पूर्वानुमानित अवधि 01 – 02 जून को वर्षा की संभावना

अदरक की मरान एवं नदिया किस्में उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित 

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 29 मई-02 जून, 2023 तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसारः-

पूर्वानुमानित अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल छाये रह सकते है। अगले 31 मई तक ज्यादातर स्थानों में मौसम के आमतौर पर शुष्क रहने की संभावना है। अगले तीन दिनों तक मध्यम हीट वेव की स्थिति बन सकती है। 1-2 जून के आस-पास मैदानी भागों के जिलों में कहीं-कहीं हल्की वर्षा या बुंदा-बुदी होने का अनुमान है। पूर्वी, पश्चिमी चम्पारण एवं सीतामढ़ी जिलों में 30 मई के बाद ही वर्षा की सम्भावना बन सकती है।

 

इस अवधि में अधिकतम तापमान 38-41 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 25-28 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। बुधवार के तापमान पर एक नजर डालें तो अधिकतम तापमानः 36.0 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 1.7 डिग्री सेल्सियस अधिक एवं न्यूनतम तापमानः 25.6 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है।

सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 55 से 60 प्रतिशत रहने की संभावना है।

पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 18 से 20 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने का अनुमान है।

समसामयिक सुझाव देते हुए मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि अगले 2-3 दिनों के दौरान किसान भाई मूंग एवं उरद् की तैयार फसलों की तुड़ाई, रवी मक्का की दौनी एवं दाने सुखाने का कार्य संपन्न कर लें। 1-2 जून के आस-पास कहीं-कहीं हल्की वर्षा की संभावना को देखते हुए कृषि कार्यों में सर्तकता वरतें। हल्दी एवं अदरक की बुआई करें।

हल्दी की राजेन्द्र सोनिया, राजेन्द्र सोनाली किस्में एवं अदरक की मरान एवं नदिया किस्में उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है। खरीफ प्याज की खेती के लिए नर्सरी (बीजस्थली) की तैयारी करें। स्वस्थ पौध के लिए र्नसरी में गोबर की खाद डाले। छोटी-छोटी उथली क्यारियों, जिसकी चौड़ाई एक मीटर एवं लम्बाई सुविधानुसार रखें। खरीफ प्याज के लिए एन0-53, एग्रीफाउण्ड डाक रेड, अर्का कल्याण, भीमा सुपर किस्में अनुशंसित है। बीज गिराने के पूर्व बीजोपचार कर लें। बीज की दर 8-10 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेयर रखें। बीज प्रमाणित स्त्रोत से खरीदकर ही लगावें।

गरमा सब्जियों जैसे भिन्डी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू), और खीरा की फसल में निकाई-गुड़ाई करें। कीट-व्याधियों से फसल की बराबर निगरानी करते रहें। प्रकोप दिखने पर अनुशंसित दवा का छिड़काव करें।

किसान भाई धान का विचड़ा बीजस्थली में लगाने का काम शुरु करें। 10 जून तक लम्बी अवधि वाले धान का विचड़ा गिराने का उपयुक्त समय है। 10 से 25 जून तक मध्यम अवधि वाले धान का विचड़ा बोने के लिए अनुकूल समय है। जो किसान धान की सीधी बुआई करना चाहते है, वे लम्बी अवधि वाले धान की किस्म की बुआई अगले सप्ताह में कर सकते हैं, इसके लिए उनके पास सिंचाई की उचित व्यवस्था हो।

खरीफ मक्का की बुआई के लिए मौसम अनुकुल है। इसके लिए सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेन्द्र संकर मक्का-3, गंगा-11 किस्मों की बुआई करें। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाष का व्यवहार करें। प्रति किग्रा० बीज को 2.5 ग्राम थीरम द्वारा उपचारीत कर बुआई करें। बीज दर 20 किग्रा० प्रति हेक्टेयर रखें।

पशुओं के चारा के लिए ज्वार, बाजरा तथा मक्का की बुआई करें। इसके साथ मेथ, लोबिया तथा राईस बीन की बुआई अन्तर्वती खेती में करने से चारे की गुणवता बढ़ जायेगी तथा दुधारु पशुओं के लिए पौष्टिक चारा प्राप्त होगा। पशुओं के प्रमुख रोग एन्थ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर (डकहा) एवं एच०एस० (गलघोंटू) से बचाव के लिए पशुओं को टीके लगावें।

लीची तोड़ने के बाद लीची के बगीचों की जुताई कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करे। प्रति प्रौढ़ पेड़ 60 से 80 किलोग्गाम कम्पोस्ट अथवा गोबर की सड़ी खाद, 2.5 किलोग्गाम यूरिया, 1.5 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉसफेट, 1.3 किलोग्राम म्युरेट ऑफ पोटाश तथा 50 ग्राम सुहागा के मिश्रण को बृक्ष के पूरे फैलाव में समरुप बिछा कर मिट्टी में मिला दें।

