राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब गर्भ संस्कार का अभ्यास करवाएगा। आरएसएस की महिला शाखा संवर्धनी न्यास की राष्ट्रीय आयोजन सचिव माधरी मराठे ने कहा कि बच्चों के पालन पोषण के लिए गर्भ संस्कार का अभ्यास महत्वपूर्ण है जो देशभक्त और महिलाओं के प्रति सम्मानजनक होगा। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को गर्भ संस्कार पर कार्यशाला आोयजित की गई और इसमें एम्स दिल्ली समेत देशभर के डॉक्टरों और आयुर्वेद चिकित्सकों ने भाग लिया। माधुरी मराठे ने कहा, 1000 दिन या गर्भावस्था के नौ महीने और बच्चे के जन्म के दो साल बाद तक गर्भ संस्कार का अभ्यास के नौ महीने ओैर बच्चे के जन्म के दो साल बाद तक गर्भ संस्कार का अभ्यास करके हम आने वाली पीढि़यों को सुधार सकते हैं जो देशभक्त होंगी और महिलाओं का सम्मान करेंगी। यह जीजा माता (मराठा शासक शिवाजी की मां) से प्रेरित था, जिन्होंने गर्भ संस्कार का अभ्यास दिया और इसका परिणाम वीर शिवाजी के रूप में दिखाई दिया।
गर्भ संस्कार जिसका उल्लेख ऋग्वेग में मिलता है, इसमें गर्भावस्था के दौरान खुश रहने के महत्व पर प्रकाश डालता है। इसमें सकारात्मक विचार रखने के अलावा अच्छी किताबें पढ़ना, अच्छे इरादे से बना ताजा सात्विक भोजन करना नियमित योगा करना और मां के गर्भ में पल रहे बच्चे से ात करना शामिल है।
कार्यशाला में बतया गया कि स्त्री रोग विशेषज्ञों को गर्भवती महिलाओं तक पहुंचना चाहिए और उन्हें उन प्रथाओं को अपनाने के लिए सिखान चाहिए जो यह सुनिश्चित करती हैं कि बच्चा अपने जन्म से पहले ही भारतीय संस्कृति के बारे में सीख लें। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों ने हर साल कम से कम 1,000 गर्भवती माताओं में गर्भ संस्कार को बढ़ावा देने का संकल्प भी लिया।
एम्स दिल्ली में न्यूक्लियर मैग्नेटिेक रेजोनेंस एंड मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग विभाग की प्रमुख डॉ. रमा जया सुंदर जो सम्मानित अतिथि थीं, उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य के लिए आधुनिक चिकित्सा, योग और आयुर्वेद के संयोजन की आवश्यकता है। एक मजबूत शक्तिशाली और सक्षम राष्ट्र बनाने के लिए गर्भ संस्कार की जरूरत है।