दक्षिण बिहार के जिलों में अगले 24 घंटो में हल्की वर्षा की संभावना

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गरमा मूंग उड़द की बुआई प्राथमिकता के आधार पर करें किसान

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 29 मार्च से 02 अप्रैल, 2024 तक के मौसम पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के अधिकाशं जिलों में आमतौर पर मौसम के शुष्क रहने कि सम्भावना है। बेगुसराय समेत दक्षिण बिहार के जिलो में अगले 24 घंटो में हल्की वर्षा या बुंदा-बुंदी हो सकती है।

इस अवधि मे तापमान मे 3 से 4 डिग्री सेल्सियस कि वृद्धि हो सकती है। जिसके चलते अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। न्यूनतम तापमान में भी वृद्धि होगी और यह 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहने कि सम्भावना है। शुक्रवार की तापमान पर एक नजर डालें तो अधिकतम तापमानः 30.0 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस कम एवं न्यूनतम तापमानः 19.2 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 0.7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है।

पूर्वानुमानित अवधि के दैरान उत्तर बिहार मे धीमी गती से अगले 3 दिनो तक पछिया हवा तथा उसके बाद पुरवा हवा चलने की सम्भावना है।सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 40 से 45 प्रतिशत रहने की संभावना है।मौसम वैज्ञानिक डा ए सत्तार ने किसानों को समसामयिक सुझाव देते हुए बताया है कि गरमा मूंग तथा उरद की बुआई प्राथमिकता देकर 10 अप्रैल से पहले संपन्न करें। खेत की जुताई में 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फूर, 20 किलोग्राम पोटाष तथा 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें।

मूंग के लिए पूसा विशाल, सम्राट, एस०एम०एल०-668, एच०यू०एम०-16 एवं सोना तथा उरद के लिए पंत उरद-19, पंत उरद-31, नवीन एवं उत्तरा किस्में बुआई के लिए अनुषंसित हैं। बुआई के दो दिन पूर्व बीज को कार्बेन्डाजीम 2.5 ग्राम प्रति किलो ग्राम की दर से शोधित करें। बुआई के ठीक पहले शोधित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करें। बीजदर छोटे दानों के प्रभेदों हेतु 20-25 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा बड़े दानों के प्रभेदों हेतु 30-35 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। बुआई की दूरी 30×10 से०मी० रखें। ओल की बुआई करें। बुआई के लिए गजेन्द्र किस्म अनुषंसित है।

प्रत्येक 0.5 किलोग्राम के कन्द की रोपनी के लिए दूरी 75×75 से० मी० रखें।0.5 किलोग्राम से कम वजन की कंद की रोपाई नहीं करे। वीज दर 45-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से रखें। बुआई से पूर्व प्रति गड्ढ़ा 3 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर, 20 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 10 ग्राम युरिया, 37.5 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 16 ग्राम पोटेषियम सल्फेट का व्यवहार करे। ओल की कटे कन्द को ट्राइकोर्डमा भिरीडी दवा के 5.0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर रखने के बाद कन्द को निकालकर छाया में 10-15 मिनट तक सुखने दें उसके बाद उपचारित कन्द को लगायें ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके तथा अच्छी उपज प्राप्त हो सके।

वैसे किसान भाई जो चारा की फसलें लगाना चाहते हैं वें ज्वार की कोहवा प्रभेद लगाएँ। ज्वार के साथ हाईब्रीड मेथ या बोरी जरुर लगावें। कीट-व्याधियों से बसंतकालीन मक्का, टमाटर, बैगन एवं प्याज की फसल की बराबर निगरानी करते रहें। गरमा सब्जियों जैसे भिन्डी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू), और खीरा की बुआई अविलंब संपन्न करें। बिगत माह बोयी गई सब्जियों की फसल में आवष्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई करें।

इन फसलों में कीट की निगरानी करें। कीट का प्रकोप फसल में दिखने पर मैलाथियान 50 ई०सी० या डाइमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1 मि० ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव मौसम साफ रहने पर हीं करें। भिण्डी की फसल मे लीफ हॉपर कीट की निगरानी करें। यह कीट दिखने में सुक्ष्म होता है। हरे रंग के छोटे कीट शिशु व प्रौढ दोनो भिण्डी की पत्तियों के निचले हिस्से में रहते है और रस चुसते है जिसके फलस्वरूप पत्तियों किनारे से पिली होकर सिकुड़ती है तथा प्यालानुमा आकारबनाकर धीरे धीरे सुखने लगती है। फलन प्रभावित होती है। इस कीट का प्रकोप दिखाई देने पर इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मी०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

आम में मटर के दाने के बराबर की अवस्था हो गयी है, इस अवस्था में किए जाने वाले कृषि कार्य निम्न है। मटर के दाने के बराबर फल हो जाने के बाद इमिडाक्लोरप्रीड (17.8 एस०एल०) /1 मि०ली० दवा प्रति दो लीटर पानी में और हैक्साकोनाजोल 1 ग्राम/दो लीटर पानी या डाइनोकैप (46 ई०सी०) 1 मिली दवा प्रति 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से मधुवा एवं चूर्णिल आसिता की उग्रता में कमी आती है। प्लेनोफिक्स नामक दवा/1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है। हलाकि दवा का छिड़काव मौसम साफ रहने पर ही करें।

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