Reason of Emergency in 1975 : कही थी राष्ट्रकवि रामधारी दिनकर की सिंहासन खाली करो कि जनता आती है पंक्तियां
यह तो लोग जानते हैं कि 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगी थी पर यह बहुत कम लोगों को Reason of Emergency in 1975 मालूम होगा कि ऐसे क्या हालात पैदा हो गए थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इमरजेंसी लगानी पड़ी थी। दरअसल 12 जून 1975 को जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनारायण की याचिका पर इंदिरा गांधी को सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी करार दे दिया और 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्टे दे दिया तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अगुआई में विपक्ष का बड़ा आंदोलन हुआ। देश की राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान से जब जयप्रकाश नारायण ने सत्ता के खिलाफ हुंकार भरी तो इंदिरा गांधी बौखला उठीं थी।
दरअसल 1971 के आम चुनाव में राय बरेली से इंदिरा गांधी से हराने वाले समाजवादी नेता राज नारायण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में केस दायर कर उनकी जीत को चुनौती दे थी। राजनारायण ने इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। यह भारतीय राजनीति के इतिहास में पहली बार हुआ था कि देश के प्रधानमंत्री को कोर्ट के अंदर कटघरे में खड़ा होना पड़ा था।
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यह राजनारायण का देश की राजनीति में रचा गया इतिहास ही था कि 12 जून 1975 को जस्टिस जगमोहन सिन्हा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को दोषी करार दिया था। देश की राजनीति और न्यायपालिका के इतिहास में यह फैसला मील का पत्थर माना जाता है। हालांकि 12 दिन के बाद 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इस फैसले पर स्टे लगा दिया था और इंदिरा गांधी को पीएम बनने की इजाजत दे दी थी। यह उस समय का विपक्ष था कि उसे सुप्रीम कोर्ट का स्टे भी मंजूर नहीं था। इस मामले में विपक्ष कुछ सुनने को तैयार नहीं था। देश में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में इंदिरा गांधी के विरोध में ऐसा आंदोलन छिड़ा कि 25 जून 1975 तक यह अपने चरम पर पहुंच गया था। यह देश का ऐसा आंदोलन था जिसमें नेता पीछे थे और जनता आगे।
Why Indira Gandhi imposed Emergency : यह इंदिरा गांधी के खिलाफ बना हुआ माहौल ही था कि कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी को गद्दी छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया था। यह प्रख्यात समाजवादी जय प्रकाश नारायण का सत्ता का विरोध और जनता से किए गया आह्वान ही था कि 25 June 1975 की शाम तक दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों लोग जुट गए थे। यह वह रैली ही थी कि इंदिरा गांधी ने घबरा कर इमरजेंसी लगा दी थी। यही वह दिल्ली का रामलीला मैदान था, जिसमें जयप्रकाश नारायण ने बुलंद आवाज में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की मशहूर पंक्तियां कहीं थी कि सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
जब यह वाक्य बोला जाता है तो कहा जाता है कि Why Indira Gandhi imposed Emergency तो दिल्ली रामलीला मैदान की वह रैली याद आ जाती है जो वास्तव में बड़ी जन रैली थी। यह रैली किस स्तर की थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर जैसे उन सरीखे नेताओं ने भी संबोधित किया था जो बाद में देश के प्रधानमंत्री बने। यह उस समय का जेपी का विपक्ष का प्रभावशाली कद ही था कि जहां उन्होंने इंदिरा गांधी से कुर्सी छोड़ने को कहा वहीं उन्होंने सेना और पुलिस से असंवैधानिक और अनैतिक आदेश मानने से इनकार करने का आह्वान कर दिया था।
इंदिरा गांधी के खिलाफ रामलीला मैदान में यह रैली इतनी प्रभावशाली थी कि इसकी गूंज प्रधानमंत्री आवास तक पहुंच रही थी। रैली इतनी देर तक चली कि रात के 9 बज गए। जेपी की इस रैली से इंदिरा गांधी इतनी घबरा गईं थी कि विरोध को दबाने के लिए उन्होंने Emergency in India 1975 की घोषणा ही कर दी। 25 जून को आधी रात से थोड़ी देर पहले तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल लगा दिया।
यह देश में Emergency in India 1975 ही थी कि अख़बारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई थी। विपक्ष के नेता हिरासत में ले लिए गए थे। आपतकाल लगाने की जानकारी 26 जून की सुबह इंदिरा गांधी ने रेडियो पर दी। 28 जून को अख़बारों ने पन्ने खाली छोड़कर विरोध जताया था। कहने को तो 46 years of Emergency कहा जा सकता है पर इंदिरा सरकार ने इसके बाद 21 महीने तक जो दमनकारी कदम उठाये थे उसे सुनकर दिल कौंध जाता है। नसबंदी भी इनमें से एक था। जनवरी 1977 में इंदिरा गांधी ने चुनाव कराने का फैसला किया। कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। जनता पार्टी ने 345 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। जनता पार्टी की सरकार ने 21 मार्च 1977 को आधिकारिक रूप से आपातकाल हटाया था।
46 years of Emergency : आज के हालात भी इमरजेंसी से कहीं कम नहीं हैं। मीडिया पर सत्ता का कब्जा है। सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है। चाहे किसान आंदोलन हो, सीएए आंदोलन हो या फिर अग्निपथ योजना के खिलाफ होने वाला आंदोलन। हर आवाज को डंडे के जोर पर दबाने का प्रयास किया। सत्ता के खिलाफ उठने वाली आवाज को चुप कराने के लिए मोदी सरकार भी इंदिरा सरकार जैसी नीतियां लागू कर रही हैं। विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग अब फैशन सा बनता जा रहा है। आज फिर reason of emergency in 1975 को जानने की जरुरत है।