सुखी परिवार के लिए परिवार नियोजन बहुत जरूरी : डा. जैसलाल
नोएडा । “पता नहीं पुरुष नसबंदी से क्यों डरते हैं। हमारे पति ने भी नसबंदी करायी है, पांच महीने हो गये, उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। जब वह नसबंदी कराकर आये तो हंसते हुए आये और अगले ही दिन से काम पर चले गये। नसबंदी कराने के लिए हमने उन्हें हिम्मत दी और आशा दीदी ने साथ।” यह बात एक महिला किरण ने कही। वह होशियारपुर नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (यूपीएचसी) पर मंगलवार को आयोजित सास-बेटा-बहू सम्मेलन में अपने अनुभव साझा कर रहीं थीं। इसी तरह दम्पति मनीषा और उनके पति ओंकार ने अपने अनुभव साझा किये।
मनीषा ने बताया- उनके सात-भाई बहन है और उनके पति ओंकार के भी सात-भाई बहन है। उन्होंने शादी के वक्त ही तय कर लिया कि उन्हें अपना परिवार दो बच्चों तक सीमित रखना है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए दो बच्चे होते ही उन्होंने नसबंदी करा ली। ओंकार ने कहा वह अब दो बच्चे के साथ बहुत खुश हैं और बच्चों की परवरिश बहुत अच्छी तरह कर रहे हैं। इसी तरह आईयूसीडी अपनाने वाली पूजा ने भी अपने अनुभव साझा किये। सम्मेलन में होशियारपुर और मोरना के आस-पास के क्षेत्रों से सास-बेटा-बहू ने प्रतिभाग किया। सभी ने एक मंच पर उपस्थित होकर परिवार नियोजन की बात की और अपने अनुभव साझा किये।
इस अवसर पर एनयूएचएम के नोडल अधिकारी एवं उप जिला चिकित्सा अधिकारी डा. जैसलाल ने छोटे परिवार के लाभ और सम्मेलन के उद्देश्य के बारे में बताया। डा. जैसलाल ने कहा-परिवार छोटा होता है तो बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, खानपान, परवरिश बहुत अच्छे से होती है, परिवार जितना बड़ा होता जाता है चीजें उतनी ही बंटती चली जाती हैं। उन्होंने दो बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर रखने की बात भी कही। साथ ही बच्चों के नियमित टीकाकरण की जरूरत बतायी।
जिला अपर शोध अधिकारी केके भास्कर ने कहा- छोटा परिवार सुख का आधार होता है यही समझाने के लिए सरकार को सास-बेटा-बहू सम्मेलन कराने की आवश्यकता महसूस हुई। उन्होंने कहा- परिवार नियोजन के लिए सरकार ने बास्केट ऑफ च्वाइस दी हुई है। परिवार पूरा न होने तक अस्थाई साधन और परिवार पूरा होने पर स्थायी साधन (नसबंदी) अपना सकते हैं। उन्होंने दो बच्चों के बीच सुरक्षित तीन साल के अंतर और पहला बच्चा शादी के दो साल बाद प्लान करने की सलाह दी।
नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. वंदना कमल ने दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतर क्यों रखना जरूरी है इसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा- पहला बच्चा होने पर महिला का शरीर कमजोर हो जाता है और उसे पोषण की आवश्यकता होती। पैदा होने वाला बच्चा अपनी मां से ही पोषण प्राप्त करता है इसके लिए मां का स्वस्थ होना भी जरूरी है। मां स्वस्थ्य होगी तभी बच्चा भी स्वस्थ होगा। उन्होंने एक बच्चे के बाद अस्थाई साधन और दो बच्चों के बाद स्थायी साधन (नसबंदी) अपनाने की सलाह दी।
कार्यक्रम का आयोजन गैर सरकारी संस्था अग्रगामी इंडिया के सहयोग से किया गया। संस्था के प्रोग्राम मैनेजर हरीश पंत ने कार्यक्रम का संचालन किया और परिवार नियोजन के लाभ, अस्थाई साधन आदि का चित्रों के साथ वर्णन किया। उन्होंने विभिन्न प्रकार से प्रदर्शन करके छोटे परिवार के लाभ और बड़े परिवार के नुकसान समझाए। उन्होंने कहा- जिस तरह से कोई भी काम करने से पहले हम योजना बनाते हैं इसी तरह से परिवार के लिए भी योजना बनानी चाहिए। उपस्थित सास, बेटा बहू से सम्मेलन में दी गयी जानकारी से संबंधित सवाल भी पूछे गये, सही जवाब देने वाले दम्पति किरण-पवन को प्रथम, सुधीर-अनु को द्वतीय और मनीषा- ओंकार को तृतीय पुरस्कार दिया गया। इस सम्मेलन का आयोजन आशा कार्यकर्ता- शोभा, सरिता, संजू (होशियारपुर) और रेखा, हेमा (मोरना) की ओर से किया गया। सम्मेलन में अग्रगामी संस्था से हरीश पंत, ममता, रीता, अभिलाषा शोभा, प्रियंका और यूपीएचसी होशियारपुर के स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।