
बिजनौर का छोटा किसान हो या मजदूर दूसरे शहरों के लिए पलायन को मजबूर
बिजनौर के हर गांव में दो,चार घर ऐसे मिल जाएंगे जहां पर कोई रहता नहीं है,या केवल बूढ़े माता पिता,दादा दादी अपने पुत्र, पौत्र की राह निहारते नजर आएंगे
पवन कुमार
बिजनौर – अभी हाल ही में बिजनौर वासियों ने इतिहास रचते हुए गंगा एक्सप्रेसवे को लेकर जो मुहिम छेड़ी उसमें राजनीतिक, अराजनीतिक,पक्ष,विपक्ष सबने एक साथ एक सुर में एक मांग एक आवाज गंगा एक्सप्रेसवे महात्मा विदुर की धरती बिजनौर से होकर निकले,परिणाम सामने है। उसी तरह जरूरत है बिजनौर के युवाओं के दर्द को समझते हुए बिजनौर में बेरोजगारी की समस्या को लेकर एक होकर आवाज उठाने की।
आप सभी जानते हैं कि बिजनौर इंडस्ट्रीज के नाम पर जीरो है इसी कारण बिजनौर का बेरोजगार युवा दूसरे शहरों के लिए पलायन करने को मजबूर हैं।छोटा किसान जिनके पास पर्याप्त जमीन नहीं है,वे न तो मजदूर हैं और न ही किसान ऐसे किसान जो खेती से अपने परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ हैं,बिजनौर में रोजगार न होने के कारण खेती छोड़कर पलायन को मजबूर हैं।कोई जनप्रतिनिधि, राजनीतिक, अराजनीतिक संगठन या यूं कहे पक्ष, विपक्ष कोई भी इस मुद्दे को उठाने को तैयार नहीं है,हां अभी हाल ही में,नगीना से नवनिर्वाचित सांसद चंद्रशेखर रावण (आजाद) ने सदन में नगीना लोकसभा के लिए यह मुद्दा उठाया, और कहा कि मुझे जिस लोकसभा क्षेत्र से जनता ने अपने जनप्रतिनिधि के रूप में चुना वो क्षेत्र बेरोजगारी की मार झेल रहा है बेरोजगार युवा दूसरे शहरों के लिए पलायन करने को मजबूर है।आप सभी जानते हैं रोजगार के नाम पर बिजनौर में सात शुगर मिल हैं जिनमें 80% लोग बाहरी हैं,2000 के दशक में नजीबाबाद (बिजनौर) में थम्सअप फैक्ट्री,मानसरोवर पेपर मिल,कत्था फैक्ट्री, बद्री केदार पेपर मिल थे जिन संस्थाओं में हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ था,जो संस्थान आज की तारीख में खत्म हो चुके हैं कीरतपुर(बिजनौर) में रामा पेपर मिल जो समाप्ति की ओर है,बिजनौर में चारु पेपर मिल था,बिजनौर मंडावर रोड पर कैमिकल फैक्ट्री थी और भी संस्थाएं थी सब बंद हैं,आखिर क्या कारण है दूसरे शहरों में कंपनियां बढ़ती जा रही है और बिजनौर में बंद हो रही हैं,सभी बिजनौर वासियों को एक साथ एक सुर में अजाज उठानी होगी ,तभी आप आने वाले समय में अपने बच्चों का भविष्य संवार सकते हो,अगर आज चुप हो गए तो वो दिन दूर नहीं की हर गांव में केवल कुछ बुजुर्ग ही नजर आएंगे ,ओर न जाने कितने मकान खाली खंडहर दिखाई देंगे।
आखिर क्यों नहीं हो पा रहा बिजनौर का विकास – जनपद बिजनौर में दो लोकसभाएं ,बिजनौर और नगीना, और आठ विधानसभाएं बिजनौर,नगीना,बढ़ापुर,धामपुर नजीबाबाद,नूरपुर,चांदपुर,नहटौर है,नगीना – लोकसभा में नगीना, नजीबाबाद, नहटौर, धामपुर,नूरपुर विधानसभाओं को जोड़ा गया है, और बिजनौर – लोकसभा में बिजनौर,चांदपुर,मीरापुर, पुरकाजी, और हस्तिनापुर विधानसभाओं को जोड़ा गया है, मीरापुर, पुरकाजी दोनों हो विधानसभाएं जिला मुजफ्फरनगर में हैं, और हस्तिनापुर जिला मेरठ में है, और बिजनौर की बची हुई एक विधानसभा बढ़ापुर जिसको मुरादाबाद लोकसभा से जोड़ा गया है,अब शोचनीय विषय है कि बिजनौर को तीन जिलों से जोड़ा गया है तो बिजनौर का विकास कैसे संभव है यह लेखक के अपने निजी विचार है लेखक त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी है।