गोवा क्रांति दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर क्रांति-भूमि मडगांव में गोवा मुक्ति संघर्ष पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय विचार मंथन सम्पन्न

नई दिल्ली। देश के विभिन्न स्थानों से आये वैचारिक गंभीरता वाले प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम को अनूठा और गरिमापूर्ण बनाया। भरसक प्रयास रहा कि उनके आतिथ्य में कोई कमी न रहे- फिर भी कोई कमी रह गई हो तो अपेक्षा है कि वे क्षमा करेंगे।

गोवा के माननीय राज्यपाल श्री पी.एस श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री श्री डॉ. प्रमोद सावंत, नेता प्रतिपक्ष श्री दिगंबर कामत, झारखंड के स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री बन्ना गुप्ता, झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दिनेश सारंगी, झारखंड के पूर्व संसदीय कार्य मंत्री श्री रामचंद्र केसरी एवं पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा से विधायक रहे मेरे युवा साथी कुणाल सारंगी, राष्ट्र सेवा दल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुरेश खैरनार, पूर्व न्यायाधीश एवं लोहिया विचार मंच, हैदराबाद के अध्यक्ष टी. गोपाल सिंह, गांधीजी एवं बिनोवा के ख्यातिलब्ध अध्येता श्री अव्यक्त समेत कई विशिष्ट जनों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक नए आयाम तक पहुंचाया।

इस अवसर पर गोवा मुक्ति योद्धा डॉ. राममनोहर लोहिया की मूलतः अंग्रेजी में लिखी पुस्तक ‘एक्शन इन गोवा’ के कोंकणी, मराठी, बांग्ला व हिंदी संस्करणों का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही गोवा मुक्ति सेनानी त्रिदिब चौधुरी के मूलतः बांग्ला में लिखे जेल संस्मरण के हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में गोवा मुक्ति युद्ध पर केंद्रित स्मारिका ‘क्रांति स्मरण 2021′ एवं गोवा क्रांति दिवस पर केंद्रित लघु फ़िल्म ’18 जून 1946’ भी प्रदर्शित की गयी।

अभी कलकत्ता के लिए रवाना हो रहा हूँ। कलकत्ता के सेंट्रल पार्क सॉल्ट लेक में 29 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला है। इस मेले में डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन भी अपना स्टॉल लगा रहा है, जिसकी तैयारी के सिलसिले में अपने प्रिय नगर कलकत्ता जा रहा हूँ।

9 से 12 दिसंबर तक एक व्याख्यान के लिए उत्तर बंगाल के कूचबिहार में प्रवास करूंगा। फिर 13 से 17 दिसंबर तक बोकारो-धनबाद में प्रवास। 18 से 22 दिसंबर तक जमशेदपुर और रांची रहूंगा।

डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन का आगामी राष्ट्रीय सम्मेलन नवंबर 2022 को गुवाहाटी में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। यह सम्मेलन ‘उर्वशीयम’ के नाम से जाना जाएगा। डॉ. लोहिया पूर्वोत्तर को इसी नाम से पुकारते थे। नागरिक आज़ादी एवं अधिकारों के क्षेत्र में डॉ. राममनोहर लोहिया के अवदानों का पूर्वोत्तर वासी सदा ऋणी रहेंगे।

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