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चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर पीएम मोदी ने चला बड़ा दांव, किसानों की सहानुभूति बटोरने की बड़ी रणनीति 

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जयंत चौधरी का एनडीए में जाना तय

चरण सिंह  

चौधरी चरण को भारत रत्न की घोषणा और रालोद मुखिया जयंत चौधरी के प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट को रिट्वीट कर दिल जीत लेने की बात लिखने से अब विपक्ष को समझ लेना चाहिए कि नीतीश की तरह जयंत चौधरी भी उनके हाथ से निकल गये हैं। जिस तरह से नीतीश कुमार ने एनडीए में जाने से पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिलवाया, उसी तरह से जयंत चौधरी ने भी मोदी की शरण में जाने से पहले अपने दादा किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिलवा लिया। यही वजह रही कि उन्होंने अब मीडिया के सामने कह ही दिया कि आज किस मुंह से इनकार करूं। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके लिए बहुत बड़ा दिया है। मेरे लिए भावुक और यादगार पल है। मतलब जयंत चौधरी का एनडीए में जाना पक्का हो गया है। रालोद मुखिया ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया।

कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न की घोषणा करके मोदी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक से विपक्ष के नेताओं को इस बात का एहसास कराया कि वे लोग लंबे समय तक सत्ता में आये पर गांधी परिवार को महत्व देते रहे दूसरे जनता में एक यह भी संदेश दिया कि मोदी ने देश के लिए काम करने वाले नेताओं को सम्मान दिलाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे ही विपक्ष को समेट कर नहीं रख दिया है। ऐसे ही वह अकेले विपक्ष पर हावी नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी का एक एक कदम उनकी रणनीति का एक हिस्सा होता है। सत्ता में रहने के बावजूद जहां वह विपक्ष की गलती निकाल देते हैं वहीं उनके नेताओं को ही सम्मान देकर उनको लज्जित भी कर देते हैं। आज भले ही समाजवादी नेता मोदी के खिलाफ हों पर उन्होंने सबसे अधिक सम्मान भी समाजवादियों को ही दिया। जहां पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और प्रख्यात समाजवादी कर्पूरी ठाकुर को उन्होंने भारत रत्न दिया वहीं मुलायम सिंह को पद्म विभूषण दिलाकर उनके संघर्ष को सम्मान दिया। यह प्रधानमंत्री मोदी का काम करने का तरीका ही कि जो भाजपाई कारसेवकों पर गोली चलाने के नाम पर मुलायम सिंह यादव पर मुखर रहते थे वे पदम विभूषण मिलने ही चुप रहे। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर पीएम मोदी ने किसान आंदोलन की धार को भी कुंद करने का प्रयास किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की राजनीति में एक मिसाल पैदा की है। जिस तरह से उन्होंने भ्रष्टाचार के नाम पर विपक्ष के नेताओं को घेरा है उसी तरह से उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं के गुरुओं को भारत रत्न देकर उनको उनकी गलती का एहसास कराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजवादियों को इस बात के लिए लज्जित किया कि उन्होंने केंद्र की सत्ता में रहते हुए अपने गुरुओं के लिए कुछ नहीं किया वहीं उन्होंने उनके गुरुओं को सम्मान दिलाने का काम किया है। प्रधानमंत्री प्रख्यात समाजवादी कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर समाजवादियों के लिए एक बड़ा संदेश दिया वहीं किसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह, कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर किसानों का मान बढ़ाया है। कांग्रेस को इस बात की नसीहत भी दी है कि कांग्रेस में पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ही नेता नहीं थे आर्थिक सुधारों के लिए जाने जाने वाले नरसिम्हा राव की भारत रत्न पाने के हकदार थे।
हालांकि नरसिम्हा राव ने बाबरी मस्जिद विध्वंस में भी भाजपा का साथ दिया था। अंत समय में अपने राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न की घोषणा कराकर लाल कृष्ण का भी एहसान उतार दिया। दरअसल देश की सत्ता पर जहां लंबे समय तक कांग्रेस काबिज रही वहीं लालू प्रसाद, राम विलास पासवान और मुलायम सिंह यादव भी इस सरकार में शामिल रहे। पर इन लोगों को कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन की याद नहीं आई। वह बात दूसरी है कि ये नेता जहां इन नेताओं को भुनाते रहे वहीं किसान मजदूरों का वोट हासिल करते रहे।
अब लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी जहां कर्पूरी ठाकुर के नाम पर गरीबों को वोट बटोरेंगे वहीं चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन के नाम पर किसानों की सहानुभूति अपने नाम करेंगे। यह प्रधानमंत्री की रणनीति ही है कि वह उन नीतीश कुमार को भी एनडीए में ले आये जो मोदी के खिलाफ इंडिया गठबंधन बनाकर विपक्ष की लामबंदी कर रहे थे। उन्होंने जहां महाराष्ट्र में जहां शिवसेना तोड़ दी वहीं शरद पवार से उनके भतीजे अजित पवार को तोड़ लिया। झारखंड में हेमंत सोरेन को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया। आप नेता संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को जेल भिजवा कर दिल्ली में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की हालत पतली कर दी। बिहार में लालू प्रसाद की हेकड़ी निकाल दी। उत्तर प्रदेश में जहां बोल्ड शासक के रूप में जानी जाती रहीं मायावती को शांत करा दिया वहीं अखिलेश यादव को अलग थलग कर दिया।
मोदी ने जहां अयोध्या में राम मंदिर बनवाकर अपने को साबित किया वहीं जम्मू कश्मीर से धारा ३७० हटाकर कांग्रेस की बोलती बंद कर दी। वाराणसी में ज्ञानवापी मथुरा में ईदगाह का मुद्दा उठाकर सनातम धर्म को आगे बढ़ा दिया। यह मोदी का करिश्माई चेहरा ही है कि बीजेपी का मातृ संगठन माने जाने वाले आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण का पूरा श्रेय मोदी को दे दिया। भागवत ने कहा कि अभी तक अकेले मोदी जी ने ही राम मंदिर के लिए तपस्या की है अब हमें  भी करनी है। उनके इस बयान ने मोदी का कद बहुत बढ़ गया।