
नई दिल्ली | दिल्ली के 70 से अधिक निजी स्कूलों के अभिभावकों का प्रतिनिधित्व कर रहे यूनाइटेड पेरेंट्स वॉइस (UPV) — दिल्ली के संगठित अभिभावक संघ — के प्रतिनिधिमंडल ने आज पुरानी दिल्ली सचिवालय स्थित कार्यालय में दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता श्रीमती आतिशी से मुलाकात की। इस बैठक में दिल्ली फीस विनियमन विधेयक, 2025 से जुड़े गंभीर मुद्दों, छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव और उत्पीड़न, तथा राजधानी के निजी स्कूलों द्वारा की जा रही अवैध फीस वृद्धि को लेकर चर्चा की गई।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल अभिभावकों ने इन सभी मुद्दों को पहले मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री के समक्ष भी उठाया था, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई या राहत नहीं मिली है।
यूपीवी द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे:
1. छात्रों के साथ मनमाने ढंग से फीस वसूली के कारण उत्पीड़न:
कई बच्चों को कक्षाओं में बैठने से रोका गया, स्कूल से नाम काट दिया गया और संचार प्लेटफॉर्म (जैसे व्हाट्सएप) से भी हटा दिया गया। कुछ मामलों में स्कूलों ने बाउंसर तैनात कर दिए और छात्रों के परिणाम रोक दिए — जिससे अभिभावकों व छात्रों को मानसिक तनाव झेलना पड़ा।
2. दिल्ली फीस विनियमन विधेयक, 2025 में अभिभावकों की राय को दरकिनार करना:
यह विधेयक पूर्व-स्थापित विधायी परामर्श नीति (2014) और नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसमें आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण हितधारकों — अभिभावकों — की कोई भागीदारी नहीं रही। विधेयक का कोई मसौदा सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया, जिससे पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों (अनुच्छेद 14, 19(1)(क), और 21) का हनन हुआ।
3. सरकारी प्रतिक्रिया और जवाबदेही की कमी:
मुख्यमंत्री, शिक्षा एवं गृह मंत्री श्री आशीष सूद, सदन की नेता श्रीमती रेखा गुप्ता तथा शिक्षा निदेशालय को कई बार प्रतिनिधित्व दिए जाने के बावजूद अब तक कोई आधिकारिक संवाद या कार्यवाही नहीं हुई है।
विपक्ष की नेता आतिशी मुद्दों की गंभीरता को समझ इसका समर्थन किया
श्रीमती आतिशी ने पूरी बात सुनने के बाद अभिभावकों को पूर्ण समर्थन देने की बात कही और कहा:
> “हम आपकी आवाज़ को मीडिया, विधानसभा, न्यायालयों और ज़रूरत पड़ी तो सड़कों पर भी उठाएंगे। हमारी पार्टी जनआंदोलनों से जन्मी है, और हम दिल्ली के बच्चों और उनके माता-पिता के साथ इस संघर्ष में पूरी मजबूती से खड़े हैं।”
उन्होंने पारदर्शिता, जवाबदेही और बाल केंद्रित शासन की आवश्यकता पर जोर दिया और आश्वासन दिया कि यह मामला सभी लोकतांत्रिक मंचों पर उठाया जाएगा।
UPV की मुख्य माँगें:
दिल्ली फीस विनियमन विधेयक और संबद्ध अध्यादेश को तत्काल स्थगित किया जाए
विधेयक के मसौदे पर न्यूनतम 30 दिन की सार्वजनिक परामर्श अवधि सुनिश्चित की जाए
अभिभावक संगठनों की भागीदारी के साथ पारदर्शी और समावेशी चर्चा हो
वर्ष 2019 से अब तक की सभी अवैध फीस वृध्दियों को वापस लिया जाए
DOE (शिक्षा निदेशालय) के दिशा-निर्देशों और छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर सख्त कार्रवाई हो
मामले की गंभीरता को देखते हुए 24 घंटे के भीतर सरकारी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जाए।