चरण सिंह
पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद देश गुस्से में है। सिंधु समझौते को रद्द करने या फिर सर्जिकल स्ट्राइक से बात नहीं बनने वाली है। अब तो यह गुस्सा तभी कम होगा जब पीओके भारत का हिस्सा होगा। निश्चित रूप से केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है। पर अब समय आ गया है कि पाक को ऐसा सबक सिखाया जाए कि फिर से वह भारत में आतंकी हमले को अंजाम न दे पाए। निश्चित रूप से जिनके इस हमले में चले गए वे वापस तो नहीं लाये जा सकते पर ऐसा कुछ हो जिससे आतंकी हमले में दम तोड़ने वालों को कुछ राहत मिले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार कहा है तो कि आतंकियों को ऐसी सजा दी जाएगी, जिसके कल्पना भी उन्होंने नहीं की होगी। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आतंकी तैयार करने और आतंकी घटना को अंजाम दिलवाने वाले को क्या सजा मिलेगी ? मतलब पाकिस्तान को क्या सजा भारत देना वाला है। पीओके खाली करने की बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई बार कर चुके हैं। क्या इन 28 पर्यटकों की कुर्बानी का बदला पीओके लेकर लिया जाएगा। या फिर भारत कुछ इससे भी बड़ा करने वाला है।
केंद्र सरकार के लिए राहत की बात है कि इस आतंकी हमले के खिलाफ विपक्ष भी सरकार के साथ है। निश्चित रूप से सुरक्षा चूक के चलते यह आतंकी हमला हुआ है। आतंकियों ने पहले रेकी की थी। जब उन्हें पता चल गया कि यहां पर सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। तब उन्होंने हमला किया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आतंकी 16-17 साल के थे। मतलब सभी आतंकी युवा थे।
पर्यटकों से उनका धर्म पूछना मतलब भारत को एक संदेश देना था। इसमें दो राय नहीं कि जिस तरह से आतंकी 25-30 मिनट तक आतंकी घटना को अंजाम देते रहे। जिस तरह से आतंकियों ने पूछकर पूछकर पर्यटकों को मारा। ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकार पूरी तरह से फेलियर है। क्योंकि जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है। ऐसे में अधिकतर जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर में यह देखने को मिल रही है कि वहां के मुसलमान पाक के खिलाफ सड़कों पर उतर आये हैं। जम्मू कश्मीर में हिन्दू मुस्लिम भाई भाई के नारे लग रहे हैं। ऐसे में पाक के खिलाफ कार्रवाई में जम्मू कश्मीर के लोगों का साथ भी सरकार को मिलेगा। यह उम्मीद की जा रही है। दरअसल देश चाहता है कि कैंडल मार्च निकालकर आतंकी हमले में शहीद हुए लोगों की आत्मा को श्रद्धांजलि देने मात्र से अब कुछ नहीं होने वाला है। अब तो पाक को सबक सिखाकर है मरे लोगों की आत्मा को शांति मिलेगी।
दरअसल अभी भी पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचा पूरी तरह से बरकरार है। अंदरूनी इलाकों में मुख्य प्रशिक्षण शिविर और नियंत्रण रेखा पर “लॉन्च पैड” अभी भी पूरी तरह से मौजूद हैं। आतंकी ढांचे, तथाकथित रणनीतिक संपत्तियां जैसे लश्कर, जैश, यूजेसी, अल बद्र, जिहादी मदरसे और मदरसा नेटवर्क पूरी तरह से मौजूद हैं। यह नरसंहार गत सप्ताह पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने दो-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला देते हुए कश्मीर को इस्लामाबाद की “गले की नस” बताए जाने के तुरंत बाद हुआ है।