
नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में भारत के साथ बातचीत की इच्छा जताई है, जिसमें कश्मीर, आतंकवाद, सिंधु जल संधि और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा की बात कही। यह बयान उन्होंने ईरान और अजरबैजान जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिया। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि बातचीत तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई करे और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को खाली करे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोहराया कि “आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते,” और कश्मीर पर चर्चा केवल PoK की वापसी तक सीमित होगी।
पाकिस्तान का यह प्रस्ताव कुछ हलकों में कूटनीतिक चाल या आर्थिक मजबूरी के रूप में देखा जा रहा है, खासकर हाल के ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के बाद, जिसमें भारत ने सख्त रुख अपनाया। शरीफ ने शांति की बात की, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर भारत आक्रामक रहा तो पाकिस्तान जवाब देगा। भारत ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कोई भी संवाद केवल द्विपक्षीय होगा। इतिहास में पाकिस्तान की शांति पहल अक्सर आतंकी हमलों से जुड़ी रही हैं, जैसे 2008 का मुंबई हमला या 2016 का पठानकोट हमला, जिसके चलते भारत का अविश्वास गहरा है