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Personality : सोचता  हूं क्या करूं, काम करूं या आराम करूं : राकेश जाखेटिया

समाज  एवं  परिवार की विभिन्न व्यवस्थाओं में  व्यस्त रहते हुए  जीवन के उस पड़ाव पर हू जिसमे दूसरे के अतिरिक्त अपने लिये अब सोचना है कि सोचता हूं क्या करूं … काम करूं या आराम !
ईश्वर ने कुछ  सोच समझ कर   समाज एवं परिवार की विभिन्न गतिविधियों में यू उलझा कर रखा कि उम्र व समय कब और  कैसे निकल गया पता ही नहीं  चला ?  कारण स्पष्ट है कि पारिवारिक तथा सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच जीवन यापन !

अब सोचता हूं  सक्रियता के  लिए कुछ ऐसा सोचा जाए कि अपनी कार्यशैली से वंचित / शोषित वर्ग और अधिक लाभान्वित हो सके जिसे मार्गदर्शन की आवश्यकता हो  जिससे वो भी और स्वस्थ तथा आनंदित रहे !
शिक्षित एवं संयुक्त  राजस्थानी  व्यवसायिक  साधारण परिवार में उत्तर प्रदेश  जनपद बिजनौर के नजीबाबाद  में  65 वर्ष  पूर्व  मेरा जन्म हुआ !  सोचता हूं मेरे लिए ईश्वर ने कोई तो लक्ष्य निर्धारित किया होगा ! जिस कारण क्षेत्र बदलते रहे तथा विभिन्न  विभिन्न विचारधाराओं के व्यक्तियों के संपर्क में  आता रहा तथा कुछ न कुछ सीखने का खट्टा मीठा अवसर  मिलता रहा !

पता नहीं क्यों बहुत लंबे समय तक एक ही वातावरण को सुगंधित ना कर सका ?  परंतु  ईश्वर की कृपा रही कि विभिन्न क्षेत्र के संबंधित व्यक्तियों के अनुभवी व्यक्तियों का सानिध्य मिलता  रहा ! जनपद से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली  में  पर्याप्त रहने का अवसर मिला ! जिसे मैंने जी भर कर जिया ! इस  दौरान बहुत कुछ सीखने का  अवसर मिला चाहे राजनीति क्षेत्र हो या पत्रकारिता या सामाजिक संगठनों का या संस्कृतिक या शैक्षणिक या व्यवसायिक  आदि अनेकों क्षेत्र का आनंद लिया ! एक अच्छा आर्थिक सलाहकार के रूप में भी पहचान बनाने की  भी सफलता मिली परंतु अधिकांश सेवाएं निःशुल्क हुआ करती थी !

पता नहीं इस दौरान जीवन की सारी व्यवस्थाओं को बदलते हुए  देखा !  परिवार के सदस्यों द्वारा अंगुली पकड़ कर चलना , निशुल्क प्राथमिक विद्यालयों से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक की निशुल्क शिक्षा वो भी सरकारी छात्रवृत्ति  के साथ , धार्मिक शैक्षिक परिवारिक सामाजिक स्वास्थ्य आदि संबंधी संस्कार निशुल्क परिवार एवं  समाज के वातावरण से प्राप्त किए !  सरकारी  सड़कें , सरकारी विद्यालय, सरकारी अस्पताल,सरकारी यातायात  रेल बस  सेवा  आदि , सरकारी बिजली – पानी , सरकारी नौकरी , सरकारी संवाद के माध्यम यानी टेलीफोन आदि , सरकारी पोस्ट ऑफिस , मनोरंजन हेतु सरकारी रेडियो एवं दूरदर्शन का भरपूर आनंद लिया !जब कि अब  इन सबका अभाव दिखाई  देने  दिखने लगा हैं यानी अधिकांश अब सब ये निजी हाथों दिखाई देने लगा ! यानि उपरोक्त  अधिकांश  सुविधाएं सशुल्क होती जा  रही  हैं ! हमने शुद्ध हवा , शुद्ध भोजन तथा बुजुर्ग का भरपूर आशीर्वाद लिया ! दो पहिये की  हवा वाली साइकिल का भी स्थानीय  स्तर पर  भरपूर आनंद लिया !

स्वतंत्रता संग्राम   सेनानी का पुत्र होने के कारण   अलग  पहचान  बनती गई और गौरवान्वित होता रहा !
बिजनौर मित्र मंडल –  दिल्ली , बिजनौरी काव्य मंच , अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के माध्यम से  अनेको गण माननीय सदस्यों के संपर्क में आने पर बहुत कुछ  सीखने का अवसर मिला ! अनेकों बार नेशनल न्यूज़ चैनलों पर अपने विचार रखने का अवसर मिला !

लगभग 50 काव्यात्मक विचार  कविताओं के रूप  में अनेकों समाचार पत्रों में गत वर्षों में छप चुके हैं जैसे : “ एक दोस्त जरूरी है जीवन में ” , ” बस चुप मत रहो “, ” मैं समझ ना सका ”  ,  ” मैं खुद  नींद खराब किया हूं ” , ” ये कैसा चमत्कार ” ,” मैं उलझन में उलझ गया ”  ! आजकल राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय  स्तर पर सारी सुविधाएं  एक ही स्थान पर यानि  कंप्लीट मीडिया सॉल्यूशन हेतु ‘ संचार सेवा ‘ , दिल्ली   sancharsewa@gmail.com  के माध्यम से उपलब्ध करा  कर आनंदित हो रहा हूं !

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