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PM Modi का 3.0 :  आक्रामक भारत

बी कृष्णा 

भाजपा ( BJP) नेता और राजग ( NDA )संसदीय दल के सर्वसम्मति से चुने गए नेता श्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम 7 :23 बजे तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण ली| शुक्रवार शाम को ही नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर सरकार बनाने का दवा पेश किया था| आज़ादी के बाद लगातार शपथ लेने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बन गए|

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ कई अन्य पडोसी  देशों जैसे नेपाल, भूटान, मालदीव आदि देशों के प्रतिनिधि के भी शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे

इस चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकी है| राजग के अन्य घटक दलों (PARTIES) ने बिना किसी शर्त के इस सरकार को अपना समर्थन देने की बात कही है| भाजपा का अन्य घटक दलों के साथ बननेवाली सरकार पर सम्पूर्ण विश्व की नज़र है |

राजनीति के एक नए और महत्वपूर्ण अध्याय के लिखे जाने की शुरुआत को लेकर ग्रहों की क्या राय है आइये इसे जानें-

शपथ ग्रहण ( Oath  taking ) : 9 जून ( JUNE  ) 2024 / 7 :23 PM / दिल्ली ( DELHI )

A  – सकारात्मक संकेत :

1  – वार – रविवार ( Sunday), सूर्य ( sun)का दिन|

2  – नक्षत्र – पुनर्वसु- गुरु का नक्षत्र|

3 – योग – ध्रुव

4 – करण – वणिजा|

5 – लग्न – वृश्चिक ( scorpio)

6 –  चंद्र राशि – कर्क

7 – नवांश लग्न मीन है | लग्नेश लग्न में है| इसका अर्थ यह है कि बदलती परिस्थितियों में लचीलेपन के साथ और बेहतर तालमेल बैठाकर किसी भी कार्य को करने की क्षमता का होना |

8 – नवांश में चतुर्थेश चतुर्थ भाव में, पंचमेश पंचम में, षष्ठेश छठे भाव में है|

9 – नवांश में नवम भाव पर नवमेश की दृष्टि है|

10 – नवांश में द्वादश भाव पर द्वादशेश की दृष्टि है|

11 –  शुक्र का अस्त होना- शुक्र social media का भी धोतक है। इसके साथ गुरु, सूर्य और बुध का जुड़ जाना इस क्षेत्र से जुड़े कठोर पर चौंकाने वाले निर्णय शीघ्र लिए जाएँगे।

 

सूर्य के स्वामित्व का दिन इस कार्य के लिए शुभ है| पुनर्वसु नक्षत्र के साथ ध्रुव योग का संयोग भी इस कार्य के लिए बहुत ही शुभ है| कर्क राशि का चंद्र भी इसको अपना आर्शीवाद दे रहा है| सरकार विरोधी षड्यंत्रों को उजागर करने में यह चंद्र मददगार साबित होगा|

लग्न पर लग्नेश मंगल और गुरु की दृष्टि, चतुर्थ भाव में चतुर्थेश शनि की उपस्थिति, नवम भाव में नवमेश चंद्र की उपस्थिति एवं सप्तम भाव में सप्तमेश की उपस्थिति अपने सहयोगियों के बीच सहयोगात्मक तालमेल का संकेत दे रहे हैं|

षष्ठेश की छठे भाव में उपस्थिति और शनि की दृष्टि, आक्रामकता के साथ परिवर्तन की एक ऐसी लहर बननी शुरू होगी जहां उम्मीद के परे संगठनात्मक और संरचनात्मक बदलाव किए जाएँगे। चौंकाने वाले संगठनात्मक बदलाव किए जाने का संकेत है। तमाम कयास, अटकलों और संभावनाओं से अलग जाकर कड़े निर्णय लिए जायेंगे|

द्वादश, द्वितीय, अष्टम और दशम का सम्बन्ध सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ वैश्विक पटल पर भारत की धाक का धनक सबको सुनाई पड़ेगा|

B  –  नकारात्मक संकेत

1 – शाम 7 :15 बजे चतुर्थी तिथि का होना|

2  –  रविवार और चतुर्थी के मेल से विष योग का बनना |

शास्त्रों ने चतुर्थी तिथि और ‘विष योग’ इस तरह के समारोह के लिए पूर्णतः त्याज्य बताया है|

लग्नेश मंगल का छठे भाव में जाना जहाँ सीमा सुरक्षा, चाहे वह वैश्विक हो या अंतर्राज्यीय, को लेकर सचेत और सतर्क रहने का संकेत दे रहे हैं|

पंचम भाव में राहु का होना, जनसंख्या नियंत्रण कानून, के राह में आनेवाले अड़चनों की स्थिति का संकेत दे रहे हैं|

दशम भाव पर शनि की दृष्टि का होना सरकार के लिए अपमानजनक स्थितियों के निर्माण का भी संकेत दे रहे हैं|

राजनीति के एक  महत्वपूर्ण अध्याय को  लिखे जाने की जब शुरुआत हो रही हो  ऐसे में ‘चतुर्थी तिथि’ और ‘विष योग’ का निर्माण राह में आने वाली बाधाओं की ओर संकेत कर रहे हैं|

तमाम सकारात्मक संकेतों के बीच ‘चतुर्थी तिथि’ और ‘विषयोग’ का निर्माण जहाँ रंग में भंग डालने का काम कर सकते हैं, ऐसे में भारतवर्ष की चलनेवाली दशा पर भी एक नज़र डालना जरूरी हो जाता है|

वर्तमान में भारत की चलनेवाली विंशोत्तरी दशा चल रही है चंद्र की|

अगले वर्ष यानि वर्ष 2025 में यह दशा बदलकर मंगल की दशा शुरू हो जाएगी| बारहवीं भाव का स्वामी मंगल द्वितीय भाव में होकर छठे भाव से अष्टमेश और एकादशेश गुरु से दृष्ट है| इन भावों के स्वामी का आपस में इस प्रकार जुड़ना भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मजबूती से आगे बढ़ानेवाला साबित होगा|

वर्ष 2026 की शुरुआत होगी मंगल/ राहु की दशा से| यह वह समय होगा जब ‘चतुर्थी तिथि’ और ‘विश योग’ अपना प्रभाव दिखाना शुरू करेंगे| राज्यों को अस्थिर करके देश को अस्थिर करने की एक जोरदार कोशिश शुरू की जा सकती है|

परन्तु शपथ ग्रहण की कुंडली में छठे भाव में मंगल की उपस्थिति और शनि की दृष्टि यह संकेत दे रहे हैं कि संयमित ढंग से सोच विचार कर प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बनाया जा सकता है| मंगल शनि की युति यह संकेत भी दे रहे हैं कि किसी भी प्रकार के हिंसक और आतंकी गतिविधियों से निबटने में सरकार सक्षम होगी| किसी भी प्रकार के जोखिम को उठाने से पीछे नहीं हटेगी|

कुल मिलाकर देखा जाये तो कुछ ऐसे अवसर आएंगे जहाँ ‘शिव’ की तरह विष को गले में धारण करना पड़ेगा लेकिन इस सबके बावजूद आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नए और आक्रामक भारत ने जो अपना पहला सशक्त कदम आगे बढ़ाया है वह सफलता के नए मानक गढ़ेगी| अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की मजबूत उपस्थिति दर्ज होगी|

(लेखिका (ज्योतिषी, योग और अध्यात्मिक चिंतक हैं)

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