाले सुब्रत राय ने गत स्वतंत्रता दिवस पर अपने संदेश में देश में नफरत का माहौल बनने और हालात ठीक न होने की बात कही है। सुब्रत राय के इस संदेश के वायरल होने पर मध्य प्रदेश प्रदेश के बीजेपी प्रवक्ता ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कर पार्टी नेतृत्व से मांग की है कि सुब्रत राय और सहारा समूह पर अविलंब कड़ी कार्रवाई कर आम लोगों का पैसा वापस दिलवाया जाए।
२००४ में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने के मुद्दे पर अपनी टांग अड़ाने वाले सुब्रत राय ने कहीं बड़बोलेपन में तो यह बयान नहीं दे दिया है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है पर उनकी सरकार पर कोई उंगली उठाये, यह कतई बर्दाश्त नहीं। सुब्रत राय ने नफरत का माहौल और हालात ठीक न होने की बात कही है। सुब्रत राय भी देख रहे होंेगे कि मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वाले विपक्ष के नेताओं पर कैसे ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स का शिकंजा कसा जा रहा है।
सुब्रत राय भी जानते हैं कि यह मोदी सरकार की नरमाई ही है कि वह बचे हुए हैं। ऐसे में मोदी सरकार पर ही उंगली उठाकर कहीं सुब्रत राय ने घर बैठे आफत तो मौल नहीं ले ली है। वैसे भी नोटबंदी के दौरान सहारा की काफी ब्लैक मनी को व्हाइट करने की बात बाजार में आई थी। वह जानते हैं कि यह मोदी सरकार की ही मेहरबानी है कि देशभर में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है। उत्तर प्रदेश लखनऊ में उनके निवास पर मध्य प्रदेश प्रदेश की पुलिस गैर जमानती वारंट लेकर आई फिर भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई। निवेशकों और एजेंटों की लड़ाई लड़ रहे आंदोलनकारी देश के 20 करोड़ लोगों का दो लाख करोड़ से ऊपर का पैसा सहारा इंडिया पर बताते हैं। सुब्रत राय को समझ लेना चाहिए कि अपने पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सहारा के निवेशकों का पैसा मारने को लेकर बोल चुके हैं। अब गृहमंत्री अमित शाह ने भी सहारा मामले को लेकर निवेशकों को उनका पैसा मिलने के लिए आश्वस्त किया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी निवेशकों का पैसा दिलवाने की बात कही है। गत 5,6,7 अगस्त को जब ऑल इंडिया जन आंदोलन न्याय संघर्ष मोर्चा के बैनर तले निवेशकों और एजेंटों ने दिल्ली जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट किया तो वे लोग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मिले थे। राष्ट्रपति मुर्मू ने भी उनका भुगतान होने का आश्वासन उन्हंे दिया था। सुब्रत राय के इस बयान से पासा निवेशकों और एजेंटों के पक्ष में भी हो सकती है।
दरअसल 2013 में जब सुब्रत राय पर कानूनी शिकंजा कसा था तो उन्होंने इसके लिए तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि उन्होंने यह आरोप सोनिया गांधी का नाम लिये बिना उन पर निशाना साधकर लगाया था। सुब्रत राय ने कहा था कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया गया है। दरअसल सुब्रत राय ने २००४ में हुए आम चुनाव के बाद किसी भारतीय को देश का प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन किया था। हालांकि सुब्रत राय ने इस बयान को लेकर किसी का नाम नहीं लिया था। लेकिन उनका इशारा साफ तौर पर इटली में जन्मी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर था। दरअसल वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना थी लेकिन उन्हें पीछे हटना पड़ा था और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे उस समय विपक्ष ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने के चलते उन्हें पीएम बनाने का विरोध किया था। सुब्रत राय ने सोनिया गांधी पर व्यक्तिगत प्रहार करने से बचते हुए कहा था कि उनके पास मौजूद लोग उनके कान भरते हैं और सहारा के खिलाफ कदम उठाने के लिए भड़काते हैं। तब सुब्रत राय ने कहा था कि उनके पीएम पर भावनात्मक बयान के बाद रिजर्व बैंक और सेबी ने सहारा इंडिया पर हमला बोला है। यह सब साल 2006 में ही शुरू हो गया था।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनकी तरक्की से जलते हैं और उनके लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं। यह समस्या कुछ लोगों के अहम के कारण आ रही है। उन्होंने आरबीआई के तत्कालीन डिप्टी गर्वनर उषा थोराट और एस गोपीनाथ पर व्यक्तिगत दुर्भावना से सहारा ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया।
उस समय सुब्रत राय ने मौजूदा प्रधानमंत्री और तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की तारीफ की थी। तब उन्होंने कहा था कि वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बजाय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने इसका कारण दिया था कि एक प्रशासक के तौर पर राहुल गांधी की कोई पहचान नहीं है। सब सुब्रत राय ने कहा था कि राहुल गांधी और मोदी दोनों को प्रधानमंत्री बनने का अनुभव नहीं है लेकिन नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री के तौर पर देखा है और उन्होंने अपनी काबिलियत साबित भी की है। वहीं दूसरी ओर कोई राहुल गांधी की प्रशासकीय क्षमताओं को नहीं जानत। तब सुब्रत राय ने गुजरात के निवेशकों के लिए अनुकूल होने की भी प्रशंसा की थी और अन्य भाजपा शासित राज्यों को भी निवेश के लिए बेहतर बताया था।