Protest at Jantar Mantar : संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा-हस्तक्षेप याचिकाओं की जगह दायर करें मूल याचिकाएं
चरण सिंह राजपूत
Protest at Jantar Mantar : संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार के राष्ट्रीय प्रवक्ता Madan Lal Azad ने एक विशेष बातचीत में कहा है कि जिस तरह से हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है ऐसे में ठगी पीड़ितों को हस्तक्षेप याचिकाओं के द्वारा नहीं बल्कि मूल याचिकाएं दाखिल करके ठगों पर काबू पाने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने पीड़ितों के वकीलों से कहा है कि वे लोग भी वह अपनी फीस के लालच में Fraud Victims Misled न करें। ज्यादातर वकीलों को यह पता होता है कि अग्रिम जमानत याचिकाओं पर हाइकोर्ट्स या सुप्रीम कोर्ट के अधिकार सीमित होते हैं। यदि अदालत इन अधिकारों का अतिक्रमण करेंगी तो इसका लाभ भविष्य में ठगों को ही मिलेगा। ठग अपील दर अपील करके ठगी मामलों को पहले से ही लंबा खींचने में माहिर होते हैं। यदि ठगी पीड़ित और उनके वकील साहिबान ऐसी भूल करेंगे तो उसका लाभ निसन्देह ठगों को ही मिलेगा।
Madan Lal Azad ने कहा कि ठगी पीड़ित जागें और 31 जुलाई के संसद सत्याग्रह में दिल्ली Show strength at Jantar Mantar। उन्होंने कहा कि यदि ठगी पीड़ितों ने 31 जुलाई को Jantar Mantar पर यदि ताकत दिखा दी तो यही सरकार होगी यही अदालतें होंगी एक घण्टे में आपके भुगतान की प्रक्रिया Buds Act 2019 के तहत शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि केवल प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जैसे शातिर राजनेता भी आपको लॉलीपॉप थमाने से बाहर आएंगे और वास्तव में भुगतान करेंगे। Madan Lal Azad ने कहा कि 31 को दिल्ली पहुंचें and Show strength at Jantar Mantar.
Madan Lal Azad ने सुप्रीम कोर्ट के पटना हाई कोर्ट के सभी आदेश निरस्त कर Relief given to Subrata Roy : मदन लाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से सुब्रत राय ही नहीं बल्कि देश के सभी ठगों को राहत मिली है। Madan Lal Azad का कहना है कि विभिन्न हाइकोर्ट्स द्वारा सुब्रत जैसे ठगों की गर्दन पर गिरफ्तारी की जो तलवार लटकी थी और भुगतान के लिए जो न्यायिक दबाव बना हुआ था वह लगभग समाप्त हो गया है।
उन्होंने कहा है कि पटना हाईकोर्ट की मामूली सी तकनीकी भूल के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा करोड़ों लोगों को ठगने वाले सुब्रत को राहत देना निश्चित रूप से करोड़ों ठगी पीड़ितों को निराश करेगा। उन्होंने कहा कि यदि पटना हाईकोर्ट ने ठगी पीड़ितों की intervention petitions को सहारा इंडिया के ठगों की अग्रिम जमानत याचिका से अलग करते हुए सुब्रत राय व उसके सहयोगियों की ठगी पर सुनवाई की होती और उसमें सुब्रत के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया होता तो सम्भवतः सुब्रत राय को यह राहत न मिलती।
Madan Lal Azad का कहना है कि intervention petitions दायर करने वाले साथियों को भी भविष्य में सावधान रहना चाहिए और यह नहीं भूलना चाहिए कि ठग आपसे हमसे कहीं ज्यादा शक्तिशाली हैं, चालाक और शातिर हैं और हम ठगों को हल्के फुल्के हस्तक्षेप माध्यमों से नियंत्रित नहीं कर सकते। Madan Lal Azad ने कहा कि सहारा, पर्ल्स, समृद्ध जीवन, साईं प्रकाश, साईं प्रसाद, विश्वामित्र, आदर्श, हीरागोल्ड, कुबेर, जेवीजी जैसे सैकड़ों मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट्स के भुगतान सम्बन्धी टाइम बाउण्ड आदेश भी इसलिए नाकाम हुए हैं, क्योंकि सेबी, लिक्विडेटर, सीआरसी जैसे कमजोर संस्थानों पर जबरन भुगतान की जिम्मेदारी डाली गई।
