बोला- यह चीजें समाज पर छोड़ देनी चाहिए
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इसके अलावा कर्नाटक से देश के कई हिस्सों में फैले Hijab विवाद पर भी अपनी राय जाहिर की। संघ का मानना है कि इस मसले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। यह स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए था।
द न्यूज 15
नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत में औरतों की शादी की उम्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए (NDA) सरकार के साथ नहीं है। अपने सबसे बड़े फैसले लेने वाले निकाय की सालाना बैठक से पहले संघ ने साफ कर दिया है कि महिलाओं के लिए शादी की उम्र पर केंद्र की ओर से प्रस्तावित कानून पर उसका मतभेद है। उसका मानना है कि ऐसे मसलों को निर्णय लेने के लिए समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “शादी लायक उम्र के मसले पर फिलहाल चर्चा चल रही है। कई मत हैं। आदिवासियों में या ग्रामीण क्षेत्रों में शादियां जल्दी हो जाती हैं। सरकार इसके पीछे तर्क देती है- (यह रोकता है) शिक्षा और (परिणामस्वरूप) जल्दी गर्भावस्था। पर सरकार भी इसे आगे बढ़ाने की जल्दी में नहीं दिख रही है। सवाल यह है कि सरकार को ऐसे मामलों में कितना दखल देना चाहिए। कुछ चीजें समाज पर छोड़ दी जानी चाहिए।”
सूत्रों की मानें तो सभी की विवाह योग्य आयु को 18 वर्ष से कम करने के लिए सरकार के साथ भी राय साझा की गई थी, लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया। बता दें कि दिसंबर 2021 में सरकार एक विधेयक लाई थी, जिसमें महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है। विपक्ष की आलोचना के बीच विधेयक को आगे की चर्चा के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया।
यही नहीं, देश के हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन ने इसके अलावा Hijab विवाद पर भी अपनी राय जाहिर की। बताया कि यह मुद्दा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। यह स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए था। सूत्रों ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) के मुद्दे पर संघ की भी ऐसी ही राय है और उनका मानना है कि इससे निपटने का फैसला परिवार पर छोड़ देना चाहिए। आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि इन दोनों मुद्दों के साथ बाकी समसामयिक मसलों पर 11 से 13 मार्च को गुजरात के अहमदाबाद शहर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के दौरान चर्चा होने की संभावना है।
दरअसल, एबीपीएस संगठन और उसके काम का जायजा लेने के लिए हर साल एक मीटिंग करता है। साथ ही आगे के ऐक्शन की रूपरेखा भी तैयार करता है। मीटिंग में आरएसएस के सभी टॉप नेता, देश भर के क्षेत्रों के प्रतिनिधि और 30 से अधिक संबद्ध संगठन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “शादी लायक उम्र के मसले पर फिलहाल चर्चा चल रही है। कई मत हैं। आदिवासियों में या ग्रामीण क्षेत्रों में शादियां जल्दी हो जाती हैं। सरकार इसके पीछे तर्क देती है- (यह रोकता है) शिक्षा और (परिणामस्वरूप) जल्दी गर्भावस्था। पर सरकार भी इसे आगे बढ़ाने की जल्दी में नहीं दिख रही है। सवाल यह है कि सरकार को ऐसे मामलों में कितना दखल देना चाहिए। कुछ चीजें समाज पर छोड़ दी जानी चाहिए।”
सूत्रों की मानें तो सभी की विवाह योग्य आयु को 18 वर्ष से कम करने के लिए सरकार के साथ भी राय साझा की गई थी, लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया। बता दें कि दिसंबर 2021 में सरकार एक विधेयक लाई थी, जिसमें महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है। विपक्ष की आलोचना के बीच विधेयक को आगे की चर्चा के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया।
यही नहीं, देश के हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन ने इसके अलावा Hijab विवाद पर भी अपनी राय जाहिर की। बताया कि यह मुद्दा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। यह स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए था। सूत्रों ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) के मुद्दे पर संघ की भी ऐसी ही राय है और उनका मानना है कि इससे निपटने का फैसला परिवार पर छोड़ देना चाहिए। आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि इन दोनों मुद्दों के साथ बाकी समसामयिक मसलों पर 11 से 13 मार्च को गुजरात के अहमदाबाद शहर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के दौरान चर्चा होने की संभावना है।
दरअसल, एबीपीएस संगठन और उसके काम का जायजा लेने के लिए हर साल एक मीटिंग करता है। साथ ही आगे के ऐक्शन की रूपरेखा भी तैयार करता है। मीटिंग में आरएसएस के सभी टॉप नेता, देश भर के क्षेत्रों के प्रतिनिधि और 30 से अधिक संबद्ध संगठन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।