चरण सिंह
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक युद्ध छेड़ दिया है। सिंधु समझौता रद्द करने के साथ ही पाकिस्तानियों का वीजा रद्द कर उन्हें पाकिस्तान भेजा जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने सभी मुख्यमंत्रियों से बोल दिया है कि सभी पाकिस्तानियों को पाक भेजो। उधर पाकिस्तान ने भी शिमला समझौता रद्द कर दिया है। व्यापार बंद कर दिया है। शिमला समझौता रद्द कर पाकिस्तान ने चीन और अमेरिका के हस्तक्षेप करने का मौका दे दिया है।
दरअसल शिमला समझौते में भारत और पाकिस्तान के किसी भी मुद्दे पर दोनों देशों को ही मिलकर निपटना होना था। किसी दूसरे देश का कोई हस्तक्षेप इसमें नहीं था। अब तो देश में उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि भारत कुछ बड़ा करने जा रहा है। देखने की बात यह है कि अभी तक जो कदम भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ उठाये हैं वे कुछ खास नहीं हैं। निर्दोष पर्यटकों को मारने वाले आतंकियों में से एक भी आतंकी न तो पकड़ा गया और न ही मारा गया। जहां तक सिंधु समझौते को रद्द करने की बात है तो फिलहाल पाकिस्तान पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ने जा रहा है।
चाहे चिनाब नदी हो, सिंधु हो, रावी और झेलम हो या फिर सतलुज अभी इन नदियों का पानी नहीं रोका जा सकता है। पहले इन नदियों पर बांध बनाना होगा। पानी की मात्रा अधिक होने की स्थिति में उसे डाइवर्ट करने की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए कम से कम दो साल चाहिए। मतलब इसका कोई खास असर पाकिस्तान पर नहीं पड़ने जा रहा है। जहां तक पाकिस्तानियों को भेजने की बात है तो इससे पाकिस्तान के ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई, सेना प्रमुख असीम मुनीर और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है, क्योंकि पाकिस्तान की जनता तो पहले ही भूखे मर रही है। वैसे भी नेताओं पर जनता की परेशानी से कोई असर नहीं पड़ता है।
वीजा तक भारतीयों का पाकिस्तान ने भी रद्द किया है पर सिखों का रद्द नहीं किया है। मतलब सिखों का वीजा रद्द न कर पाकिस्तान ने खालिस्तान बनने को अलग से हवा दे दी है।
देश की जनता अब इस तरह के निर्णय से संतुष्ट नहीं होने वाली है। अब तो पीओके चाहिए और पाकिस्तान की कमर टूटनी चाहिए। पाकिस्तान को घुटने टिकवा दिए बिना लोग मानने वाले नहीं हैं। होना तो यह चाहिए कि पाकिस्तान को भारत में मिलाकर एक स्टेट बनाकर छोड़ देना चाहिए।