चरण सिंह
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए में जाने के लिए मजबूर करने वाले लालू प्रसाद यादव ने पूर्व सांसद पप्पू यादव के साथ भी खेल कर दिया। खेल भी ऐसा कि पप्पू यादव को कहीं का न छोड़ा। आखिर पप्पू यादव भी तो लालू प्रसाद के ही चेलेहैं। कहां मानने वाले हैं। पप्पू यादव को इस बात की नाराजगी है कि लालू प्रसाद ने पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में तो करा दिया पर खुद ने पूर्णिया की सीट पर जदयू विधायक बीमा भारती को प्रत्याशी बना दिया। पप्पू यादव लालू से भी आगे निकले। पप्पू यादव ने भी कांग्रेस के सिंबल पर नामांकन करने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस के टिकट न देने की स्थिति में पप्पू यादव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी समर में उतर सके हैं। मतलब जैसे लालू प्रसाद ने पप्पू यादव के साथ खेला कर दिया है। ठीक उसी तरह से पप्पू यादव ने भी लालू प्रसाद को सबक सिखाने की ठान ली है। देखने की बात यह है कि यदि पूर्णिया सीट से पप्पू यादव भी चुनाव लड़ते हैं तो राजद प्रत्याशी बीमा भारती का हारना तय है। ऐसे में भाजपा और पप्पू यादव के बीच टक्कर होगी। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार लालू प्रसाद ऐसा खेल क्यों खेल रहे हैं ?
पूर्णिया के साथ ही मुंगेर लोकसभा सीट पर ललन सिंह के सामने उन्होंने अपराधी अशोक महतो की पत्नी को चुनावी समर में उतारा है। वहां पर भी लालू प्रसाद ने एक तरह से ललन सिंह को वाकओवर दिया दे दिया है। बिहार के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यह सब लालू प्रसाद बीजेपी के इशारे पर कर रहे हैं। लैंड फॉर जॉब मामले में लालू प्रसाद का पूरा परिवार जेल जाने वाला था। लोगों का कहना है कि बीजेपी और आरएसएस से कभी न समझौता करने वाले लालू प्रसाद यह सब बीजेपी के इशारे पर कर रहे हैं।परिवार बचाने के लिए बिहार में पूरी सीटें एनडीए को जितवादो। ऐसे में प्रश्न उठता है कि लालू प्रसाद जैसा नेता इस तरह की हरकतें क्यों कर रहा है ? क्या यह सब अपने परिवार को बचाने के लिए किया जा रहा है ? ऐसे में प्रश्न उठता है कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन कैसाहोगा ? देखने की बात यह है कि क्या पूरा विपक्ष बीजेपी के सामने नतमस्तक है ?
क्या बीजेपी जैसा चाह रही है वैसा करा ले रहीहै। उत्तर प्रदेश में बसपा मुखिया मायावती ने बीजेपी के सामने आत्मसमर्पण कर रखा है तो सपा भी बीजेपी के दबाव में नजर आ रही है। चंद्रशेखर आजाद भो सपा की ओर से टिकट न दिये जाने के कारण भी बीजेपी ही बताई जा रही है। बीजेपी की चाल देखिए कि उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद को अकेला छोड़ दिया गया तो दूसरी ओर बिहार में पप्पू यादव को अकेला छोड़ दिया गया। ये दोनों ही नेता इंडिया गठबंधन का फायदा करने वाले हैं। इनको अलग करके बीजेपी का तो ही फायदा किया गया है।
उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद अपनी आजाद समाज पार्टी से 14 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं तो बिहार में पप्पू यादव ने एक तरह से इंडिया गठबंधन से बगावत कर दी। क्योंकि उन्होंने कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ने की बात कही है।मतलब यदि कांग्रेस ने टिकट न दिया तो उनका निर्दलीय लड़ा जाना तय है। यदि पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं अपने दूसरे नेताओं को भी चुनाव लड़ा सकते हैं। ये सभी इंडिया गठबंधन के ही वोट काटेंगे। तो क्या आकाश आनंद और चंद्रशेखर आजाद की तरह पप्पू यादव को भी वाई प्लस सिक्योरिटी दे दीजाएगी। क्योंकि पप्पू यादव भी आकाश आनंद और चंद्रशेखर आजाद की तरह विपक्ष के वोट काट रहे हैं।
दरअसल बिहार में लालू प्रसाद ने कांग्रेस को ९,वामपंथियों को ५ और खुद २६ सीटें रखी हैं। वामपंथियों मेंएक माकपा, एक भाकपा और तीन भाकपा माले। ऐसे में प्रश्न उठता है कि इंडिया गठबंधन की इन लोकसभा कितनी सीटेंआएंगे। इन चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक के कांग्रेस में एकतरफा जाने की बात सामने आ रही है। ऐसे में अखिलेश यादव की संवादहीनता सपा को गर्त ले जा रही है।