चरण सिंह राजपूत
कहावत है कि दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर बाजी मार ले जाता है। तो क्या राजस्थान में भी ऐसा ही होने जा रहा है ? जी हां मुख्यमंत्री पद की दौड़ में वसुंधरा राजे और बाबा बालक नाथ की लड़ाई में अश्वनी वैष्णव मौका मारने जा रहे हैं। हालांकि जहां वसुंधरा राजे बीजेपी अध्यक्ष से मिलने दिल्ली आई हैं वहीं बाबा बालकनाथ संसद में गृह मंत्री अमित शाह से मिले हैं। आपको बताते दें कि पहले 25 और फिर बाद में 60 विधायकों के समर्थन को पीएम मोदी ने वसुंधरा राजे के शक्ति प्रदर्शन के रूप में लिया है।
यह माना जा रहा है कि बाबा बालक नाथ को मुख्यमंत्री बनाने पर राजपूत समाज के नाराज होने की आशंका है। वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री बनाने पर जाट समाज बिदक सकता है। ऐसे में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव राजस्थान के सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे निकल गए हैं। मामला बनते न देख दीया कुमारी को भी मुख्यमंत्री बनाया सकता है। देखने की बात यह भी है कि मुख्यमंत्री पद में आरएसएस का भी बड़ा हस्तक्षेप होता है। बीजेपी नेतृत्व को राजस्थान का मुख्यमंत्री जल्द से जल्द इसलिए भी बनाना है क्योंकि गोगामेड़ी हत्याकांड के बाद राजस्थान की कानून व्यवस्था को संभालना बहुत जरूरी हो गया है। हत्या के विरोध में राजपूत समाज आंदोलन पर है। किसी तरह आरोपियों की गिरफ्तारी 72 घंटे के अंदर करने के आश्वासन पर गोगामेड़ी की पत्नी शीला शेखावत ने आंदोलन को कल तक के लिए रद्द किया है। बीजेपी के लिए दिक्कत की बात यह भी है कि 10 दिसम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में क्षत्रिय धर्म संसद है। वहां पर भी गोगामेड़ी हत्याकांड के जोर शोर से उठने की बात की जा रही है।
राजस्थान की फिर से मुख्यमंत्री बनने की चाहत में वसुंधरा राजे दिल्ली पहुंची हैं, उनकी मुलाक़ात बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई है। देखने की बात यह है कि राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठकों का दौर जारी है। दरअसल अश्विनी वैष्णव की भी राजस्थान में अच्छी खासी पकड़ बताई जाती है। गत दिनों जयपुर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में उन्होंने लोगों से अपना धर्म बचाने के लिए एकता दिखाने की अपील की थी। साथ ही मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने का आह्वान किया था। अश्विनी वैष्णव आईआईटी कानपुर से पढ़े लिखे हैं और 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी ऑल इंडिया लेवल पर 27वीं रैंक आई थी। इसके बाद उन्होंने ओडिशा के बालासोर और कटक जिले के डीएम के तौर पर काम किया था। यही नहीं उन्होंने पेनसिलवानिया यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है। उनके मंत्री बनने के बाद से ही उनकी शिक्षा और डिग्रियों के बारे में चर्चा हो रही है, लेकिन एक सवाल यह भी उठ रहा है कि रेलवे में इतना बढ़िया काम करने वाले अश्विनी वैष्णव से रेलवे ले लिया जाएगा ? और कैसे वह पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी लीडरशिप के इतने करीब रहे हैं। उन्होंने ओडिशा के कटक जिले में कलेक्टर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और बाद में बालासोर जिले में कलेक्टर के रूप में कार्य किया। 2003 में, उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उप सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। 2004 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आम चुनाव हारने के बाद वैष्णव ने वाजपेयी के निजी सचिव के रूप में काम करना जारी रखा। उनका योगदान इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी बढ़ा। 2006 से 2008 तक वैष्णव ने मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने बंदरगाह और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जून 2019 में अश्विनी वैष्णव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा। जनसेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने तेजी से पार्टी के भीतर जिम्मेदारियां संभाली। भाजपा में शामिल होने के कुछ समय बाद, वैष्णव को अधीनस्थ विधान और याचिकाओं की समिति के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। इन नियुक्तियों ने इन क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञता और नीति निर्माण में योगदान के लिए उनके समर्पण को प्रदर्शित किया। 8 जुलाई 2021 को वैष्णव ने अपने राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, क्योंकि उन्होंने रेल मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और संचार मंत्री के रूप में शपथ ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस पदोन्नति ने उनकी क्षमताओं और सरकार द्वारा उनमें रखे गए भरोसे को रेखांकित किया। अश्विनी वैष्णव का जन्म 18 जुलाई 1970 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा जोधपुर के सेंट एंथोनी स्कूल और महेश स्कूल से पूरी की। एक मजबूत शैक्षणिक झुकाव के साथ, वैष्णव ने प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की।उन्होंने जोधपुर में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातक (बीई) की डिग्री हासिल की। अपनी असाधारण बुद्धि का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने प्रसिद्ध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) पूरा किया।