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बौद्ध सर्किट बोधगया से राजगीर तक बोधिवृक्ष कॉरिडोर बनाने हेतु आयोजित पदयात्रा संपन्न

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बोधिवृक्ष कॉरिडोर पदयात्रा में शामिल हुये बिहार, यूपी,ओडिशा के पदयात्री

राम विलास

राजगीर। चार दिवसीय बोधिवृक्ष कॉरिडोर पदयात्रा मगध साम्राज्य की राजधानी राजगीर पहुंच कर समाप्त हो गया। यह पदयात्रा गया से आरंभ हुआ था। कुल 65 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुये यह दल राजगीर पहुंचा। यहां पहुंचने पर पीपल नीम तुलसी अभियान के संस्थापक एवं बोधिवृक्ष कॉरिडोर निर्माण सह पदयात्रा के संयोजक डॉ धर्मेन्द्र कुमार सहित सभी पद यात्रियों को पीपल एवं नीम के पत्ते से बने माला पहनाकर स्वागत किया गया।

इस ऐतिहासिक पदयात्रा में संयोजक डॉ धर्मेन्द्र कुमार के अलावे सुपौल के ट्रीमैन रवि प्रकाश रवि, वैशाली के अमित मकरंद, मुजफ्फरपुर के कठपुतली कलाकार सुनील सरला, बेगूसराय के साइकिल पे संडे के संयोजक डॉ कुंदन कुमार, मेरठ के राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड सम्मान से सम्मानित मोहनलाल वर्मा, मुरादाबाद के पर्यावरण सचेतक नैपाल सिंह पाल, वैशाली के दिलीप कुमार, मधुबनी के सन्नी कुमार, सारथी अरविन्द कुमार अपने थ्रीव्हीलर के साथ वृक्षों को लेकर साथ रहे। ओड़िशा के मनोज डागा अपने साथ 100 पीपल पौधा लेकर अपने सहयोगी राजकुमार तिवारी के साथ पदयात्रा में शामिल हुए। पदयात्रा के दौरान गया से राजगीर तक हर 500 मीटर की दूरी पर एक बोधिवृक्ष (पीपल) पदयात्रियों द्वारा लगाया गया। बीच – बीच में औषधीय पौधा नीम भी लगाया गया। उनके द्वारा पद यात्रियों को सर्टिफिकेट भी वितरण किया गया। इस अवसर पर बोधिवृक्ष पदयात्रा के संयोजक डॉ धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि देश में पहली बार बोधिवृक्ष काॅरिडोर निर्माण के लिये इतनी लम्बी पदयात्रा किया गया है।

इस पदयात्रा में देश के विभिन्न राज्यों व जिलों के पर्यावरण प्रेमी शामिल हुये हैं। उन्होंने तहे दिल से सभी पद यात्रियों और पर्यावरण प्रेमियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दो बौद्ध सर्किट गया और राजगीर के बीच बोधिवृक्ष काॅरिडोर बनाने के लिये यह पदयात्रा किया गया है। जेठ- वैशाख की गर्मी में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया था। जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया था। बदन झुलस रहे थे। गर्मी और जलवायु परिवर्तन रोकने के लिये बड़े पैमाने पर छायादार पेड़ लगाने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि पर्यावरण के प्रति अभी से सचेत नहीं हुये तो आने वाला समय काफी बिकट हो जायेगा। पृथ्वी भट्टी की तरह हो जायेगी। जीवन मुश्किल हो जायेगा। उन्होंने कहा कि पदयात्रा के दौरान जगह -जगह सीड बॉल भी डाले गये। नुक्कड़ नाटक, संगोष्ठी, कठपुतली नृत्य व गीत के माध्यम से पर्यावरण एवं पौधारोपण के लिए जागरूक किया। पदयात्रा समापन कार्यक्रम में स्थानीय लोग भी अच्छी खासी संख्या में शामिल हुये।