चरण सिंह
पूर्व सांसद पप्पू यादव ने जिस अंदाज में पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, उससे तो यही लग रहा है कि पप्पू यादव आने वाले समय में तेजस्वी यादव के लिए खतरा बन सकते हैं। पूर्णिया सीट पर यदि पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला पप्पू यादव और जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा के बीच बताया जा रहा है। ऐसे में यदि पप्पू यादव पूर्णिया से यह सीट निकाल लेते हैं तो बिहार की राजनीति में पप्पू यादव का तेजस्वी यादव पर एक अच्छा खासा दबाव बन जाएगा।
दरअसल आरजेडी की ओर से बीमा भारती को पूर्णिया से चुनाव लड़ाने पर पप्पू यादव ने लालू प्रसाद के खिलाफ पूरी तरह से मोर्चा खोल दिया है। पप्पू यादव ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी है। उधर पूर्व सांसद उदय सिंह अपने बेटे अभिषेक सिंह को जन सुराज पार्टी से चुनाव लड़ाने जा रहे हैं। ऐसे में न केवल बीमा भारती बल्कि एनडीए के प्रत्याशी संतोष कुशवाहा के लिए दिक्कतें खड़ी होने वाली हैं। पूर्णिया सीट के लिए पप्पू यादव बहुत इमोशनल हैं। उन्होंने कह दिया है कि वह दुनिया छोड़ सकते हैं पर पूर्णिया नहीं। पप्पू यादव के बारे में कहा जाता है कि वह एक नेता के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह भाषणाों में गंदली हो चुकी राजनीति पर मुखर होते देखे जा सकते हैं।
पप्पू यादव का कहना है कि लालू प्रसाद उन्हें बांधकर कर रखना चाहते हैं। वह उनकी पार्टी का विलय कराकर उन्हें मधेपुरा से चुनाव लड़ाना चाहते थे। जब उन्होंने पूर्णिया से चुनाव लड़ने की बात कही तो लालू प्रसाद ने कांग्रेस में पार्टी का विलय कर उसके सिंबल पर चुनाव लड़ने का सुझाव उन्हें दिया। पप्पू यादव का लालू प्रसाद पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर पूर्णिया से अपना प्रत्याशी उतारा है। दरअसल जदयू की विधायक बीमा भारती पूर्णिया राजद की प्रत्याशी हैं। तेजस्वी यादव बीमा भारती के नामांकन कार्यक्रम गये और रंगभूमि मैदान में आयोजित चुनावी सभा को भी संबोधित किया। उधर पूर्व विधायक उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह से पप्पू यादव और बीमा भारती दोनों नेता मिले। वह बात दूसरी है कि उदय सिंह ने दोनों में से किसी को भी आशीर्वाद नहीं दिया। जानकारी मिल रही है कि उदय सिंह अपने बेटे अभिषेक सिंह को सुराज पार्टी से चुनाव लड़ा रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि पूर्णिया से तीन बार निर्दलीय चुनाव जीते पप्पू यादव क्या इस बार भी निर्दलीय सीट निकाल लेंगे ?
दरअसल पप्पू यादव ने मधेपुरा की सिंहेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। पप्पू यादव 1990 में सिंहेश्वर सीट से विधायक बने। 1991 में पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़कर सांसद बने। 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े और सांसद बने। 1999 में फिर से निर्दलीय सांसद बने। 2004 में मधेपुरा सीट पर उप चुनाव लड़कर राजद से सांसद बने। 2009 में हत्या के केस में दोषी ठहराने पर पटना हाईकोर्ट ने पप्पू यादव को चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। 2009 में पप्पू यादव की मां शांति प्रिया पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ीं पर चुनाव हार गईं। 2009 में पप्पू यादव को राजद से निकाल दिया गया। 2014 में फिर से पप्पू यादव राजद में आ गये और मधेपुरा लोकसभा सीट पर उप चुनाव लड़ा और शरद यादव को हराकर सांसद बने। 2015 में फिर से पप्पू यादव का राजद से निष्कासन कर दिया गया। पप्पू यादव ने जन अधिकार नाम से अपनी पार्टी बना ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में वह मधेपुरा से चुनाव लड़े पर तीसरे नंबर पर खिसक गये। जदयू के दिनेश चंद्र यादव राजद प्रत्याशी शरद यादव को हराकर सांसद बने।
अब 2024 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पूर्णिया पर पप्पू यादव और जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा के बीच है। यदि पप्पू यादव यह सीट निकाल लेते हैं तो आने वाले समय में तेजस्वी यादव के लिए राजनीतिक दिक्कतें खड़ी कर सकते हैं। पूर्णिया लोकसभा सीट पर 17 लाख मतदाता बताये जा रहे हैं। यहां पर छह लाख मुस्लिम हैं। यादव डेढ़ लाख बताये जा रहे हैं। राजपूत सवा लाख हैं। पूर्णिया लोकसभा सीट पर पिछड़े और एससी मिलाकर पांच लाख मतदाता बताये जा रहे हैं। ऐसे में देखना यह होगा ऊंट किस करवट बैठता है।