मुजफ्फरपुर। सम्वाददाता।
खेती- किसानी पर देशी- विदेशी पुंजीपत्तियों के बढ़ते शिकंजे विषयक दो दिवसीय परिचर्चा का आयोजन (26 व 27 मार्च 2025 को) मोतीझील स्थित ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के सभागार में आयोजित किया गया। परिचर्चा गोष्ठी को संबोधित करते हुए आयोजक संगठन एआई के के एम एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐतिहासिक दिल्ली बॉर्डर के किसान आंदोलन के प्रख्यात नेता श्री सत्यवान ने कहा की खेती किसानी गलाकाट मुनाफाखोर देशी विदेशी पूंजीपतियों के शिकंजों में पूरी तरह गिरफ्त हो चुका है । आज किसानों को कृषि पैदावार के लिए लुटेरा पूंजीपतियों द्वारा उत्पादित खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि यंत्र, डीजल ,पेट्रोल मनवाने कीमत पर खरीदने को मजबूर होना पड़ता है तो दूसरी ओर किसानों द्वारा उत्पादित फसलों को भी पूंजीपति या उनके एजेंट ही औने पौने कीमतों पर खरीद लेते हैं। कृषि पैदावार को खरीदने के लिए कृषि उत्पाद बाजार समिति के अस्तित्व को पहले ही खत्म कर दिया गया। साथ ही पंचायत के पैक्स में जारी भारी लूट खसोट के चलते किसानों की जगह बड़े-बड़े माफिया लाभान्वित होते हैं ।
उधर केंद्र की मोदी सरकार ने तीन काले कृषि कानून को ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दबाव में वापस लेने के बावजूद पुनः देशी विदेशी कॉर्पोरेट पूंजीपतियों के दबाव में कृषि उत्पाद विपणन नीति 2024 का मसौदा पेश कर दिया है। उक्त मसौदे के आधार पर देश के किसानों पर कानून थोप देने का नतीजा खेती किसानी पूरी तरह कॉरपोरेटर के हाथों में चली जाएगी। किसान परिवारों के लोग और तंगहाली, भुखमरी, बेरोजगारी से त्राहिमाम हो जाएंगे।
उक्त संभावित भयंकर तबाही से बचने के लिए पुन:देश में किसानों को आंदोलन का संगठित ज्वार खड़ा करने का भी श्री सत्यवान ने उपस्थित जनसमूह से आह्वान किया। परिचर्चा को राष्ट्रीय महासचिव शंकर घोष ने संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र और आज की कोई भी या किसी भी पार्टी की सरकारें किसानों की तबाही को ना कम कर सकती है और ना किसानों के साथ संघर्ष में साथ दे सकती है । इसलिए किसानों के सामने एक ही विकल्प है कि खुद अपने बल पर जोरदार किसान आंदोलन के बल पर पूंजीपतियों के नाकाम मनसुबों को चकनाचूर कर सकते हैं ।इनके अलावा एस यू सी आई (कम्युनिस्ट) के राज्य सचिव अरूण कुमार सिंह,राज्य अध्यक्ष लाल बाबू महतो, राज्य सचिव कृष्णदेव साह ने भी परिचर्चा में अपनी अपनी बातें रखते हुए कृषि क्षेत्र पर पूंजी पत्तियों के बढ़ते शिकंजों पर चिंता जाहिर करते हुए उपस्थित जनसमूह से सचेत होकर संगठित होने का आह्वान किया। परिचर्चा में शहर के गणमान्य बुद्धिजीवी, जिले के विभिन्न प्रखंडों , पंचायतों से भारी संख्या में किसान खेत मजदूर की उपस्थिति रही।