केरल से एक ऐसा मामला सामने आया हैं जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे एक प्रोफ़ेसर के हाथ काटने के आरोपी को कुल 13 साल बाद सजा मिली प्रोफ़ेसर का हाथ काटने के चर्चित मामले में मुख्य आरोपी सवाद को NIA ने बुधवार को कन्नूर से गिरफ्तार किया है। एनआईए ने उसके बारे में जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। सवाद पिछले 13 सालों से फरार था। सवाद एर्नाकुलम जिले का रहने वाला है। उस पर जुलाई 2010 में अपने साथियों के साथ मिलकर प्रफेसर टी.जे. जोसेफ का दाहिना हाथ काटने का आरोप है।
ये आरोपी प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ता रहा हैं। यह घटना तब हुई, जब जोसेफ अपनी मां और बहन के साथ चर्च से घर लौट रहे थे। NIA ने मामले की जांच की। विशेष NIA अदालत ने 2015 में PFI से संबंध रखने वाले 13 लोगों को दोषी ठहराया था। पिछले साल पूरक आरोप पत्र के हिस्से के रूप में NIA अदालत ने पांच आरोपियों को छोड़ दिया। वहीं, छह लोगों को आरोपी पाया गया।
प्रोफ़ेसर जोसेफ बोले- मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं
सवाद की गिरफ्तारी पर जोसेफ ने कहा कि एक व्यक्ति के रूप में जिसने इसे झेला है, मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन, एक नागरिक के रूप में यह अच्छा है कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने मुख्य अपराधी को गिरफ्तार कर लिया है। हमारी कानूनी प्रणाली उस हद तक विकसित नहीं हुई है। ने प्रोफ़ेसर ने कहा कि इस मामले में उनकी रुचि किसी अन्य व्यक्ति जितनी ही है। जैसा कि मैंने अतीत में कहा था कि जो खो गया है वह वापस नहीं मिलता। इसलिए, यह पीड़ित को न्याय नहीं दिलाता है। हलाकि यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कही मामले हो चुके हैं गौर करने वाली बात यह हैं कि जब यह वारदात हुई थी तो उस समय एक्शन क्यों नहीं लिया गया इतने समय बाद यह फैसला लिया लेने के पीछे भी कही न कही न्याय पालिका की कमी हैं।
जिसके कारण यह फैसला इतने सालो के बाद आया हैं। ऐसा माना जाता था की पहले के समय में लोगो के पास बड़ा धैर्य होता था पर इस तरीके की घटना से माहौल ख़राब होता हैं और बात करे आज के समाज कि तो कट्टर समाज के लोग ज़्यदा बड़ रहे हैं तो सोचने वाली बात यह हैं कि आज से कई साल पहले भी लोगो की सोच जिस प्रकार की थी उस में कोई खास फर्क नहीं आया हैं। और अगर इसी प्रकार से यह सब चलता रहा तो समाज किस दिशा में आगे जाएगा इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।