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पटना में गंगा किनारे लगेगा प्रशांत का टेंट

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 नीतीश सरकार को देनी पड़ी परमिशन

 पटना। प्रशांत किशोर को पटना के मरीन ड्राइव (गंगा किनारे) पर सत्याग्रह करने की अनुमति मिल गई है। ये परमिशन 70वीं बीपीएससी परीक्षा में कथित धांधली के आरोपों के विरोध में उनके सत्याग्रह के लिए दी गई है। जिला प्रशासन ने कुछ शर्तों के साथ यह अनुमति प्रदान की है। इससे पहले बिना अनुमति टेंट लगाने पर रोक लगा दी गई थी। पीके जल्द ही मरीन ड्राइव पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। बीपीएससी मामले में सबसे पहले तेजस्वी यादव ने एंट्री मारी थी, मगर बहुत जल्द किनारे हो गए। इसके बाद पप्पू यादव ने इसे लेकर बिहार बंद कराया। मगर, प्रशांत किशोर इस मामले को लेकर अब तक डटे हुए हैं। पूरे मामले ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।
बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में कई दिनों से प्रशांत किशोर सत्याग्रह कर रहे हैं, अब मरीन ड्राइव पर गंगा किनारे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। पटना के जिलाधिकारी ने उन्हें यह अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी है। सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि किसी भी प्रकार की विधि-व्यवस्था की समस्या नहीं होनी चाहिए। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशांत किशोर की होगी।
इससे पहले, प्रशांत किशोर बिना अनुमति के मरीन ड्राइव के पास टेंट सिटी बनवा रहे थे। जिला प्रशासन ने इस निर्माण कार्य को रोक दिया था, क्योंकि इसके लिए कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी। जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह को पत्र लिखकर इस रोक को हटाने की मांग की थी। डीएम ने मामले में हस्तक्षेप किया और पीके को सत्याग्रह की अनुमति दे दी।
70वीं बीपीएससी परीक्षा में धांधली का आरोप मुख्य कारण है जिसके विरोध में पीके यह सत्याग्रह कर रहे हैं। वे बीपीएससी अभ्यर्थियों का समर्थन कर रहे हैं और उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अब जब प्रशासन ने अनुमति दे दी है, तो पीके जल्द ही मरीन ड्राइव पर आमरण अनशन शुरू करेंगे।
कोर्ट से बेल मिलने के बाद, प्रशांत किशोर मरीन ड्राइव पर बड़े स्तर पर सत्याग्रह की तैयारी कर रहे थे। टेंट सिटी बनाने का उद्देश्य बड़ी संख्या में समर्थकों और कार्यकर्ताओं को एक जगह इकट्ठा करना था। हालांकि, प्रशासन ने बिना अनुमति के निर्माण को रोक दिया। अब, प्रशासन द्वारा लगाई गई शर्तों के साथ, उन्हें मरीन ड्राइव पर सत्याग्रह करने की अनुमति मिल गई है। यह देखना होगा कि आगे स्थिति कैसी रहती है और पीके का सत्याग्रह कितना प्रभावी साबित होता है। प्रशांत किशोर का यह कदम बीपीएससी अभ्यर्थियों के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा, यह भी देखने वाली बात होगी।