
राजकुमार जैन
प्रधानमंत्री ने फरमाया कि माफ करना मुझे पहली बार जब गांधी फिल्म बनी तब दुनिया में क्यूरियोसिटी (जिज्ञासा) हुई कि यह कौन आया? गांधी फिल्म बनने से पहले महात्मा गांधी को कोई नहीं जानता था।
मोदी जी इतिहास में दर्ज है कि बरतानिया हुकूमत ने 1757 से लेकर 1947 तक 190 साल हिंदुस्तान पर राज किया। हिंदुस्तान पर ही नहीं दुनिया के 75% हिस्से यानी 64 मुल्कों पर ब्रिटिश जैक लहराता था। 1931 में महात्मा गांधी गोलमेज कांफ्रेंस में शिरकत करने के लिए लंदन गए थे। उस समय इंग्लैंड के बादशाह जॉर्ज पंचम ने मजबूरी में शाही महल में गांधी को चाय पीने के लिए बुलाया। उस वक्त गांधी एक धोती और चप्पल तथा सूती खेस ओढे हुए थे। गांधी जी से सवाल किया गया कि बादशाह से मुलाकात के वक्त इस तरह के कपड़े पहनना क्या जायज है? गांधी ने इस पर जवाब दिया की बादशाह जितने कपड़े पहने हुए हैं, वह हम दोनों के लिए काफी है।
इंग्लैंड का प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल हिंदुस्तानियों को नफरत की निगाह से देखता था। उसने बादशाह और गांधी की मुलाकात को शर्मनाक करार देते हुए कहा था, यह कितना खतरनाक और नाकाबिलेबर्दास्त है कि विलायत से बैरिस्टरी पास कर आया यह आदमी अब अर्धनग्न फकीर महल की सीढ़िया पर दनदनाते हुआ चला जा रहा है। और बरतानिया हुकूमत के खिलाफ सिविलनाफरमानी की मुहिम के बावजूद बादशाह के नुमाइंदे के साथ बराबरी के साथ समझौते की बात कर रहा है।
वक्त की नजाकत देखिए, इसी गांधी की मूर्ति को इंग्लैंड के पार्लियामेंट स्क्वायर में वहां के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून की मौजूदगी में लगाया गया। हिंदुस्तान में इंग्लैंड के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने गांधी के कत्ल पर कहा था।
“ब्रिटिश हुकूमत हमेशा के लिए लगने वाले दाग से बच गई। आपका कत्ल आपके मुल्क आपके राज्य आपके ही लोगों ने किया है। यदि तवारीख ने बिना किसी भेदभाव से इसका मूल्यांकन किया तो वह आपको (गांधी) बुद्ध के समान ही दर्जा देगी। कोई कौम इतनी एहसानफरामोश, खुदगर्ज कैसे हो सकती है, जो पिता के समान अपने ही मार्गदर्शक की छाती छलनी कर दे। यह तो बेखौफ, बर्बर, आदमखोर कबीलों में भी नहीं, और उस पर कोई शर्म, हया, अफसोस तक नहीं है।
मोदी जी लॉर्ड माउंटबेटन की यह मर्माहत टिप्पणी किसकी और इशारा कर रही है, कौन गांधी के हत्यारे थे। आप अच्छी तरह जानते हैं।
आपने नेल्सन मंडेला का जिक्र किया कि उनकी शोहरत पूरी दुनिया में है, गांधी जी की क्यों नहीं हुई?
27 साल जेल के सलाखों के पीछे गुजारने वाले मंडेला को जब नोबल पुरस्कार मिला तो उन्होंने कहा था। मेरी इस कामयाबी का श्रेय महात्मा गांधी को जाता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत महात्मा गांधी का जन्म का देश है, परंतु दक्षिण अफ्रीका गोद लिया हुआ देश है। नेल्सन मंडेला ने टाइम्स मैगजीन में गांधी पर एक लेख ‘द सीक्रेट वारियर’ के शीर्षक से लिखा था। उसमें उन्होंने गांधी जी को गुलामी विरोधी इंकलाबी कहा था। उन्होंने आगे लिखा कि गांधी जी की यह बात की हमें तभी दबाया जा सकता है, जब हम हमला करने वाले से ही गलबाही करना शुरू कर दें। गांधी जी की सीख के कारण दुनिया के गुलाम मुल्को, नस्लभेद की मुखालफत करने वाली मुहिमों को ताकत मिली थी।
नरेंद्र मोदी ने इसी बाबत मार्टिन लूथर किंग का हवाला देते हुए कहा की लूथर को सब जानते हैं, गांधी को क्यों नहीं जाना जाता? इसी लूथर मार्टिन किंग ने गांधी के बारे में कहा, गांधीवादी दर्शन आजादी के लिए लड़ी जा रही मुहिम में सताए गए लोगों के लिए एक खुला नैतिक और अमल में लाया जाने वाला सही तरीका था। 10 फरवरी 1959 को जब मार्टिन लूथर किंग जूनियर हिंदुस्तान आए तो उन्होंने कहा, “दूसरे मुल्कों में मैं बतौर एक सैलानी के जाता हूं, परंतु भारत में तीर्थ यात्री के रूप में आया हूं।
मोदी जी आपको पता है कि ब्रिटेन, अमेरिका, पाकिस्तान, चीन, जर्मनी तथा ऐसे 84 मुल्कों में 110 से अधिक मूर्तियां गांधी की लगी हुई है। गांधी फिल्म बनने से पहले ही 75 मुल्कों में गांधी की मूर्तियां लग चुकी थी। गांधी जी के इंतकाल पर संयुक्त राष्ट्र संघ का झंडा झुकाया गया था। महान वैज्ञानिक सर आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “आगे आने वाली नस्ले यह जानकर हैरत करेंगी कि कोई हाड मांस का बना ऐसा मानव पृथ्वी पर चला भी था। जो अहिंसा और सत्य के बल पर चलता था। गुरुदेव रविंदनाथ ने ही पहली बार महात्मा के खिताब से गांधी जी को नवाजा था। मोदी जी आपकी पार्टी मुसलसल गांधी सुभाष के झगड़े को उछालती रहती है, परंतु मत भूलिए सुभाष बाबू ने ही गांधी को राष्ट्रपिता की पदवी दी थी।
दुनिया की मशहूर टाइम्स पत्रिका ने 1930 में गांधी जी को ‘मैन ऑफ द ईयर’ तथा टाइम्स के कवर पर तीन बार गांधी जी का फोटो छापा था। आप प्रधानमंत्री हैं कुछ भी बोल सकते हैं। तवारीख की नई इबारत लिख सकते हैं। हिंदुस्तान के तमाम समाचार चैनलों, अखबारों पर आपका पहरा है, परंतु मत भूलिए इतिहास अपने को दोहराता है। प्रधानमंत्री पद की गरिमा हमारी भी गरिमा है। इसलिए हम फिकरमंद है।