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क्षेत्रीय दलों के लिए आफत बनेगा पीएम मोदी का एक लाख गैर पहचान वाले नेता तैयार करना!

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चरण सिंह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कितने भी आरोप लगते रहे पर उन्हें जो करना होता है वह करते हैं। अब तक मोदी वंशवाद और परिवारवाद को लेकर गांधी और यादव परिवार पर ही हमलावर रहते थे अब उन्होंने राजनीति में वंशवाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वह अपने हर कार्यक्रम में वंशवाद का विरोध जरूर दर्ज कराते हैं। प्रधानमंत्री ने अभियान छेड़ा है कि गैर पहचान के एक लाख युवा राजनीति में तैयार करने हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार और वंशवाद को घातक बताया है। प्रधानमंत्री की बात का असर लोगों पर होता है। इसलिए प्रधानमंत्री का वंशवाद के खिलाफ चलाया गया यह अभियान क्षेत्रीय दलों के लिए आफत बनने वाला है। इसमें दो राय नहीं कि बीजेपी भी परिवारवाद और वंशवाद से अछूती नहीं है पर बीजेपी नेतृत्व में अभी तक वंशवाद और परिवारवाद नहीं आया है। उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा, रालोद, अपना दल यहां तक ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद की पार्टी में भी वंशवाद और परिवारवाद देखने को मिल रहा है।
ऐसे ही हरियाणा में चौटाला परिवार, हुड्डा परिवार, बंसीलाल परिवार और भजनलाल परिवार राजनीति पर कब्जा जमाये हुए है। हालांकि बीजेपी में मनोहर लाल खट्टर के बाद नायब सिंह सैनी ने इन परिवार वादियों के खिलाफ लड़कर अपनी सरकार बनाई है। ऐसे ही महाराष्ट्र में एनसीपी में शरद पवार के बाद उनकी बेटी सुप्रिया सुले, अजित पवार। ऐसे ही शिवसेना (उद्धव) में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे। मनसे में राज ठाकरे, तमिलनाडु में एमके स्टालिन, झारखंड में हेमंत सोरेन, जम्मू-कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला उमर अब्दुल्ला, मुफ्ती महबूबा। ऐसे ही हर राज्य में गिने चुने परिवारों ने देश की राजनीति कब्जा रखी है। ऐसे में पीएम मोदी ने दूरगामी सोच के साथ एक लाख गैर पहचान के युवाओं को राजनीति में तैयार करने का यह अभियान छेड़ा है। प्रधानमंत्री के इस अभियान का न केवल देश की राजनीति को फायदा होगा बल्कि देश के आम युवा भी राजनीति में अपनी पहचान बना पाएंगे।
दरअसल देश में राजनीतिक संगठनों की स्थिति यह है कि जैसे ये प्राइवेट कंपनियां बनकर रह गये हों। जिस तरह से कंपनियों में अधिकारी नियुक्त होते हैं ऐसे ही राजनीतिक दलों में पदाधिकारी बनने लगे हैं। जैसे कंपनियों में मालिक के खिलाफ बोलने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ जाता है ऐसे ही राजनीतिक दलों में यदि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ कुछ बोल दिया तो मानो अगले ही दिन पार्टी के निष्कासन हो जाएगा। निजी कंपनियों की तरह इन राजनीतिक दलों में भी गुलाम की तरह काम करते रहो बस। समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि यदि आपका नेता भी गलत चल रहा है तो उसका भी विरोध करो। क्या आज के समाजवाद के ठेकेदार बने घूम रहे नेता अपनी आलोचना सुनना बर्दाश्त करेंगे या फिर कार्यकर्ता अपने नेताओं का विरोध करने का नैतिक साहस जुटा पाएंगे। नहीं न। इन नेताओं की कोई कार्यकर्ता बुराई नहीं कर सकता है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ता नेतृत्व की चाटुकारिता या गुलामी कर अपना काम निकालने की जुगत में लगे रहते हैं।