चरण सिंह राजपूत
नई दिल्ली। भले ही दोबारा सरकार बनाकर योगी आदित्यनाथ ने 35 साल का रिकार्ड तोड़ा हो, भले ही योगी आदित्यनाथ के सिर पर भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस का हाथ हो पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन पर निगरानी रखना चाहते हैं। इसके लिए वह लम्बे समय से अपने चहेते पूर्व आईएएस अरविन्द शर्मा को डिप्टी सीएम बनवाने में लगे हैं। भले ही वह योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में शर्मा को डिप्टी सीएम न बनवा पाये हों पर इस बार केसव प्रसाद मौर्य के अपनी सीट पर हारने के बाद फिर से अरविंद शर्मा को डिप्टी सीएम बनवाने के प्रयास तेज हो गए हैं।
रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो मीटिंग हुई थी, उसमें गोवा, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में सरकार गठन को लेकर चर्चा होने की बात सामने आई है। इस मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। इस मीटिंग में अहम् मसला उत्तर प्रदेश का रहा। हालांकि सरकार में कौन डिप्टी सीएम होगा और किसे कैबिनेट में जगह मिलेगी, यह तय न हो पाने की खबर है। मंत्रिमंडल को लेकर योगी आदित्यनाथ पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई राष्ट्रीय नेताओं से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। सबसे बड़ा सवाल पार्टी के ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य के भविष्य को लेकर है। योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहे केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से विधानसभा चुनाव जो हार गए हैं। सूत्रों की माने तो केशव प्रसाद मौर्य के स्थान पर एके शर्मा को रखने का प्रयास प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं। यही वजह है कि एक रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश में गृह मंत्री अमित शाह और झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास को पर्यवेक्षक बनाया गया है।दरअसल भाजपा में मोदी के विकल्प को लेकर बड़ा खेल चल रहा है। आरएसएस जहां योगी आदित्यनाथ को मोदी के विकल्प के रूप में तैयार कर रहा है वहीं मोदी चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ उनके वजूद को चुनौती देने की स्थिति में न रहें। यही वजह थी कि सुल्तानपुर में जब पूर्वांचल एक्सप्रेस का उद्घाटन हुआ योगी आदित्यनाथ के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गाड़ी के पीछे चलते हुए तस्वीरें खूब वायरल हुईं। मतलब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री पीएम मोदी के बीच सब कुछ ठीकठाक न होने का संदेश राजनीतिक गलियारे में गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी मोदी वाराणसी में डेरा डालकर अपनी संसदीय क्षेत्र की सीटों को मजबूत करते दिखे। दरअसल मोदी यह बात भलीभांति जानते हैं कि किसान आंदोलन और उनकी सरकार की तमाम खामियों के बावजूद उनका जादू अभी भी लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। अभी भी देश का एक बड़ा तबका उनकी बात पर विश्वास कर रहा है।भले ही मोदी ने 75 साल की उम्र का हवाला देकर मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों को ठिकाने लगा दिया हो। पर अपने लिए वह अपने समर्थकों और उनके भोंपू मीडिया से अपने ही ही बनाये गये नियम कानून तुड़वाने माहौल भी बनवाने लगें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यदि 75 साल की उम्र में मोदी को रिटायर्डमेंट लेना भी पड़े तो वह अपने विकल्प के रूप में योगी आदित्यनाथ की जगह अमित शाह को देखना ज्यादा पसंद करते हैं। यह मोदी का अमित शाह पर अटूट विश्वास ही है कि जिन राजनाथ सिंह ने अपने अध्यक्ष पद का इस्तेमाल करते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में अड़कर लाल कृष्ण आडवाणी के सामने मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनवाया था उनको ही रक्षा मंत्री पद से हटाकर अमित शाह को गृह मंत्री बना दिया था। तरह से गत दिनों में भाजपा में योगी आदित्यनाथ का कद बहुत बढ़ा है। विभिन्न राज्यों के चुनाव में मोदी के साथ ही योगी की भी मांग हुई है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने दोबारा सराकार बनाकर ३५ का रिकार्ड तोड़ा है। इसमें दो राय नहीं कि मोदी समय-समय पर योगी आदित्यनाथ की घेराबंदी करते रहे हैं। जहां उन्होंने योगी आदित्यनाथ के सामने उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग का चेहरा माने जाने केशव प्रसाद मौर्य को बढ़ावा दिया वहीं उन्होंने पूर्व आईएएस अरविंद शर्मा को योगी आदित्यनाथ के साथ डिप्टी सीएम बनवाने का प्रयास किया था। वह बात दूसरी रही कि योगी आदित्यनाथ की जिद और आरएसएस के हस्तक्षेप के चलते अरविंद शर्मा को एमएलसी बनवाने में ही संतोष करना पड़ा। इस बार जब केशव प्रसाद मौर्य अपनी सीट पर चुनाव हार चुके हैं तो उनकी जगह अरविंद शर्मा को एडजस्ट करने का मौका प्रधानमंत्री को मिल गया है। अब देखना यह है कि क्या दिनेश शर्मा और अरविंद शर्मा दो डिप्टी सीएम ब्राह्मण समाज से होंगे। क्या मुख्यमंत्री राजपूत ओैर दो डिप्टी सीएम ब्राह्मण समाज लेकर भाजपा फिर से सवर्णांे की पार्टी होने का आरोप झेलने को तैयार होगी।