चरण सिंह
पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएनएल के प्रमुख नवाज शरीफ ने फिर से भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। इसमें दो राय नहीं कि नवाज शरीफ भारत से दोस्ताना संबंधों के पक्षधर रहे हैं पर यह भी जमीनी हकीकत है कि जब भी भारत ने पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी दिखाई तब उसे धोखा ही मिला है। हां इस बार पाकिस्तान की हालत बहुत दयनीय है। वहां पर भुखमरी के चलते गृहयुद्ध जैसे हालात हैं। इसमें दो राय नहीं कि आज भी भारत बड़े भाई का फर्ज निभाते हुए पाकिस्तान को माफ कर सकता है पर भारत को जो पाकिस्तान ने घाव दिये हैं वह जल्दी भरने वाले नहीं हैं। पाकिस्तान ने जिस तरह से बार-बार भारत को धोखा दिया उसको देखते हुए पाकिस्तान पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।
तो क्या भारत और पाकिस्तान के संबंध सुधर नहीं सकते। समझने की बात यह है कि दुनिया में जो माहौल बिगड़ता जा रहा है उसको देखते हुए भारत को पाकिस्तान को साथ लेकर चलना ही होगा। क्योंकि श्रीलंका के बाद बांग्लादेश की हालत पतली होने के बाद यदि पाकिस्तान से भारत के संबंध न सुधरे तो आने वाले समय में भारत के सामने सबसे अधिक दिक्कत पाकिस्तान से ही खड़ी हो सकती है। जिस तरह से पाकिस्तान के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान आतंकवादियों बन जाये तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में भारत को पाकिस्तान से घुटने टिकवाते हुए साथ रखना ही होगा।
पाकिस्तान वास्तव में भारत के साथ हाथ मिलाना चाहता है तो उसे भारत से अपनी धोखेबाजी की माफी मांगते हुए पीओके छोड़ना पड़ेगा। इसमें दो राय नहीं कि पाकिस्तान के बाद अब भारत के सामने आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई रास्ता बचा भी नहीं ही। पाकिस्तान की जनता भी यही चाहती है। वैसे भी अच्छे शासक की पहचान यही होती है कि वह अपनी जनता को बचा ले जाए और देश को खुशहाल बनाए।
दरअसल विदेश मंत्री को एस जयशंकर पाकिस्तान के दौरे पर हैं। उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ हाथ मिलाते हुए देखा गया। तो क्या भारत का पाकिस्तान से दिल न मिल गया है। हालांकि एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर चीन के साथ ही पाकिस्तान नसीहत दी है। दरअसल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत खराब हो चुकी है। रोजगार का अभाव और महंगाई की मार के चलते पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि पाकिस्तान के पास कर्ज का ब्याज देने के पैसे भी नहीं हैं। पाकिस्तान पर इस वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तास्तान 26.2 अरब डॉलर का कर्ज है। 40.2 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। अगले 12 महीने 30.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज चुकाना है। ऐसे में पाकिस्तान के पास भारत के सामने आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
क्योंकि पाकिस्तान में नवाज शरीफ की पार्टी की सरकार है। उनके छोटे भाई शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं। इसमें दो राय नहीं है कि नवाज शरीफ ही हैं जो भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार ला सकते हैं। पर चाहे 1972 का युद्ध हो, 1999 में दिल्ली – लाहौर बस यात्रा हो या फिर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नवाज शरीफ से मिलना हो। भारत ने बड़ा दिल रखकर पाकिस्तान से संबंध सुधारे हैं पर हर बार भारत को धोखा दिया गया। क्योंकि अब पाकिस्तान की हालत पतली है। ऐसे में अब तो पाकिस्तान लचीला रुख अपना लेगा पर वह अपना रवैया बदल दे इसकी गारंटी नहीं है।