लालू यादव के करीबी नेताओं के बागी तेवर से राजद को होगा नुकसान

0
60
Spread the love

भवेश कुमार

पटना । बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने दलबदल किया। लेकिन इस दौरान सबसे बड़ी मुश्किलें आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लिए खड़ी हुई। एक जमाने में लालू प्रसाद के करीबी रहे 10 नेताओं ने पार्टी छोड़ कर एनडीए का दामन थाम लिया। पार्टी नेताओं के इस बागी तेवर से आरजेडी को कई लोकसभा सीटों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भाजपा नीत सरकार के पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से लाए गए राम को तो एक नहीं कितने कितने विभीषण मिल गए हैं। और ये ऐसे विभीषण हैं जो लालू यादव के काफी करीबी और रणनीतिकारों में से एक रहे हैं। ऐसे में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक महत्वाकांक्षा के विरुद्ध पार्टी छोड़ कर जाने वाले विभीषण कितना नुकसान करेंगे।

राजद सुप्रीमो लालू यादव के खासम खास पूर्व केंद्रीय अली अशरफ फातमी ने लालू यादव का साथ छोड़ जदयू की सदस्यता ग्रहण की और मधुबनी से चुनाव भी लड़ रहे हैं। कभी राजद के ये कद्दावर नेता रहे हैं। इनके प्रभाव मुस्लिम पर तो है खास कर दरभंगा और मधुबनी के मुस्लिमों में अच्छी पैठ है।फातमी के प्रभाव का फायदा एनडीए को दरभंगा में भी मिल सकता है।

वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले बुलो मंडन को काफी निराशा हुई। भागलपुर सीट शेयरिंग में कांग्रेस के हिस्से में चली गई। यहां से इंडिया गठबंधन ने विधायक अजीत शर्मा को चुनावी जंग में उतारा है। बूलो मंडल का भागलपुर लोकसभा में काफी अच्छा प्रभाव है। नाराज बूलो मंडन ने जदयू का दामन थाम लिया है। बूलो मंडल का यह स्टेप भागलपुर के साथ-साथ मुंगेर लोकसभा में भी मददगार साबित हो सकता है।

देवेंद्र प्रसाद यादव समाजवादी नेता के रूप में जाने जाते रहे है। झंझारपुर लोकसभा और इसके आसपास इनका यादवों पर विशेष प्रभाव है। देवेंद्र प्रसाद यादव वर्ष 1989 से 2004 में झंझारपुर से सांसद रहे। टिकट न मिलने से नाराज देवेंद्र प्रसाद यादव ने राजद से विद्रोह कर प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। देवेंद्र प्रसाद यादव के इस विद्रोह का फायदा एनडीए को होगा।

लोजपा के कभी मुख्य रणनीतिकारों में शामिल रामा सिंह ने राजद का दामन था। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाया जायेगा। लेकिन राजद सुप्रीमो ने वैशाली से मुन्ना शुक्ला को चुनावी जंग में उतारा है। रामा सिंह वर्ष 2014 में लोजपा की टिकट पर राजद के नामचीन नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लगभग एक लाख मतों से परास्त किया था। नाराज रामा सिंह फिर लोजपा की सदस्यता ग्रहण कर लालू यादव की परेशानी बढ़ा दी है।

कभी राजद सुप्रीमो लालू यादव के करीबी रहे मो शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब राजद से खुल कर अलग हो गई हैं। चर्चा यह है कि हिना शहाब सिवान लोकसभा की ही नहीं बल्कि सारण में हो रहे लोकसभा चुनाव पर भी प्रभाव डाल कर एनडीए को अपरोक्ष रूप से मदद पहुंचा सकती हैं।बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने भी राजद से नाता तोड लिया है।

अनंत सिंह और उनकी पत्नी नीलम देवी मुंगेर लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने का दम रखती हैं। इनका यह कदम राजद उम्मीदवार अनिता देवी को नुकसान पहुंचा सकता है। और यह जदयू उम्मीदवार ललन सिंह को मदद पहुंचा सकता है।बाहुबली आनंद मोहन, विधायक चेतन आनंद और पूर्व सांसद लवली आनंद ने अरजेडी से नाता तोड कर राजद सुप्रीमो की मुश्किलें बढ़ा दी है।

आम तौर पर आनंद मोहन का उत्तर बिहार के राजपूतों पर विशेष प्रभाव है। इसका नुकसान इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को हो सकता है।सारण में राजद को बड़ा झटका लगा है। प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह ने राजद से नाता तोड़ लिया है। रणधीर सिंह का अलग होना महाराजगंज, सारण लोकसभा में राजद का बड़ा नुकसान हो सकता है।

दरअसल रणधीर सिंह महाराजगंज लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन महाराजगंज कांग्रेस के पास चला गया। इनका विरोध कांग्रेस उम्मीदवार आकाश प्रसाद सिंह को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here