चीन के करीबी माने जाने वाले पुष्प कमल दहल, जिन्हें प्रचंड के नाम से भी जाना जाता है। एक बार फिर नेपाल की सत्ता संभाल ली है। आज शाम 4 बजे तीसरी नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। सीपीएन-माओवादी केंद्र के प्रमुख पुष्प कमल दहल ने प्रतिनिधि सभा में 138 की बहुमत संख्या से ज्यादा 168 सांसदों का समर्थन हासिल किया है। पुष्प कमल दहल प्रचंड तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री हैं। कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी के राजनीति में आने के बाद प्रचंड मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गये थे।
पुष्प कमल दहल को नेपाल की हिन्दू राजशााही के खिलाफ एक दशक लंबे विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए भी जाना जाता है। उन्हें माओवादी गुरिल्ला नेता के रूप में भी पहचाना जाता है। तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनाए जा रहे पुष्प कमल दहल को चीन समर्थक के रूप में देखा जा रहा है वह कई बार चीन के समर्थन में बयान देते रहे हेैं। 11 दिसंबर 1954 का पोखरा के पास कास्की के ढिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड करीब 13 साल तक अंडरग्राउंड रहे। उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया जो अंततज् नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ।
पुष्प कमल दहल भारत से सीमा मुद्दे पर लगातार चर्चा करते रहे हैं। 2022 में वह अपनी तीन दिनों की यात्रा पर भारत आये थे। इस दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का मुद्दा उठाया था। इसके साथ ही यहां उन्होंने 1950 के भारत नेपाल मंत्री समझौते की समीक्षा की मांग का उठाया था।