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Politically Influenced Journalism : घातक साबित हो रही राजनीतिक दलों से प्रभावित पत्रकारिता

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Politically Influenced Journalism : भावनाओं पर आधारित पत्रकारिता करने वाले पत्रकारोंं की बढ़ रही भीड़

Politically Influenced Journalism : जिस तरह से जी न्यूज में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान को अपने हिसाब से बनाकर कार्यक्रम चलाया गया, उसे भूल तो कतई नहीं कहा जा सकता है। एक आम आदमी भी जानता है कि राहुल गांधी ने ये बच्चे हैं इन्हें समझ नहीं है ये क्या कर रहे हैं, किस मामले को लेकर बोला था। दरअसल राहुल गांधी का यह बयान केरल के उनके संसदीय क्षेत्र वायनाड के कार्यालय पर हुए हमले को लेकर आया था। जी न्यूज में दिखाया गया उदयपुर हत्याकांड से जोड़कर। वह भी चैनल के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम डीएनए में।

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भले ही जी न्यूज ने मामले को लेकर माफी मांग ली हो पर यह सीधा-सीधा Rahul Gandhi’s statement  को लेकर लोगों को भ्रमित करने वाला मामला है। इस तरह के मामले राजनीतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया पर चलाये जाते रहे हैं पर क्या टीवी चैनल भी चलाने लगें ? भले ही जी न्यूज ने एंकर Rohit Ranjan को हटा दिया गया हो, भले ही दो प्रोड्यूसरों विकास कुमार झा और नरेंद्र सिंह के खिलाफ नोएडा सेक्टर 20 थाने में मामला दर्ज कराकर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया हो पर यह मामला मीडिया हाउसों में भी पनप रही राजनीतिक दलों से प्रभावित Journalism को उजागर करता है।

क्या कोई पत्रकार या मीडिया हाउस इतना गैर जिम्मेदार हो सकता है कि Rahul Gandhi’s Statement को भड़काऊ बनाकर दिखाए ? इस प्रकरण से साबित होता है कि कैसे खबरों को तोड़मरोड़ कर दिखाया जा रहा है। दरअसल इस तरह की खबरों से समाज का माहौल खराब होने का अंदेशा बना रहता है। पार्टियों के प्रति हमदर्दी और नफरत का माहौल बनता है।

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दरअसल मीडिया घरानों में गैर जिम्मेदार और सनकी पत्रकारों की एक बड़ी फौज बनकर तैयार हो गई है। जो भावनाओं पर आधारित पत्रकारिता कर रही है। दरअसल पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है, जिसकी न केवल समाज बल्कि देश के प्रति भी बड़ी जिम्मेदारी होती है। वह पत्रकारों का जज्बा और देश के प्रति प्रतिबद्धता वाली Journalism ही थी, जिसके दम पर आजादी की लड़ाई को गति दी गई थी।

Journalism in Movement : वह Journalism ही थी जिसने ईमरजेंसी के खिलाफ लड़ने का माहौल बनाया था। वह पत्रकारिता ही थी जिसने अन्ना आंदोलन को एक सकारात्मक दिशा दिलाई थी। Journalism पर यदि प्रभावशाली लोगों से प्रभावित होने के आरोप लगें तो इस पर चर्चा और मंथन होना ही चाहिए। किसी मीडिया हाउस की जिम्मेदारी और जवाबदेही जनता के प्रति होती है न कि प्रभावशाली लोगों के प्रति। दैनिक जागरण ने भी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बारे में गलत शब्द प्रकाशित कर दिया गया था। हालांकि जागरण प्रबंधन के माफी मांगने पर मामला शांत हो गया था।

माफी तो जी न्यूज ने भी मांग ली है पर क्या इस तरह के प्रकरण पत्रकारिता को बदमान नहीं कर रहे हैं ? क्या कोई जिम्मेदार चैनल या जिम्मेदार पत्रकार इस तरह का कार्यक्रम तैयार कर सकता है ? निश्चित रूप से पत्रकारों में भी विचारधारा होती है पर क्या कोई जिम्मेदार पत्रकार इस तरह के कार्यक्रम बनाकर चला सकता है ? Journalism की पहचान Journalism in Movement से होती है।