Court Hearing : पर्याप्त संसाधनों, समन्वय एवं इच्छाशक्ति के अभाव में सेबी, सीआरसी और लिक्विडेटर करोडों जमाकर्ताओं का भुगतान करने में विफल हुए हैं और हजारों नहीं लाखों करोड़ रुपये का भुगतान को लेकर Court Hearing दशकों से लंबित है। वस्तुतः सेबी हो या सीआरसी (केंद्रीय कॉपरेटिव रजिस्ट्रार) या लिक्विडेटर या नेशनल लॉ कंपनी ट्रिब्यूनल द्वारा अपॉइंट पेशेवर या उपभोक्ता फोरम या अन्य कोई ट्रिब्यूनल यह सब सफेद हाथी हैं जिनके पास दिखाने को तो दांत हैं किंतु खाने के दांत या तो हैं नहीं या उन दांतों का प्रयोग यह घूस खाने में ही कर सकते हैं। लाखों या करोड़ों या हजारों लोगों का भुगतान करने की क्षमता सेबी लिक्विडेटर सीआरसी या रेरा या एनसीएलटी या उपभोक्ता फोरम के पास होती ही नहीं है इस व्यावहारिक सत्य को सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट्स समझते नहीं हैं या सम्भवतः किसी गोपनीय कारण से समझना ही नहीं चाहते।
हमारी संसद ने उपरोक्त सत्य को जाना समझा। इसलिए देश के तमाम ठगी पीड़ित जमाकर्ताओं के भुगतान के लिए वर्ष 2019 में द बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स एक्ट 2019 एक लंबी बहस और अनुसन्धान के बाद बनाया, उन्होंने कहा है कि आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के टॉप अधिकारियों के समूह के अलावा मंत्रियों के समूह ने संसदीय समितियों ने और अनेक अर्थशास्त्रियों ने ठगी मामलों की जटिलता पर गहन शोध विचार विमर्श और मंथन करके सरकार को दर्जनों रिपोर्ट्स सौंपी और एक लंबी कवायद के बाद लगभग 6 वर्ष बाद अनियमित जमा योजनाएं पाबंदी कानून (Buds Act 2019) 31जुलाई 2019 को अस्तित्व में आया जिसे लागू होने से रोकने के लिए ठगों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी और कितनी ही राज्य सरकारों को अस्थिर तक कर दिया और केंद्र को मजबूर कर दिया कि वह Buds Act 2019 के रूल्स नोटिफाइड न करे और इस कानून को वापस ले।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड की आड़ में इस कानून को इसके रूल्स को वापस लेने का प्रस्ताव भी रखा किन्तु ऑल इंडिया बाइकबोट टैक्सी यूनियन के विरोध के कारण मोदी सरकार ऐसा न कर सकी और अंततः वित्त मंत्रालय भारत सरकार को Buds Act 2019 को लागू करने के लिए Buds Ruls 2020 पब्लिश करने पड़े।।
उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जब पूरे देश में Buds Act 2019 रूल्स समेत लागू हो चुका है, जिसे स्वयं राष्ट्रपति अध्यादेश के द्वारा भी लागू कर चुके थे। उस कानून को अध्यादेश को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट या कोई भी हाईकोर्ट या कोई भी राज्य सरकार या कोई केंद्रीय विभाग ट्रिब्यूनल Buds Act 2019 के तहत अपॉइंट सार्वभौमिक प्राधिकरणों को भुगतान की जिम्मेदारी क्यों नहीं दे रहे, क्यों देशभर में Buds Act 2019 के क्रियान्वयन हेतु सक्षम अधिकारी, सहायक अधिकारी नियुक्त नहीं किये जा रहे, क्यों विशेष न्यायालयों का गठन नहीं किया जा रहा, क्यों पुलिस सफलतापूर्वक Buds Act 2019 के तहत एफआईआर दर्ज नहीं कर रही और सबसे महत्वपूर्ण यह कि हजारों ठग आज भी कैसे खुलेआम ठगी का धंधा बदस्तूर कर रहे हैं!
उन्होंने कहा कि Buds Act 2019 लागू होने के बाद से यह राज्यों एवं केंद्र की संयुक्त अनिवार्य कानूनी जिम्मेदारी है कि वह 180 कार्यदिवस में Buds Act 2019 के तहत भुगतान का आवेदन करने वाले प्रत्येक ठगी पीड़ित का जमाकर्ता का धन उसकी जमाराशि के दो से तीन गुणा तक वापस करें और समस्त ठगों को दंडित करें। सुप्रीम कोर्ट, हाइकोर्ट्स, सरकारें और ट्रिब्यूनल Buds Act 2019 के क्रियान्वयन से आज भी बचना चाहते हैं, इसका साफ साफ अर्थ है कि यह सब ठगों को बचाना चाहते हैं। आपका भुगतान नहीं करना चाहते और आप हैं कि आज भी आप सरकार या ठग या दलालों के झांसे में आकर Buds Act 2019 के क्रियान्वयन के लिए लड़ना नहीं चाहते। मदन लाल ने ठगी पीड़ितों से Protest at Jantar Mantar को सफल बनाने की अपील की है।