Ram Mandir : प्राणप्रतिष्ठान कार्यक्रम का विरोध क्यों?


बलवंत सिंह राजपूत 

भारत के अप्राकृतिक एवम अतार्किक विभाजन से दग्घ ह्रदय के साथ बचपन से राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़े जो सपने देखे थे उनमें से प्रमुख तीन थे: अयोध्या में श्री राम के जन्मस्थान पर रामलला के मंदिर का पुनः निर्माण; कश्मीर से धारा 370 का हटाया जाना; तथा भारत में समान नागरिकता संहिता को लगाया जाना। आपातकाल की अवधि में कारागार में रहते भी इन्ही तीन सपनो को पूरा करने के संकल्पों को बार बार दोहराया था। स्वतंत्र भारत में दीर्घकालीन कांग्रेस शासन में मुस्लिम तुष्टिकरण नीतियों के चलते इन संकल्पों के पूर्ण होने की कोई आशा नहीं थी और लगता था कि शायद अपने जीवन काल में इन तीन संकल्पों को पूर्ण होते देखना संभव न होगा क्योंकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पुनः निर्मित श्री सोमनाथ मंदिर के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा लोकार्पण का जैसा अवांछनीय निरंकुश विरोध तत्कालीन प्रधान मंत्री ( श्री जवाहर लाल नेहरू) द्वारा किया गया था उस से कांग्रेस की सनातन विरोधी एवम हिंदू विरोधी नीति स्पष्ट हो गई थी। उस सरकार की उसी नीति का मूर्खता पूर्ण निर्णय कश्मीर में धारा 370 लगा कर अलगाववाद, कट्टर सप्रदायवाद तथा उस क्षेत्र में निरंकुश आतंकवाद उत्पन्न करना था जिसके दंश देश ने 2014 तक झेले। देश की वर्तमान सरकार ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर और अयोध्या में राममंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करके उक्त तीन संकल्पों में से पूर्ण दक्षता से पूर्ण शांतिपूर्ण ढंग से देश के संविधान का पूर्णतः सम्मान करते हुवे दो संकल्पों को पूरा किया तथा तीसरे संकल्प को पूर्ण करने की आधारशिला तीन तलाक विरोधी कानून लाकर रख दी।
गत पांच सौ वर्षो से अधिक चले संघर्ष में हुये असंख्य बलिदानों के बाद पूर्ण राष्ट्रीय गौरव के रूप में अयोध्या में श्रीराम लला के जन्म स्थान पर अति भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है तथा अयोध्या के त्रेता कालीन वैभव की अतिआधुनिक रूप में पुनःस्थापना हो गई है। आगामी 22जनवरी को उक्त नवनिर्मित जन्म स्थान मंदिर में प्राण प्रतिष्ठान कार्यक्रम का भव्य एवम दिव्य आयोजन होने जा रहा है। यह सभी भारतीय नागरिकों तथा विश्वभर के सनातनियों के लिए अति प्रसन्नता, गर्व तथा जागरण का शुभ कार्य है तथा इसमें लेशमात्र भी राजनीति नहीं है क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम संपूर्ण जगत के लिए वंदनीय एवम अनुकरणीय हैं। तो अपने ही देश की कुछ कुंठाग्रस्त्र राजनैतिक पार्टियां और विशेष रूप से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इसके विरोध में सारी मर्यादा लांघकर अनर्गल प्रलाप और देशद्रोह करने पर क्यों उतारू हो रही हैं। श्रीराम जन्म भूमि न्यास, मंदिर निर्माण समिति तथा विश्व हिंदू परिषद ( जिनमे से कोई भी राजनैतिक पार्टी नही है) के द्वारा देश की सभी राजनैतिक पार्टियों के अध्यक्षों, लोकसभा एवम राज्य सभा में विपक्ष के नेताओं को, सभी मुख्यमंत्रियों को सम्मान निमंत्रण भेजे जाने पर भी कुंठित एवम ईर्ष्यालू कांग्रेस के नेतृत्व में इन सभी विपक्षी नेताओं ने श्री राम मंदिर के इस कार्यक्रम के निमंत्रण को न केवल ठुकराया बल्कि तर्कहीन अनर्गल प्रलाप भी प्रारंभ कर दिया है तथा उनके अनेक दलालों द्वारा फेसबुक एवम यूट्यूब पर मूर्खतापूर्ण एवम रामविरोधी पोस्ट भी डाले जा रहे है जिनसे देश में शांति एवम सौहार्दय पर कुठाराघात किया जा रहा है। अपने इन कुतर्कों के समर्थन में ये मूर्ख सम्मानित शंकराचार्यों के व्यक्तव्यों का भी गलत दुष्प्रचार करके देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे जब कि तीन अति सम्मानित शंकराचार्यों ( द्वारिका शारदा पीठ के स्वामी सदानंद स्वरसती, श्रंगेरी शारदा पीठ के श्री भारती तीर्थ तथा गोवर्धन पीठ पुरी के स्वामी निश्चआनंद स्वरसती जी ) में से किसी ने भी उक्त कार्यक्रम के विरोध में कुछ भी व्यक्तव्य नही दिया है तथा अपने सभी अनुयायियों से उक्त कार्यक्रम में समीलित होने का आग्रह करते हुवे पत्र भी सार्वजनिक किए है। केवल श्री बद्रिकाश्रम ज्योतिरपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ( जिनकी नियुक्ति अभी भी विवादास्पद है) ने अयोध्या में 22 जनवरी को प्रस्तावित उक्त दैविक एवम राष्ट्रीय अस्मिता के कार्यक्रम का अतार्किक विरोध उन मिथ्या कुतर्को के आधार पर किया जो दो तीन दिन पूर्व घोर हिंदू विरोधी तथा कांग्रेस परिवार वाद के परम चाटुकार
कांग्रेस के विवादास्पद नेता दिग्विजय सिंह ने दिए थे क्योंकि ये शंकराचार्य दिग्विजय सिंह के परम मित्र एवम गुरुभाई हैं।
देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी का सनातन विरोध और राम विरोध तो जगजाहिर है। इस पार्टी के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान नेतृत्व तक सभी ने समय समय पर श्री राम और उनके अस्तित्व का घोर विरोध किया है और न्यायालय में श्री राम के अस्तित्व के विरोध में शपथपत्र तक दिया था और उच्चतम न्यायालय में राम जन्मभूमि विवाद पर निर्णय में विलम्ब कराने के कुत्सित प्रयास भी किए थे। परंतु कांग्रेस से वर्तमान कथित गठबंधन किए अन्य राजैतिक दल राममंदिर विरोध करके क्यों अपना अस्तित्व समाप्त करना चाहते हैं। राष्ट्र की अस्मिता के प्रतीक एवम हर भारतीय के गौरव श्रीराम मंदिर कार्यक्रम का इस समय विरोध करके कांग्रेस मिट जायेगी और फिर भारत मेंअगली पीढ़ी यही कहेगी ;
कभी एक थी कांग्रेस।