भिंडी की फसल में फल एवं प्ररोह वेधक कीट की निगरानी करें। इसके पिल्लू भिंडी फलों के अन्दर छेद बनाकर उसके अन्दर घुसकर फलों को खाते हैं तथा इसे पुरी तरह नष्ट कर देते हैं। इसकी रोकथाम के लिए सर्वप्रथम प्रभावित फलों को तोड़कर मिट्टी के अन्दर दबा दें। अधिक नुकसान होने पर डाईमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1.5 मि०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

लत्तर वाली सब्जियों में फल मक्खी कीट की निगरानी करें। किसान भाई मई के अन्त तक सभी दुधारू पशुओं को गलघोटु एवं लंगड़ी बीमारीयों से बचने के लिए टिका लगायें। अपने पशुओं को दिन में छायादार सुरक्षित स्थानो पर स्खे एवं अधिक मात्रा में स्वच्छ पानी पिलायें।
तेज धूप में निकलने से पहले भरपेट पानी पीने की जरूरत: डॉ एके राय

घरेलू पेय से बढ़ती है लू से लड़ने की क्षमता, रहता है शरीर में पानी का संतुलन कायम

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। हीट वेव जानलेवा होने की हद तक खतरनाक हो सकता है। इसलिए यथा संभव दिन के समय घरों में ही रहे, और जरूरत के हिसाब से सिकंजी, शरवत्, आम रस, लस्सी, आदि घरेलू पेय का सेवन करते रहे। मुजफ्फरपुर एवं समस्तीपुर जिला क्षेत्र के सुप्रसिद्ध होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ एके राय ने मंगलवार को दक्षिणी हरपुर स्थित निजी आवासीय परिसर के क्लीनिक पर मरीजों को सलाह देते हुए उक्त चातें कही।

उन्होंने कहा कि जब कि दिन निकलते ही सूर्य के तेवर तल्ख हो जाते हैं। ऐसे में लोगों को हरसंभव तेज धूप से बचने की जरूरत है।घर से निकलना बेहद आवश्यक हो तो शरीर को अच्छी तरह से ढक कर निकले और घर से निकलने के पुर्व भर पेट पानी पी ले इससे हीट वेव का असर कम होगा। डॉ राय ने बताया कि गर्मियों में शरीर में पानी का संतुलन बनाये रखना बेहद आवश्यक होता है।

कम पानी पीने के कारण ही इन दिनों लू लगने की शिकायतें बढ़ गई है, यहीं डायरिया, डिसेन्ट्री आदि के मरीजों में वृद्धी हुई है। त्वचा का गर्म, लाल या शुष्क हो जाना, त्वचा झुलस जाना, पसीना न आना, धडकन बढ़ना, सांस की गति बढ़ जाना, सिर दर्द, थकान आदि हॉट स्ट्रोक ( लू लगने) के लक्षण है। इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपने नजदीकी चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को लू लग गई है, तो वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है, उसके शरीर में पानी की कमी हो जायेगी। शरीर का तापमान लगभग 102 डिग्री या उससे अधिक होगा और उसे बार-बार प्यास लगेगी। डॉ राय ने बताया कि युवाओं की तुलना में बच्चों और बुजुर्गों को लू लगने की संभावना बहुत अधिक होती है।

इस लिए इनके लिए अतिरिक्त सावधानी बरतें। बाजार के शीतल पेय, आईसक्रीम आदि के सेवन से बचने का सुझाव देते हुए उन्होने कहा कि घरेलू पेय का उपयोग लाभकारी होगा। इससे लू से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है।
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एक न्यूज राजगीर का और है, फोटो- नहीं आया है, इसलिए कुछ मिनट में जाएगा
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पर्यटक शहर राजगीर में वेंडिंग जोन नहीं बनाने के कारण सड़क किनारे सजती है फल – सब्जी की दुकानें

30 साल से वेंडिंग जोन के लिए लोग लगा रहे गुहार, मिला सिर्फ आश्वासन

— मुख्य सड़क किनारे दुकान लगाने से यातायात हर दिन होती है प्रभावित

राम विलास

राजगीर। आजादी के 76 साल बाद भी पर्यटक शहर राजगीर में एक अदद वेंडिंग जोन नहीं है। वेंडिंग जोन नहीं होने के कारण शहर में सब्जी- फल, मछली आदि की दुकानें सड़क के किनारे फुटपाथ पर लगाई जाती है। इसका खामियाजा स्थानीय लोगों के साथ यात्रियों, पर्यटकों और खासकर यातायात व्यवस्था को भुगतना पड़ता है। हमेशा दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है।

