Population Stability Fortnight : रैली निकाल कर दिया ‘छोटे परिवार के बड़े फायदे’ का सन्देश

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Population Stability Fortnight : सीमित परिवार से ही खुशहाली, शिक्षा, स्वास्थ्य और तरक्की संभव : डा. भारत भूषण

Population Stability Fortnight : नोएडा विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) सोमवार को परिवार नियोजन परामर्श दिवस के रूप में मनाया गया। जनपद में इसी के साथ जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा शुरू हुआ। पखवाड़ा का शुभारंभ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बिसरख में हुआ। इस अवसर पर बिसरख ब्लाक में जन जागरूकता रैली निकाली गयी। रैली में समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे के बारे में सन्देश दिया गया।

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रैली में आशा कार्यकर्ता, आशा संगिनी, एएनएम हाथों में परिवार नियोजन से संबंधित स्लोगन लिखी तख्तियां और बैनर लिये हुई थीं। इस बार World Population Day की थीम ‘परिवार नियोजन का अपनाओं उपाय, लिखो तरक्की का नया अध्याय’ है। रैली में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के अलावा स्थानीय ग्रामीण महिलाओं ने भी शिरकत की। रैली को ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि श्यामेंद्र नागर, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. भारत भूषण, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी सीएचसी बिसरख डा. सचिन्द्र मिश्रा ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर भंगेल, दादरी, दनकौर सहित सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यक्रम आयोजित किये गये।

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रैली के उपरांत ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि श्यामेंद्र नागर ने फीता काट कर जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर श्यामेंद्र नागर ने भरोसा दिलाया कि वह Family Planning Program का जोरशोर से प्रचार कराएंगे और सभी ग्राम प्रधानों को पत्र भेज कर इस कार्य में उनका सहयोग लेंगे। उन्होंने पुरुष नसबंदी पर जोर देते हुए पुरुषों का आह्वान किया कि वह परिवार नियोजन में अपनी भागीदारी निभाएं और नसबंदी कराएं। इस अवसर उन्होंने सीएचसी पर उपलब्ध बास्केट ऑफ च्वाइस के बारे में भी जानकारी हासिल की। उन्हें डा. भारत भूषण ने परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

Family Planning Program के नोडल अधिकारी डा. भारत भूषण ने कहा- परिवार की खुशहाली, शिक्षा, स्वास्थ्य और तरक्की तभी संभव है, जब परिवार सीमित होगा। विकास के उपलब्ध संसाधनों का समुचित वितरण और बढ़ती जनसँख्या दर के बीच संतुलन कायम करने के उद्देश्य से आज सबसे अधिक जरूरत जनसँख्या स्थिरीकरण की है। परिवार को सीमित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास बास्केट ऑफ़ च्वाइस का विकल्प मौजूद है, जिसमें स्थायी और अस्थायी साधनों को शामिल किया गया है।

इन अस्थायी साधनों में से अपनी पसंद का साधन चुनकर शादी के दो साल बाद ही बच्चे के जन्म की योजना बना सकते हैं। दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर भी रख सकते हैं। दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखना मां और बच्चे दोनों की बेहतर सेहत के लिए बहुत जरूरी है। जब परिवार पूरा हो जाए तो स्थायी साधन के रूप में नसबंदी का विकल्प चुन सकते हैं ।

उन्होंने बताया समुदाय में Family Planning के प्रति जागरूकता लाने के लिए फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं के माध्यम से दो चरणों में परिवार नियोजन पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसके पहले चरण में 27 जून से 10 जुलाई तक दम्पति सम्पर्क पखवाड़ा मनाया गया, जिसके तहत लक्षित दम्पति को चिन्हित कर परिवार नियोजन साधनों को अपनाने के प्रति प्रेरित किया गया। अगला चरण जनसँख्या स्थिरता पखवाड़ा सोमवार से शुरू हो रहा है जो 30 जुलाई तक चलेगा। इसके तहत लक्षित दम्पति को सेवा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन के बारे में किशोर-किशोरियों को भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि भविष्य में वह सही समय पर सही कदम उठाने के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकें।

इस अवसर पर लाभार्थी लवीना ने कहा कि उन्होंने बिसरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित कार्यक्रम में पति के साथ पहुंचकर परिवार नियोजन के साधनों के बारे में जानकारी हासिल की। उन्होंने बताया “अभी हमारी शादी को चार महीने हुए हैं और अभी हमको बच्चा नहीं चाहिए, इसके लिए हमने गर्भनिरोधक गोली के विकल्प को Sterilization Option चुना है।”

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परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए लेबर कमिश्नर से मिले : उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. पवन और परिवार नियोजन विशेषज्ञ अभिषेक कुमार सिंह ने सोमवार को लेबर कमिश्नर से मुलाकात कर परिवार नियोजन कार्यक्रम में उनका सहयोग मांगा। उनसे मांग की गयी कि वह अपने स्तर पर सभी उद्यमियों से पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए कहें। डा. पवन ने कहा कि यदि लेबर कमिश्नर कुछ ऐसी व्यवस्था करा दें कि नसबंदी कराने वाले श्रमिक की छुट्टी और तनख्वाह न कटे तो इससे श्रमिक वर्ग नसबंदी के लिए तैयार हो सकता है, क्योंकि बहुत से पुरुष नसबंदी तो कराना चाहते हैं पर छुट्टी और वेतन कटने के डर से पीछे हट जाते हैं। यदि उद्योगपति उनकी इस समस्या का समाधान कर दें तो परिवार नियोजन कार्यक्रम को और गति मिल सकेगी।

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