पुलिस हमारे देश की, हँस-हँस सहती वार।
परिजनों से दूर रहे, ले कंधे पर भार ।।
होली या दीपावली, कैसा भी हो काम।
पुलिस रक्षक दल बने, बिना करे विश्राम।।
हम रहते घर चैन से, पहरा दे दिन रात।
पुलिस सामने आ अड़े, सहने हर आघात।।
अमन शांति कायम रहे, प्रतिपल है तैयार।
सतत सजग हो कर करे, अपराधी पर वार।।
विपदा में बेख़ौफ़ हो, देती अपनी जान।
ऋणी हैं सभी पुलिस के, देते हम सम्मान।
खाकी की सब मुश्किलें, दूर करे सरकार।
व्यवस्थित रहे कायदे, पुलिस बने आधार।।
फिक्र नहीं कोई कहीं, न्यायालय है मौन।
पुलिस चोर की गाँठ को, खोले सौरभ कौन।।
चोर, जुआरी घूमते, पीकर रात शराब।
पुलिस प्रशासन सो रहा, दे अब कौन जवाब।।
सीटी मारे जब पुलिस, बजे हृदय में तार।
अभी तुम्हारी ले खबर, उठती एक पुकार॥
(सत्यवान ‘सौरभ’ के चर्चित दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ से)