रायपुर पुलिस ने बुधवार को टीवी एंकर Rohit Ranjan के उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में उनके आवास पर नहीं मिलने पर भगोड़ा घोषित कर दिया है। यह अपने आप में दिलचस्प है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने रोहित रंजन को भगोड़ा घोषित कर दिया है तो नोएडा पुलिस ने Rohit Ranjan को गिरफ्तार कर मंगलवार देर रात जमानत पर भी रिहा भी कर दिया। उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ पुलिस एफआईआर की कॉपी को लेकर आमने-सामने आ गई है।

छत्तीसगढ़ पुलिस नोएडा में Rohit Ranjan के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कॉपी मांग रही है पर नोएडा पुलिस नहीं दे रही है। रोहित रंजन को सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार मिली है। दरअसल छह जुलाई को बिना याचिका दायर कर उनके वकील ने सुनवाई की तारीख लिस्ट करा थी। इसे राजनीतिक दलों का व्यवस्था में हस्तक्षेप ही कहा जाएगा कि जो विभिन्न प्रदेशों की पुलिस एक दूसरे को सहयोग करती थी, वह अब सहयोग करने के बजाय उलझने लगी है। रोहत रंजन की गिरफ्तारी के मामले में रायपुर और नोएडा पुलिस आपस में ही उलझ गई।

दरअसल रापयुर पुलिस बुधवार को नोएडा के सेक्टर 20 स्थित कोतवाली पहुंची और नोटिस दिया लेकिन नोएडा पुलिस ने नोटिस लेने से इनकार कर दिया। रायपुर पुलिस ने एंकर की एफआईआर से लेकर अन्य जानकारी मांगी, लेकिन नोएडा पुलिस ने कानूनी कार्रवाई बताकर इसको देने से इनकार कर दिया। हालांकि रायपुर पुलिस ने टीवी चैनल के दफ्तर पहुंचकर पूछताछ की और बाहर ही दो नोटिस चस्पा दिये।

नोटिस कार्तिक कृष्णमूर्ति और रजनीश आहूजा के नाम पर थे। नोटिस में 12 जुलाई तक रायपुर के सिविल लाइन थाने में उपस्थित होने को कहा गया है। Rohit Ranjan मामले में जैसे नोएडा पुलिस और रायपुर पुलिस के बीच हुआ है। ऐसा ही मामला दिल्ली में बीजेपी के नेता तेजन्दिर सिंह बग्गा की गिरफ्तारी को लेकर हुआ था। जब पंजाब पुलिस बग्गा को गिरफ्तार करने आई तो दिल्ली पुलिस ने इसका विरोध कर दिया था।

दरअसल दरअसल जी मीडिया कॉरपोरेशन के प्रतिनिधि बी.आर. वेंकटरमन ने दो पूर्व निर्माताओं के खिलाफ ३ जुलाई को दायर एक शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जी न्यूज ने राहुल गांधी के खिलाफ एक गुमराह करने वाला वीडियो प्रसारित करने के लिए चैनल पर माफी मांगी थी, जिसमें केरल के वायडनाड में उनके एमपी कार्यालय में कुछ एसएफआई कार्यकर्ताओं की बर्बरता पर उनकी टिप्पणियों को उदयपुर में की गई एक दर्जी की हत्या से जोड़ दिया गया था।

बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्डस अथॉरिटी से भी संपर्क किया है। जी न्यूज और उसके एंकर रोहित रंजन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। राहुल गांधी के एक भ्रामक वीडियो को वायनाड में उनके कार्यालय पर एसएफआई हमले पर अपनी टिप्पणियों  को उदयपुर की घटना से जोड़ने को लेकर शिकायत की गई थी। भिलाई के कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की शिकायत के आधार पर छत्तीसगढ़ पुलिस गिरफ्तारी के लिए कोर्ट वारंट लेकर मंगलवार तड़के रंजन के घर पहुंची थी। शिकायतकर्ता ने Rohit Ranjan पर Politically Influenced Journalism का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि देश की एकता को तोड़ने के लिए क्लिप को संपादित किया और झूठी रिपोर्ट चलाई।