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कैसे आत्महत्या करने को मजबूर हो गया “काफी अकेला हूं” को ‘अकेला काफी हूं’ में बदलने वाला संजीव गोयल ?

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सहारा में बकाया भुगतान न होने की वजह से नाजुक स्थिति से गुजर रहे हैं निवेशक एजेंट और कर्मचारी 

चरण सिंह राजपूत 
द न्यूज 15 
नई दिल्ली/मुंबई। कहा जाता है कि समय बड़ा बलवान होता है। जो व्यक्ति हमेशा सोच बदलने की बात करता रहा है। काफी अकेला हूं वाक्य को बदलकर अकेला काफी हूुं,  करता रहा। दूसरों को हमेशा सोच बदलने की सीख देता रहा है। उसी व्यक्ति ने आखिरकार आत्महत्या कैसे कर ली ?  मैं बात कर रहा हूं सहारा इंडिया महाराष्ट्र के जोनल मैनेजर संजीव गोयल की मौत की। बताया जा रहा है कि संजीव गोयल की मौत हार्ट अटैक से नहीं बल्कि उन्होंने आत्महत्या की है।  बताया जा रहा है कि हमेशा खुश रहने वाला यह व्यक्ति कुछ दिनों से डिप्रेशन में था। संजीव गोयल सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय के बहुत करीबी थे। करोड़ों का बिजनेस करने वाले आखिकार आत्महत्या करने को कैसे मजबूर हो गया ? यह प्रश्न हर किसी के दिमाग में कौंध रहा है।  चाहे सहारा इवॉल्स की सहायक योजना हो या आलू से सोना बनाने वाली स्किम, संजीव गोयल ने पहले ही दिन 1 करोड़ का  जमा किये थे।
बताया जाता है कि कार्यकर्ताओं को सीख और नसीहत देने में संजीव गोयल को महारत हासिल थी। पता चला है कि एक पार्टी का 16 करोड़ का पेमेंट था, जिस वजह से वह डिप्रेशन में थे। मतलब जिन लोगों के लिए संजीव गोयल जान की बाजी लगाता रहा। उन लोगों ने ही उसे धोखा दे दिया।  विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि  उन्होंने करोड़ों की देनदारी न दिलवाने की दबाव में उन्होंने आत्महत्या की है।
मतलब जब आदमी चारों ओर से घिरता है तो फिर घिरता ही चला जाता है। सहारा में भुगतान न होने की वजह से संजीव गोयल जैसे न कितने अधिकारियों और एजेंटों की स्थिति संजीव गोयल जैसी ही है। सहारा के कर्णधारों ने जनता की गाढ़ी कमाई अपनी, नेताओं ओैर ब्यूुरोक्रेट्स की अय्याशी में उड़ा दी है। विदेशों में कारोबार में लगा दी।  सहारा में जिस तरह से देनदारी है। ऐसे में न केवल अधिकारी, एजेंटे बल्कि कितने कर्मचारी भी डिप्रेशन की स्थिति से गुजर रहे हैं। वैसे भी कितने लोग आत्महत्या कर चुके हैं। आखिर इन परिस्थितियों में केंद्र सरकार क्या कर रही है ? जब सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय अपनी संपत्ति लगभग तीन लाख करोड़ बता रहे हैं तो फिर सहारा की संपत्ति बेचकर निवेशकों, एजेंटों ओैर कर्मचारियों का बकाया भुगतान क्यों नहीं निपटाया जा रहा है ?
कल से जंतर-मंतर पर आंदोलन की अगुआई कर रहे बाइक बोट ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष मदन लाल आजाद ने जारी अपनी वीडियो में भी संजीव गोयल की आत्महत्या का जिक्र किया है। उनका कहना है कि हमें डटकर इस तरह की परिस्थिति का सामना करना है। आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी आंदोलन में मुख्य मांग होगी कि केंद्र सरकार इस बजट में १० लाख करोड़ का विशेष पैकेज सहारा जैसी विभिन्न कंपनियों की ठगी के शिकार पीड़ितों के लिए घोषित करे। इस पैकेज से इन पीड़ितों की मदद की जाए।