सड़क किनारे फुटपाथ पर दुकान लगाने से शहर की सड़कें सकरी हो गयी है। उसकी खूबसूरती भी समाप्त हो गयी है। यातायात व्यवस्था हर दिन प्रभावित होती रहती है। वेंडिंग जोन नहीं होने के कारण साग – सब्जी, फल – मछली आदि बेचकर जीवन गुजर बसर करने वाले लोग फुटपाथ पर ही दुकान लगाकर रोजी-रोटी का जुगाड़ करने के लिए मजबूर हैं।

फुटपाथ दुकानदार और शहरवासी इस समस्या से निजात पाने के लिए नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन तक गुहार लगा चुके हैं। बावजूद समस्या जस की तस पड़ी है। अभी तक इस समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल पाई है। ऐसा देखा जाता है कि गर्मी की चिलचिला धूप में ग्राहक सड़क किनारे सब्जी, फल, मछली आदि खरीदने के लिए मजबूर हैं।

बरसात के दिनों में इसका हल और बुरा हो जाता है। जब जल जमाव और कीचड़ सड़क किनारे उत्पन्न हो जाते हैं, तब हालात नारकीय बन जाता है। सूत्रों की माने तो वेंडिंग जोन की मांग पर आश्वासन के अलावे कुछ नहीं मिलता है। यही कारण है कि सदी और साल बदल रहे हैं लेकिन समस्याएं जस की तस बनी है।

— क्या कहती है जनता

सब्जी विक्रेता रोशन कहते हैं कि सांसद, विधायक, वार्ड पार्षद सब वोट मांगने के लिए आते हैं। लेकिन बेंडिंग जोन बनाने की बात कोई नहीं करते हैं। बेंडिंग जोन बनाने के लिए फुटपाथ दुकानदार संघ नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन तक बार-बार गुहार लगाता है। लेकिन उनके द्वारा आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया जाता है।

सब्जी विक्रेता राजेश पंडित बताते हैं कि करीब 30-40 साल से बेंडिंग जोन की मांग नगर परिषद और जिला प्रशासन से की जा रही है। वेंडिंग जोन नहीं रहने के कारण फुटपाथ पर दुकान लगाने के लिए मजबूर हैं। सांसद, विधायक और वार्ड पार्षदों को फुटपाथियों की समस्या से कोई लेना देना नहीं है। बेंडिंग जोन बनाने की मांग पर जिम्मेदार गूंगे और बहरे बन जाते हैं। फुटपाथ दुकानदारों की कोई नहीं सुनते हैं।

दुकानदार निर्मल द्विवेदी कहते हैं कि शहर में अनेकों जगहों पर वेंडिंग जोन और नॉन वेंडिंग जोन के साइन बोर्ड लगाये गये थे। लेकिन आज तक राजगीर में बेंडिंग जोन कहीं बनाया नहीं बनाया गया है। नतीजा है कि सड़क किनारे जान जोखिम में डालकर और अपमान सहकर फुटपाथ दुकानदार रोजी-रोटी कमाने के लिए मजबूर है। फुटपाथ पर दुकान लगाने से जाम की समस्या शहर में उत्पन्न होती है। इसके लिए फुटपाथ दुकानदार कम और प्रशासन अधिक जिम्मेदार हैं।

वरीय वार्ड पार्षद डॉ अनिल कुमार कहते हैं कि शहर और सड़कों के सौंदर्यीकरण के लिए राजगीर में वेंडिंग जोन का निर्माण आवश्यक है। नगर परिषद और जिला प्रशासन को मिलकर इस समस्या के निदान के लिए संयुक्त रूप से पहल करनी चाहिए। वेंडिंग जोन के निर्माण होने से सड़कें साफ-सुथरी और चौड़ी तो दिखेगी ही यातायात की समस्या का निदान भी सदा के लिए हो सकता है। वह अगली बोर्ड की बैठक में वेंडिंग जोन बनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे।

पैक्स अध्यक्ष अरुण कुमार कहते हैं कि वेंडिंग जोन शहर की जरुरतों में एक है। दुर्घटनाओं और सड़क जाम से बचने के लिए राजगीर में वेंडिंग जोन का निर्माण होना बहुत आवश्यक है। इससे केवल फुटपाथ दुकानदारों का ही भलाई नहीं होगी, बल्कि शहर वासियों के साथ देश – दुनिया से यहां आने वाले पर्यटकों की भी भलाई होगी। सड़के साफ सुथरी रहेगी तभी यातायात सुगम हो सकेगा।
आज की डिबेट एक बजे किसकी बनेगी सरकार और कौन बनेगा प्रधानमंत्री पर करेंगे।
आपका स्वागत है।

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