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सियासत: बिहार उपचुनाव में जन सुराज पार्टी का लिटमस टेस्ट

शिक्षक, डॉक्टर और सेनानी—कौन है पीके का दांव?

दीपक कुमार तिवारी

पटना। 2025 के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में एक नई हवा चलाने का दावा करने वाले जन सुराज पार्टी के नायक, प्रशांत किशोर (पीके), ने विधान सभा उपचुनाव के लिए तीन ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो पारंपरिक राजनीति से हटकर समाज को नई दिशा देने का वादा करते हैं। ये उम्मीदवार शिक्षक, डॉक्टर, और सेनानी की भूमिका निभाते हुए जनता के बीच अपनी पहचान बना चुके हैं।

प्रशांत किशोर ने बेलागंज विधानसभा सीट से प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाकर मुस्लिम समुदाय के साथ किए गए वादों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। हुसैन, गणित के प्रोफेसर रहे हैं, जिन्होंने समाज को शिक्षा का योगदान दिया है। उनके चुनावी सफर में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता उन्हें एक शिक्षाविद् के रूप में स्वीकार करेगी या जातीय समीकरण का खेल चलेगा।

इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से जन सुराज ने एक शिशु रोग विशेषज्ञ को उतारा है, जिन्होंने कम फीस में गरीबों का इलाज कर अपनी पहचान बनाई है। कोविड-19 के दौरान उनकी नि:शुल्क सेवाओं ने उन्हें जनता के बीच एक मसीहा की छवि दी।

तरारी विधान सभा से पीके ने एक ऐसे पूर्व सेनानी को चुना है, जिनका जीवन देश की सुरक्षा में बीता है। अब वे बदलाव की उम्मीद के साथ जनता के बीच आए हैं, और देश के लिए जागकर सेवा करने वाले अब जनता के लिए नई राजनीति का विकल्प पेश कर रहे हैं।

जन सुराज के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती का कहना है, “हम मजबूत नहीं, सही लोगों को चुनते हैं। हमारा उम्मीदवार जनता के बीच से आता है, और उसकी छवि साफ-सुथरी होती है। यह जनता पर निर्भर करता है कि वे इस नए ट्रेंड के साथ चलते हैं या पारंपरिक धनबल, बाहुबल और जातिवाद की राजनीति का हिस्सा बने रहते हैं।”

जनता के इस चुनावी लिटमस टेस्ट में अब देखना होगा कि वे किसे चुनती है—समाज को देने वाले उम्मीदवारों को या फिर पुरानी धारणाओं को।

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