PM Modi : स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाएगा Millets को बढ़ावा देना !

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मोटा अनाज न केवल यूरिया खाद और केमिकल युक्त दवाइयों से मुक्त होता है बल्कि पौष्टिक आहार भी माना जाता 

सी.एस. राजपूत 

इसे समय का तकाजा कहें या फिर मिलावटी खाने का लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटे अनाज पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने न केवल संसदीय बोर्ड की बैठक में मोटे अनाज से बने व्यंजन खाने और लोगों को प्रोत्साहित करने को कहा। प्रधानमंत्री ने बाकायदा ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से बोलकर सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष के लिए मोटे अनाज से बना खाना बनवाया बल्कि सबके साथ खाया भी। दरअसल हमारे देश में ऐसा प्रचलन रहा है कि गरीब लोग मोटा अनाज खाकर अपना काम चलाते रहे। चाहे बाजरा हो, चना हो या फिर दूसरे मोटे अनाज ये कभी गरीबों का भोजन हुआ करते थे। अब जब समय बदला तो ये अब अमीरों को खाद्यान्न होते जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि इन खाद्यान्नों के रेट लगातार बढ़े हैं।

प्रधानमंत्री का मोटे अनाज को बढ़ावा देने का बड़ा कारण यह है कि फसलें बिना खाद और पानी के भी ठीक ठाक हो जाती हैं। मोटे अनाज में मिलावट नहीं मानी जाती है। मतलब इस खाद्यान्न को खाद और विभिन्न प्रकार की दवाइयों से दूर माना जाता है। यह भी कह सकते हैं कि मोटा अनाज न केवल पौष्टिक आहार है बल्कि खाद और दवाइयों का असर इस पर नहीं है। यही सब वजह है कि प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज पर जोर दिया है।


दरअसल आज की तारीख में जिस तरह से पैदावार को बढ़ाने के लिए यूरिया खाद और केमिकल युक्त दवाइयों का इस्तेमाल हा रहा है उससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। देश में ह्रदय रोग और शुगर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश कैंसर महामारी की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का मोटे खाद्यान्न को बढ़ावा देने का यह प्रयास देश में स्वास्थ्य के प्रति एक क्रांति ला सकता है। लोग मोटे अनाज के प्रति आकर्षित होने लगे तो न केवल इससे किसानों को फायदा होगा बल्कि लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।

दरअसल हर फसल का मोटा अनाज मौसम के उपयुक्त माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी सांसदों को मिलेट्स खाने और लोगों को इसे खाने के लिए प्रोत्साहित करने की नसीहत देते हुए मिलेट्स मतलब मोटा अनाज को लेकर स्कूल-कालेजों में चर्चा की बात कही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संसदीय दल की बैठक में चुनावी जीत का नहीं बल्कि स्वस्थ रहने का मंत्र भी दिया है। संसद भवन की बैठक में दिया गया प्रधानमंत्री के भाषण का फोकस मोटे अनाज के इस्तेमाल करने पर ज्यादा रहा। उन्होंने मोटे अनाज को जन आंदोलन बनाने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज के पैरवी करते हुए देश में पोषण अभियान को बढ़ावा देने की बात कही है।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स यानी कि मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, मिलेट्स की मांग और स्वीकार्यता बढ़ाने के उद्देश्य से इसके विषय में जागरूकता के प्रसार के लिए अनेक कदम उठा रहा है।

जी -20 से जुड़े लाखों लोगों को मिलेट्स परोसने की कोशिश

भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में जी-20 से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए लाखों लोग भारत आएंगे। सरकार की कोशिश होगी कि उन्हें जो भोजन परोसा जाएगा, उसमें मिलेट्स से बना खाना भी हो। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी सांसदों को मिलेट्स खाने और लोगों को भी इसे खाने के लिए प्रोत्साहित करने के नसीहत देते हुए मिलेट्स को लेकर स्कूल-कॉलेजों में चर्चा और देशभर में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन करने का आह्वान करते हुए इसे एक जनांदोलन बनाने की भी बात बैठक में कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने मिलेट्स से तैयार व्यंजनों पर सांसदों को किया आमंत्रित

मोटा अनाज को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में सांसदों को मोटे अनाज से तैयार व्यंजनों के लिए लंच के लिए आमंत्रित किया था। दरअसल बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में संसदीय कार्य को लेकर संसदीय कार्य राज्यमंत्री के द्वारा एक प्रेजेंटेशन भी दिया गया। साथ ही इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी-20 को लेकर प्रेजेंटेशन भी दिया।

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