(लेखक पूर्व कुलपति एवं उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के  पूर्व  अध्यक्ष हैं) 

  • Related Posts

    प्रचंड धूप पर भारी पड़ी श्रद्धा
    • TN15TN15
    • April 7, 2025

     महानवमी और रामनवमी पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब…

    Continue reading
    “हे छठी मईया हमार मनसा पुरईह” का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर 2 नवंबर को
    • TN15TN15
    • October 29, 2024

    आगामी 2 नवंबर को भोजपुरी सिनेमा टीवी चैनल…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    आयशर का डिलीवरी फंक्शन एवं कस्टमर मीट का आयोजन किया गया।

    • By TN15
    • May 15, 2025
    आयशर का डिलीवरी फंक्शन एवं कस्टमर मीट का आयोजन किया गया।

    सूने अब परिवार।।

    • By TN15
    • May 15, 2025
    सूने अब परिवार।।

    सपा सरकार आने पर बाबा साहब के सिद्धांतो पर करेंगे विकास ओर सम्मान : डा. राहुल भारती

    • By TN15
    • May 15, 2025

    भव्य रूप से मनाई जाएगी वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती : योगेन्द्र राणा

    • By TN15
    • May 15, 2025
    भव्य रूप से मनाई जाएगी वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती : योगेन्द्र राणा

    करनाल के वार्डो में करीब 2 करोड़ 54 लाख रुपये की लागत से होनें वाले विकास कार्यो का हुआ शिलान्यास : जगमोहन आनंद

    • By TN15
    • May 15, 2025
    करनाल के वार्डो में करीब 2 करोड़ 54 लाख रुपये की लागत से होनें वाले विकास कार्यो का हुआ शिलान्यास : जगमोहन आनंद

    आतंकी कार्रवाई का उसी का भाषा में दिया जाएगा जवाब : डा अमित कुमार

    • By TN15
    • May 15, 2025
    आतंकी कार्रवाई का उसी का भाषा में दिया जाएगा जवाब : डा अमित कुमार