अम्बेडकर मुद्दे पर सबसे पहले बिहार में शिकस्त देने की रणनीति बनाई विपक्ष ने!

0
1
Spread the love

6 जनवरी को अमित शाह के बिहार दौरे का विरोध तो 18 जनवरी को संविधान सुरक्षा सम्मेलन कर रहे राहुल गांधी 

चरण सिंह 
क्या अम्बेडकर मुद्दे पर विपक्ष सबसे पहले बार में खेल करने जा रहा है ? क्या अम्बेडकर मुद्दे पर नीतीश कुमार फिर से पलटने जा रहे हैं ? क्या अमित शाह का बिहार का दौरा बवाल की भेंट चढ़ने जा रहा है। जी हां राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव ने अमित शाह की बिहार में घेराबंदी की पूरी व्यवस्था कर दी है। जहां तेजस्वी यादव और अखिलेश प्रसाद की अगुआई में महागठबंधन अमित शाह की घेराबंदी करे जा रहे हैं, वहीं 18 जनवरी को राहुल गांधी पटना में संविधान सुरक्षा सम्मेलन करने जा रहे हैं।

देखने की बात यह है कि भले ही बीजेपी में बाबा साहेब पर दिया गए गृह मंत्री का बयान गंभीरता से न लिया जा रहा हो पर विपक्ष ने इस मामले को पूरे देश में सुलगा दिया है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर बिहार में शिकस्त देने की रणनीति बनाई है। बिहार में आरजेडी और कांग्रेस ने न केवल बीजेपी बल्कि जदयू को भी घेरने की पूरी रणनीति  तैयार कर ली है। 6 जनवरी को बिहार दौरे पर पटना पहुंच रहे अमित शाह को घेरने की रणनीति महागठबंधन ने कर ली है। जहां आरजेडी और कांग्रेस बाबा साहेब पर दिए अमित शाह के बयान को लेकर बीजेपी को घेरेगी वहीं नीतीश कुमार को सेकुलर चेहरे पर घेरने की रणनीति है।

ऐसा भी नहीं कि बीजेपी और नीतीश को घेरने की रणनीति तेजस्वी यादव और अखिलेश प्रसाद सिंह के स्तर से की जा रही है। खुद आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव और प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी इस कवायद में जुट गए हैं। 6 जनवरी को अमित शाह पटना पहुंच रहे हैं तो 18 जनवरी को संविधान सुरक्षा सम्मेलन में लोकसभा में विपक्ष के नेता पटना पहुंच रहे हैं। कांग्रेस और आरजेडी की यह अम्बेडकर मुद्दे पर एनडीए को घेरने की रणनीति है।
दरअसल संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव में सफलता मिलने के बाद अमित शाह के राज्य सभा में अम्बेडकर पर दिए बयान को लेकर विपक्ष बहुत उत्साह में है। देशभर में  अमित शाह के इस बयान का विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस ने अमित शाह के इस बयान के खिलाफ देशभर में अभियान छेड़ दिया है। जनवरी में संविधान सुरक्षा सम्मेलन बिहार में इसलिए ही किया जा रहा है कि दलित और महादलित पर राजनीति करने वाले नीतीश कुमार को घेरा जाए। देखने की बात यह है कि अमित शाह के बयान पर भले ही जदयू के सेकेण्ड लाइन के नेता ललन सिंह और संजय झा बीजेपी के पक्ष में बयान दे रहे हों पर नीतीश कुमार की चुप्पी कुछ अलग ही कह रही है। वैसे भी जातीय जनगणना के मुद्दे पर जदयू के कार्यवाहक अध्यक्ष संजय झा ने विपक्ष को घेरा है।
उन्होंने कहा कि मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया था। संजय झा का यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्ष जातीय जनगणना पर जोर दे रहा है और सत्ता पक्ष इसे टाल रहा है। तो क्या जदयू जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी से दो दो हाथ करेगा।
दरअसल बिहार में दलित राजनीति का हमेशा स्पेस रहा है। प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए बाबू जगजीवन राम बिहार के ही दलित नेता थे। रामविलास पासवान ने दलित राजनीति में एक अच्छा मुकाम हासिल किया। भोला पासवान हिंदी बेल्ट के पहले दलित मुख्यमंत्री बने। अब चिराग पासवान बिहार के दलित नेता हैं। ऐसे में कांग्रेस का प्रयास है कि बिहार में फिर से दलित राजनीति को हवा दी जाए।
दरअसल नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं अम्बेडकर मुद्दे पर विपक्ष माहौल बनाता दिखाई दे रहा है। अमित शाह के अम्बेडकर का नाम लेना फैशन बन गया है। इस बयान को लेकर दलित समाज बहुत गुस्से में है। कांग्रेस चाहती है कि अम्बेडकर के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा जाए। देश में 20 फीसदी तो बिहार में 16 फीसदी दलित हैं जो विधानसभा में निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में यह तो कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार यदि एनडीए में ही शामिल रहे तो अम्बेडकर मुद्दे पर आरजेडी और कांग्रेस दोनों ही उन्हें घेरेंगे। जब अमित शाह की बड़े स्तर पर घेराबंदी हो रही है तो फिर नीतीश कुमार कैसे बचेंगे ?
 दरअसल लालू प्रसाद और राहुल गांधी ने रणनीति बनाई है कि अम्बेडकर मुद्दे पर सबसे पहले बीजेपी को बिहार में ही पटखनी दी जाये। वैसे भी नीतीश कुमार के स्वास्थ्य खराब होने के चलते  जदयू के सेकंड लाइन के नेता खुद ही नीतीश कुमार को निपटाने में लगे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here