Opposition unity: पटना में विपक्षी दलों का महाजुटान

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2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एकबार फिर विपक्षी एकता का गठजोड़ देखने को मिल रहा है.जदयू नेता नीतीश कुमार के पहल पर बिहार की राजधानी पटना में 23 जुलाई को विपक्षी नेता की पहली बैठक होने जा रही है.इस बैठक में कश्मीर से लेकर तमिलनाडू तक के कद्दावर नेता हिस्सा लेने वाले है.वहीं बैठक की मेजवानी बिहार सीएम नीतीश कुमार करेंगे.

माना जा रहा है कि, इस बैठक में केन्द्र में बैठी मोदी सरकार को सत्ता से विमुख करने की रणनीति तैयार की जाएगी. बिहार के मुखिया, नीतीश कुमार के अथक प्रयास के बाद पटना में ये बैठक होने जा रही है. याद दिला दे कि विपक्षी दलों के इस बैठक के सिलसिले में नीतीश कुमार ने ओडिशा से लेकर दिल्ली भ्रमण भी किया था. तमाम दलों के नेताओं को एक छत के नीचे लाने के बाद ये बैठक होने जा रही है..
आपको बता दें कि बिहार में इस वक्त अरविंद केजरीवाल भगवंत मान ममता बनर्जी सहित कई अन्य नेताओं के होने की खबर भी सामने आ रही है.

Opposition unity: क्यों है ये बैठक महत्वपूर्ण

भारत में 2024 का लोकसभा चुनाव करीब आते दिख रहा है.करीब 9 से 10 महीने बाद हिन्दुस्तान में चुनावी मौसम की शुरूआत हो जाएगी.इस बीच कहा जा रहा है, कि विपक्षी दल इसबार किसी भी तरह की गलती करने की गुंजाईंश नहीं रखना चाहते है. पटना के राजनैतिक गलियारों में होने जा रहा विपक्षी बैठक का मुख्य मकसद 2024 के लोकसभा चुनाव में देश को भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विक्लप देना है. साथ ही भाजपा के खिलाफ पड़ने वाले तमाम वोटों को बांटने के जगह जोड़ने की बात भी कही जा रही है. इसी कड़ी में पिछले महीने प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार बंगाल दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक का सफर भी तय किया था.

बैठक से पहले पटना के गलियारों में छिड़ा पोस्टर वार

23 जून को होने वाली विपक्षी एकता को लेकर बिहार में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. बैठक से पहले, राज्य में बैठे विपक्ष के तरफ से बैठक में शामिल हो रहे नेताओं सहित नीतीश कुमार पर हमला तेज हो गया है.

विपक्ष की ओर से इस बैठक को परिवारवाद और भ्रष्टाचार में डुबी पार्टियों का महासम्मेलन करार दिया गया है.
इसके साथ ही आरोप और प्रत्यारोप घटने के बजाय और तूल पकड़ लिया है.

बिहार में पोस्टर और होर्डिंग वार की शुरूआत हो गई है.बीजेपी और बीजेपी विरोधी दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते हुए पटना के सड़को पर पोस्टर लगा रहे है. भाजपा द्वारा लगाए गए एक पोस्टर में विपक्षी दलों को ठग्स करार दिया गया है. साथ ही बीजेपी ने सभी विपक्षी नेताओं की तस्वीर होर्डिंग में लगाते हुए ‘खूब जमेगा रंग, जब मिल बैठेंगे ठगबंधन के भ्रष्टाचारी संग’ जैसे शीर्षक भी दिए है.

वहीं एक पोस्टर में आम आदमी पूछ रहा है- ‘आप में से पीएम का चेहरा कौन होगा?’ तो इसमें विपक्षी एकता जिंदाबाद का बोर्ड लिए नेताओं के आगे खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं- ‘अभी तो मन ही मन हम सब हैं, लेकिन चुनाव बाद आपसी सिर फुटव्वल करके तय कर लेंगे’. इसी तरह एक होर्डिंग में लोकतंत्र के हत्यारे, आज किस मुंह से जेपी की धरती पर आ रहे हैं जैसे शीर्षक दिए गए है.

इस पोस्टर में तमिलनाडु के सीएम स्टालिन, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की तस्वीरें है.

पटना के गलियारों में छिड़ा पोस्टर वार
पटना के गलियारों में छिड़ा पोस्टर वार

 

इससे पहले भी हुई थी विपक्षी एकता की प्रयास

ऐसा नहीं कि यह स्थिति पहली बार आई है। साल 2019 में भी विपक्ष की ऐसी गत हो चुकी है जहां चंद्रबाबू नायडू ने इसी तरह तब विपक्षी एकता की अगुआई की थी. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू उस समय बहुमत की सरकार चल रहे थे. विपक्षी एकता का नतीजा यह हुआ कि आंध्र प्रदेश में उनके सांसद घटकर तीन हो गए और महज 23 विधायक जीते.आंध्र प्रदेश की सत्ता तक उनके हाथ से चली गई थी.

2019 का महागठबंधन
2019 का महागठबंधन

महा-मिलन बिहार में ही क्यों

बिहार हमेशा से क्षेत्रीय और देश की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. बिहार ही था जहां 70 के दशक में विशाल आंदोलन हुआ. इस आंदोलन की धमक ने 1975 से लेकर 1977 तक देश में आपातकाल लगवाया था. वहीं सन् 1977 में पहली बार भारत में कांग्रेस मुक्त सरकार बिहार से ही निकल कर आई थी. मोराजी देसाई के नेतृत्व में भारत को पहली बार गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री मिला.

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