चरण सिंह
एक समय था कि छात्रों के आंदोलन को प्रख्यात समाजवादी लोकनायक जयप्रकाश का साथ मिला था और उस आंदोलन ने जन आंदोलन का रूप ले लिया था। छात्रों के आंदोलन से शुरू हुए आंदोलन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। आज की तारीख में छात्र आंदोलन करते रहें। लाठी डंडे खाते रहें। किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता। प्रयागराज में यूपीएससी के आंदोलित छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं। देश और यूपी में विपक्ष नाम की चीज तो है नहीं। मायावती पूरी तरह से केंद्र सरकार के दबाव में हैं। अखिलेश यादव जब खुद ही आंदोलन से परहेज कर रहे हैं तो वह आंदोलन को क्या समर्थन देंगे। चौधरी चरण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के कर्णधार जयंत चौधरी तो सत्ता के साथ हैं। उनसे डॉ. लोहिया की विचारधारा की उम्मीद तो नहीं की जा सकती कि अपने ही गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दें। आंदोलनकारी नेता के रूप में दंभ भरने वाले चंद्रशेखर आज़ाद ने भी इन छात्रों की सुध नहीं ली है। ऐसी ही कुछ स्थिति कांग्रेस की है। योगी आदित्यनाथ भला छात्रों की मांग मानकर छोटे कैसे हो जाएंगे ? ऐसे में जब विपक्ष सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी पर तमाम आरोप लगा रहा है तो फिर इन छात्रों के लिए जेपी की भूमिका में कौन आएगा कि प्रयागराज का छात्र आंदोलन जेपी आंदोलन का रूप ले ले। दरअसल बीजेपी ने मीडिया को हाईजैक कर देश में ऐसा माहौल बना दिया है कि आंदोलन को लोग विपक्ष के रूप में लेने लगते हैं। नहीं तो यूपीएससी परीक्षा में जिस तरह से पर्चे लीक होते रहे और जिस तरह से छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है तो फिर लोग योगी सरकार को कटघरे में क्यों नहीं खड़े हो रहे हैं ? क्यों नहीं विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं। क्या आजाद भारत में भी देश के नौनिहालों पर लाठीचार्ज होता रहेगा ? छात्रों के इस आंदोलन में क्या योगी आदित्यनाथ का गैर जिम्मेदाराना रवैया नहीं है। डंडे दे दम पर ज्यादा दिन तक किसी आवाज दबाया नहीं जा सकता है। योगी आदित्यनाथ को यह समझ लेना चाहिए कि यदि इन छात्रों को कोई जेपी मिल गया तो न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि केंद्र सरकार के लिए भी दिक्कत खड़ी हो सकती है। आज की तारीख में योगी आदित्यनाथ का बटेंगे तो कटेंगे का नारा बहुत गूंज रहा है। भले ही सीएम योगी और पीएम मोदी समाजवाद के प्रणेता डॉ. लोहिया की विचारधारा की दुहाई देते रहे हों पर छात्रों पर लाठीचार्ज होने का विरोध करने की किसी बीजेपी नेता में हिम्मत नहीं हैं। वह तो लोहिया थे कि उन्होंने किसानों पर फायरिंग होने पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। नेता तो सच्चे मन से इन आंदोलनकारी छात्रों के साथ नहीं आ रहे हैं पर हिन्दू मुस्लिम के ठेकेदार भी तो चुप हैं। हां वोटबैंक की राजनीति जरूर हो रही है। क्या छात्र आंदोलन को भी जाति और धर्म के आधार पर देखा जा रहा है ? छात्रों पर की गई यह बर्बर कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। योगी आदित्यनाथ बताएं कि आखिरकार इन छात्रों की खता क्या है ? दरअसल लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि लोग जमीनी मुद्दों से भटक रहे हैं। जाति धर्म में उलझ कर रह जा रहे हैं। सरकारें जो बच्चों के भविष्य से जो खिलवाड़ कर रही हैं, उसकी चिंता किसी को नहीं है।