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तीन एफआईआर, फर्जीवाड़ा और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर नप सुर्खियों में

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 किसी भी एफआईआर के आरोपी अबतक गिरफ्तार नहीं

 नाजिर के नाम खुला बैंक एकाउंट

 

राम विलास
राजगीर। लगातार तीन एफआईआर दर्ज होने और निलंबित सहायक टैक्स दरोगा सह नाजीर द्वारा 14 लाख रुपये सरकारी खाते से अपने निजी खाते में ट्रांसफर करते पकड़े जाने के बाद नगर परिषद, राजगीर इन दिनों सुर्खियों में है। जिस खाते से निलंबित नाजीर प्रमोद कुमार द्वारा रुपये की निकासी की जा रही थी। वह खाता नगर परिषद नाजीर के पदनाम से पंजाब नैशनल बैंक की राजगीर शाखा में खुला है।

यह खाता मलमास मेला 2023 के दौरान खोला गया है। सवाल है कि कार्यपालक पदाधिकारी के रहते नाजीर के पदनाम से खाता खोलना नियमानुकूल है ? यदि नहीं है तो कार्यपालक पदाधिकारी और संबंधित बैंक मैनेजर द्वारा किस नियम के तहत यह खाता खोलने की स्वीकृति दी गयी है। इतना ही नहीं नाजीर के खाते में धन कहां से आता है। इसकी भी जांच जरुरी है।

मलमास मेला से 30 अप्रैल 2024 तक नाजीर के खाते में कब-कब कितना धन आया और कितना धन किस काम के लिए निकाले गये हैं। इसकी भी पड़ता आवश्यक है। सूत्रों की माने तो 30 अप्रैल की यह घटना बानगी है। इसके पहले नाजीर द्वारा कितने रुपये की निकासी की गयी है। इसका कोई लेखा जोखा नहीं है। एक सिनियर ऑफीसर की माने तो नाजीर के नाम बैंक खाता वैध नहीं है।

खाता संचालन की जिम्मेदारी डीडीओ की होती है। नगर परिषद के एलडीसी रवि कुमार के खिलाफ एक और सहायक टैक्स दरोगा सह नाजीर प्रमोद कुमार के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कराया गया है। एक एफआईआर निलंबित होने के पहले और दूसरा निलंबित होने के बाद बैंक खाता से जालसाजी कर 14 लाख रुपये निकासी करते पकड़े जाने के बाद की गयी है। सभी एफआईआर में जालसाजी, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और वित्तीय अनियमितता का गंभीर आरोप है।

— 13 साल पहले जारी बर्खास्तगी आदेश का अनुपालन नहीं

डीएम के पत्रांक 35/11 दिनांक 12.8.11 द्वारा स्वर्गीय राम सरोवर सिंह का गलत मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करने के आरोपी सहायक टैक्स दरोगा प्रमोद कुमार की सेवा बर्खास्त करने का आदेश दिया गया है। उन पर पंजि में अनावश्यक काट कूट व छेड़छाड़ के अलावे गलत तिथि अंकित करने के मामले की जांचोंपरांत आरोप सही पाये जाने के बाद सहायक टैक्स दरोगा सह सहायक प्रमोद कुमार को सेवा से बर्खास्त करने हेतु डीएम द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी, राजगीर को आदेश दिया गया था। लेकिन डीएम के उस आदेश का कार्यपालक पदाधिकारी, राजगीर द्वारा अबतक अनुपालन नहीं किया गया है।

— पहले अमरेन्द्र और अब प्रमोद के नाम कर रहे नौकरी

प्राथमिकी अभियुक्त प्रमोद कुमार द्वारा केवल कैश बुक में ही नहीं बल्कि अपनी सेवा और शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी हेराफेरी की गयी है। राजगीर के नगर पंचायत अब नगर परिषद में उनके द्वारा पहले अमरेन्द्र कुमार सिन्हा के नाम से नौकरी की गयी थी। वर्तमान में वे प्रमोद कुमार के नाम से नौकरी कर रहे थे।

सूत्रों की माने तो डीपी राय प्लस टू स्कूल, दीपनगर, कोरई की दाखिला पंजि में उनका नाम अमरेन्द्र कुमार सिन्हा, पिता राम विलास प्रसाद सिन्हा की आयु 20.11.1968 है। स्वामी हंसदेव मुनि उदासीन संस्कृत महाविद्यालय, राजगीर से 2004 में नाम बदलकर प्रमोद कुमार द्वारा मध्यमा की परीक्षा पास की गयी है।

उनके दोनों शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच बाद उम्र छिपा कर एवं नाम बदलकर नौकरी करने के मामले का पर्दाफाश हो सकता है। वोटर लिस्ट और पारिवारिक सूची में उनका नाम अमरेन्द्र कुमार सिन्हा दर्ज है। वोटर लिस्ट में फोटो प्रमोद कुमार का लगा है।

 

— अधिकारी बोले
उनके ( कार्यपालक पदाधिकारी) कार्यकाल में नगर परिषद नाजीर के नाम से किसी बैंक में खाता नहीं खोला गया है। किसी भी नगर परिषद के डीडीओ नाजीर नहीं, कार्यपालक पदाधिकारी होते हैं। किस परिस्थिति में नगर परिषद द्वारा नाजीर को डीडीओ बनाया गया था।

संतोष कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, राजगीर का कहना है की इसकी जानकारी उनके पास नहीं है। प्रमोद कुमार फिलहाल निलंबित हैं। बावजूद 30 अप्रैल को खुद के हस्ताक्षर से उनके द्वारा 14 लाख रुपये अपने निजी खाते में ट्रांसफर किया जा रहा था। संयोग है कि बैंक कर्मियों की सुझबुझ से रुपये ट्रांसफर होने से बच गया। निलंबित नाजीर प्रमोद कुमार के खिलाफ दूसरी बार जालसाजी की एफआईआर दर्ज करायी गयी है।